भारत इस वर्ष अगस्त के महीने में जब चंद्रमा पर पहुंचा तो देश के 1.4 बिलियन भारतीयों के हर्ष का ठिकाना नहीं रहा। चंद्रयान-3 की सॉफ्ट-लैंडिंग ने विश्व भर में यह सिद्ध किया की इसरो बड़े से बड़े मिशन को अंजाम देने के लिए तैयार है।
2023 के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अगले आने वाले वर्षों में भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में भेजने, 2035 तक एक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन बनाने और 2040 तक चंद्रमा पर एक भारतीय को भेजने की तैयारी कर रहा है।
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने भी इस वर्ष को याद करते हुए कहा कि इसरो अब एक नई खुशहाल कक्षा में है। 2023 वास्तव में इसरो के युग का आगमन था।
Sputnik भारत इसरो द्वारा अंतरिक्ष साल 2023 में भेजे गए मिशनों के बारे में बताने जा रहा है।
इसरो का SSLV-D2/EOS-07 मिशन
साल का सबसे पहला मिशन इसरो ने फरवरी में लॉन्च किया। अपनी दूसरी विकासात्मक उड़ान में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) ने पृथ्वी अवलोकन उपग्रह EOS-07 सहित तीन उपग्रहों को निर्धारित कक्षाओं में स्थापित किया।
उड़ान भरने के लगभग 13 मिनट बाद तीन चरणों वाले रॉकेट ने EOS-07 को सफलतापूर्वक एक गोलाकार कक्षा में स्थापित कर दिया। मिशन की सफलता के बाद इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने कहा था कि हमारे पास नया लॉन्च व्हीकल है।
इसरो के अनुसार इस मिशन का उद्देश्य SSLV वाहन प्रणालियों के उड़ान प्रदर्शन को प्रदर्शित कर तीन उपग्रहों को 450 किमी गोलाकार कक्षा में स्थापित करना था।
LVM3 M3/ वनवेब इंडिया-2 मिशन
इसरो ने 26 मार्च 2023 को LVM3 M3/ वनवेब इंडिया-2 मिशन के तहत सभी 36 उपग्रहों को निर्धारित कक्षाओं में नियुक्त कर दिया।
इस मिशन का प्रक्षेपण आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से हुआ। नेटवर्क एक्सेस एसोसिएट्स लिमिटेड, यूनाइटेड किंगडम (वनवेब ग्रुप कंपनी) ने 72 उपग्रहों को लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) में लॉन्च करने के लिए इसरो की वाणिज्यिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
इससे पहले भी 23 अक्टूबर 2022 को इसरो ने वनवेब के 36 सैटेलाइट लॉन्च किए थे, री यूज़ेबल प्रक्षेपण यान स्वायत्त लैंडिंग मिशन (RLV LEX) इसरो ने इस मिशन को कर्नाटक के चित्रदुर्ग में स्थित एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (ATR) में सफलतापूर्वक आयोजित किया गया था।
इस मिशन का उद्देश्य रॉकेटों के दुबारा प्रयोग के लिए किया गया था। परीक्षण के दौरान एक पंख वाले बॉडी को भारतीय वायु सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर द्वारा 4.5 किमी की ऊंचाई तक उठाया गया, बाद में रनवे पर एक स्वतंत्र लैंडिंग को अंजाम देने के लिए छोड़ा गया।
RLV LEX अनिवार्य रूप से कम लिफ्ट-टू-ड्रैग अनुपात वाला एक अंतरिक्ष विमान है, जिसके लिए उच्च ग्लाइड कोणों पर दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है, जिसके लिए 350 किमी प्रति घंटे के उच्च वेग पर लैंडिंग की आवश्यकता होती है। इसमें अंतरिक्ष से वापस प्रवेश वाहन लैंडिंग के समान स्थितियों के तहत स्वायत्त लैंडिंग को निष्पादित किया गया था।
PSLV-C55/TeLEOS-2 मिशन
यह NSIL के माध्यम से एक समर्पित वाणिज्यिक मिशन था, जिसमें प्राथमिक उपग्रह के रूप में TeLEOS-2 और साथ में उपग्रह के रूप में Lumelite-4 था। इसरो ने पोलर उपग्रह प्रक्षेपण यान के प्रक्षेपण में दो ग्राहक उपग्रह लॉन्च किए।
228 टन वजनी PSLV ने अपनी 57वीं उड़ान में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष से पूर्व की ओर कम झुकाव वाली कक्षा में उड़ान भरी।
लॉन्च किए गए दोनों उपग्रह सिंगापुर के थे, जिनका कुल वजन 757 किलोग्राम है। यह भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के लिए वर्ष का तीसरा बड़ा प्रक्षेपण था, इसके आगे एजेंसी चंद्रयान-3 और पहले सौर मिशन आदित्य एल-1 जैसे बड़े मिशनों की तैयारी में भी है।
GSLV-F12/NVS-01 मिशन
इस मिशन को मई महीने में सफलतापूर्वक पूरा किया गया था। इस जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) मिशन ने लगभग 2232 किलोग्राम वजन वाले NVS-01 नेविगेशन सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित किया।
वाहन ने SDSC-SHAR, श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड से उड़ान भरने के लगभग 19 मिनट की उड़ान के बाद उपग्रह को इंजेक्ट किया।
NVS-01 भारतीय तारामंडल (NavIC) सेवाओं के साथ नेविगेशन के लिए परिकल्पित दूसरी पीढ़ी के उपग्रहों में से पहला है। एनवीएस श्रृंखला के उपग्रह उन्नत सुविधाओं के साथ NavIC को बनाए रखेंगे और बढ़ाएंगे।
LVM3-M4-चंद्रयान-3 मिशन
इसरो का सबसे महत्वाकांक्षी मिशनों में से एक चंद्रयान 3 मिशन उस वक्त एतिहासिक बन गया जब पहली बार लैंडर ने चंद्रमा की सतह पर 23 अगस्त को सॉफ्ट लैडिंग की, जिसके बाद भारत यह उपलब्धि प्राप्त करने वाला चौथा देश और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचने वाला पहला देश बन गया।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा द्वीप में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 14 जुलाई 2023 को 'लॉन्च व्हीकल मार्क-III' रॉकेट का लॉन्च किया गया था।
चंद्रमा पर लेजर-प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोपी (LIBS) उपकरण से लैस रोवर प्रज्ञान ने पहली बार इन-सीटू माप के माध्यम से सल्फर की उपस्थति की पुष्टि की थी।
इस मिशन के तहत इसरो ने सात विदेशी उपग्रहों के साथ अंतरिक्ष में अपने 56वें मिशन पर पोलर उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV-C56) को सफलतापूर्वक लॉन्च किया।
सिंगापुर सरकार और एसटी इंजीनियरिंग का प्रतिनिधित्व करने वाले डीएसटीए के मध्य सहयोग के माध्यम से बनाया गया डीएस-एसएआर उपग्रह, कई सिंगापुर सरकारी एजेंसियों और एसटी इंजीनियरिंग के वाणिज्यिक ग्राहकों की इमेजरी आवश्यकताओं को पूरा करेगा।
इसरो ने न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) के साथ एक अनुबंध के अंतर्गत यह प्रक्षेपण किया।
PSLV-C57/आदित्य-L1 मिशन
इसरो ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा द्वीप में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारत का पहला सौर मिशन आदित्य-एल-1 सफलतापूर्वक लॉन्च किया।
यह सूर्य के व्यापक अध्ययन के लिए समर्पित उपग्रह है। इसमें सात अलग-अलग पेलोड हैं - पांच इसरो द्वारा और दो इसरो के सहयोग से शैक्षणिक संस्थानों द्वारा निर्मित हैं, जो स्वदेशी रूप से विकसित किए गए हैं।
भारत का सौर मिशन उसके सफल चांद्र मिशन चंद्रयान-3 के बाद से ही चल रहा था। आदित्य-एल1 के माध्यम से इसरो ने सौर ऊर्जा के अध्ययन करने के लिए ये कदम उठाया है।
हाल ही में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि सूर्य का अध्ययन करने वाला भारत का पहला मिशन आदित्य-L1 जनवरी 2024 के प्रथम सप्ताह में अपने गंतव्य लैग्रेंज प्वाइंट 1 (L1) पर पहुंच जाएगा।