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भारत, संयुक्त अरब अमीरात के Su-57 उत्पादन से मध्य पूर्व में अमेरिकी प्रभुत्व प्रभावित होगा: विशेषज्ञ

© AP Photo / Pavel GolovkinSu-57 fifth-generation fighter jets in Zhukovsky
Su-57 fifth-generation fighter jets in Zhukovsky - Sputnik भारत, 1920, 18.11.2023
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Su-57E लड़ाकू विमान को रोसोबोरोनएक्सपोर्ट ने दुबई एयरशो 2023 में नवीनतम एयर-लॉन्च हथियारों के साथ प्रदर्शित किया है। कंपनी के सीईओ एलेक्जेंडर मिखेएव ने कहा कि कंपनी रूस के कुछ रणनीतिक साझेदारों के साथ अंतिम उत्पाद और संयुक्त विकास एवं उत्पादन के प्रारूप में सहयोग पर चर्चा कर रहे हैं।
Su-57 पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान के संयुक्त उत्पादन पर रूस के प्रस्ताव को अगर भारत और संयुक्त अरब अमीरात स्वीकार करते हैं तो भारतीय विशेषज्ञ के अनुसार भविष्य में “मध्य पूर्व के कई देश अमेरिकी प्रभाव से बाहर आ सकते हैं”।
रक्षा विशेषज्ञ विंग कमांडर प्रफुल बख्शी (सेवानिवृत्त) के अनुसार अगर यह लड़ाकू विमान भारत रूस के साथ बनाने लगें तो रक्षा के क्षेत्र में भारत एक और स्वर्णिम कदम प्राप्त करेगा।

Sputnik India के साथ साक्षात्कार में विशेषज्ञ ने कहा, "विश्व में सबसे अधिक धन व्यय, रक्षा के क्षेत्र में किया जाता है और अमेरिका अपना प्रभुत्व जमाने के लिए दूसरे देशों को रक्षा सहयोग करके उस देश पर अपना हक जमाने लगता है।"

"UAE जैसे देश रूस के साथ मिलकर काम करेंगे तो अमेरिका को बहुत फर्क पड़ेगा, साथ ही अन्य देशों और मध्य पूर्व के देशों के लिए नया मॉडल बन जाएगा और वह अमेरिकी दायरे से बाहर आकर काम कर सकेंगे"।

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, मध्य पूर्व के देशों ने औसतन अपने सकल घरेलू उत्पाद का 3.9 प्रतिशत रक्षा पर खर्च किया, जबकि वैश्विक औसत 2.2 प्रतिशत है।
भारतीय वायु सेना के पूर्व विंग कमांडर जोर देकर कहते हैं कि मध्य पूर्व में अमेरिका अपनी पकड़ बनाए रखना चाहता है।

“मध्य पूर्व के देशों के अमेरिकी दायरे से बाहर आकर काम करने को अमेरिका पसंद नहीं करेगा, पर सच्चाई इसमें है कि अब अमेरिका को भी मानना पड़ेगा कि अब कहीं न कहीं लोग आगे भी कदम उठायेंगे,” उन्होंने कहा।

भारतीय वायुसेना को पांचवी पीढ़ी के विमानों की सख्त आवश्यकता है और विदेशी कंपनियां इस अवसर को जाने देना नहीं चाहती है। इस वर्ष के प्रारंभ में आयोजित एरो इंडिया में अमेरिका ने F-35 को प्रदर्शित किया जबकि रूस ने सुखोई Su-57 को।

“रूस की पाँचवीं पीढ़ी की Su-57 लड़ाकू विमान अमेरिकी F-22 और F-35 लड़ाकू विमान से बेहतर है। इसकी सुपरक्रूज,सुपरसेल और सुपरमैन्युवरएबल की क्षमता बहुत अधिक है, साथ ही यह रडार के भी पकड़ में नहीं आती है,” बख्शी ने कहा।

विंग कमांडर के अनुसार अगर सुखोई Su-57 का संयुक्त उत्पादन भारत की रक्षा क्षेत्र के कार्यक्रमों को काफी बढ़ावा देगा, और भारत इसे निर्यात भी कर सकता है ।

“संयुक्त साझेदारी से भारत का रक्षा व्यय कम हो जाएगा और भारत की लड़ाई लड़ने कि क्षमता भी और अधिक बढ़ जाएगी,” प्रफुल बख्शी जोर देकर कहते हैं।

मौजूदा समय में भारत का सालाना रक्षा व्यय 72.6 बिलियन डॉलर है।
भारत ने शुरुआत से ही रूस के An-12, MiG-21, MiG-23, Su-7, Su-20MKI, और MiG-29 जैसे लड़ाकू जहाजों का उपयोग किया है साथ ही हेलिकाप्टर में Mi-4, Mi-8, Mi-17, M-26 का उपयोग किया है।
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