पाकिस्तान ने ऑपरेशन चंगेज खान के साथ इस युद्ध की शुरुआत की थी, इसके दौरान उसकी वायु सेना ने 11 भारतीय हवाई स्टेशनों पर पूर्वव्यापी हवाई हमले किये थे, और दोनों देशों के मध्य युद्ध छिड़ गया था।
इस युद्ध के अंत में विश्व का सबसे बड़ा आत्मसमर्पण हुआ। पाकिस्तानी सेना के लगभग 93000 सैनिकों ने अपने हथियार भारतीय सेना के सामने डाल दिए। यह आत्मसमर्पण द्वितीय विश्व युद्ध के उपरांत विश्व का सबसे बड़ा आत्मसमर्पण था।
1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में क्या हुआ?
पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के शेख मुजीबुर रहमान के नेतृत्व वाली अवामी लीग ने दिसंबर 1970 में पाकिस्तान के आम चुनावों में पूर्ण बहुमत प्राप्त किया था। हालाँकि, पाकिस्तान के नेता ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो ने अवामी लीग को सरकार बनाने से मना कर दिया। इसके परिणामस्वरूप व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए। जब स्थिति अनियंत्रित हो गई, तो पाकिस्तान ने सैन्य कार्रवाई को आरंभ कर दिया।
इसके साथ पाकिस्तान ने 3 दिसंबर 1971 को भारत के साथ युद्ध शुरू किया। भारत-पाक 1971 का युद्ध पहला युद्ध था जब भारत सरकार ने तीनों सेनाओं को बड़े स्तर पर युद्ध में सम्मिलित किया।
यह युद्ध भारत के पूर्वी और पश्चिमी दो मोर्चों पर लड़ा गया। पूर्वी तरफ, पाकिस्तान ने भारतीय सैनिकों की घुसपैठ में देरी करने के लिए रक्षात्मक रणनीति अपनाई, जबकि पश्चिमी तरफ, उसने भारतीयों को पूर्वी पाकिस्तान में बढ़त छोड़ने और सैनिकों को मोड़ने के लिए आक्रामक नीति अपनाई।
1971 युद्ध में कैसे हुआ सबसे बड़ा आत्मसमर्पण?
मात्र 13 दिन चले इस युद्ध में लगभग 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को भारतीय सेना ने बंदी बना लिया, जिसमें पाकिस्तान सशस्त्र बलों के 79,676 से 81,000 वर्दीधारी कर्मी सम्मिलित थे, जिनमें कुछ बंगाली सैनिक भी थे जो पाकिस्तान के वफादार रहे थे।
यह युद्द 16 दिसंबर 1971 को ढाका में पाकिस्तानी सेना की पूर्वी कमान द्वारा समर्पण पत्र पर हस्ताक्षर करने के उपरांत समाप्त हुआ। इसके उपरांत "बांग्लादेश" नाम से नए राष्ट्र का जन्म हुआ।
इस भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान ज़मीनी स्तर पर, पाकिस्तान को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। उसके 8,000 लोग मारे गए और 25,000 घायल हुए, जबकि भारत में मात्र 3,000 लोग मारे गए और 12,000 घायल हुए थे।
इस युद्ध में अमेरिका को किसने डराके भगाया?
1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तान को पराजित होते हुए देख अमेरिका ने बंगाल की खाड़ी में अपने सातवें बेड़े को भेज दिया। परंतु, खाड़ी में प्रवेश करने से पहले रूसी प्रशांत बेड़े की उपस्थिति को देखकर अमेरिका पीछे हट गया।
यह एक महत्वपूर्ण कदम था, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश सामने आया।