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जानें कौन से ड्रोनों का इस्तेमाल भारतीय सशस्त्र सेनाओं द्वारा किया जाता है?

मानव रहित हवाई वाहन (UAV) जिसे ड्रोन के नाम से भी जाना जाता है, यह एक ऐसा विमान है जो मानव रहित होता है और जिसे कई सौ किलोमीटर की दूरी से संचालित किया जा सकता है।
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किसी भी सेना द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले ड्रोन आम तौर पर टोही, निगरानी, लक्ष्य प्राप्ति, या यहां तक कि युद्ध संचालन जैसे मिशनों के लिए उपयोग में लाए जाते हैं, ये ड्रोन विभिन्न सेंसर और पेलोड जैसे कैमरे, रडार या हथियारों से लैस होते हैं।

आज के युग में भारतीय सेना भी दुश्मन से एक कदम आगे रहने के लिए ड्रोनों का इस्तेमाल कर रही है। सेना इनका उपयोग संभावित खतरों की पहचान करने और खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए करती है।

विश्व भर में ड्रोन या मानव रहित हवाई वाहनों (UAV) का उपयोग आतंकवाद विरोधी और उग्रवाद विरोधी अभियानों से आगे बढ़कर पूर्ण पैमाने पर पारंपरिक लड़ाई तक पहुंच गया है। भारत भी इन ड्रोनों को देश में विकसित करने के लिए तेजी से काम कर रहा है।
Sputnik India आज बताने जा रहा है उन ड्रोनों के बारे में जो भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा इस्तेमाल में लाए जाते हैं।

निशांत ड्रोन

DRDO द्वारा भारतीय सेना के लिए यह UAV निर्मित किया गया था, इसे कैटापुल्ट तकनीक वाले लॉन्चिंग सिस्टम के जरिए उड़ाया जाता है।
यह स्व-चालित नहीं होता है और यह पैराशूट की मदद से नीचे उतरता है। रेपोर्टों के अनुसार, सेना को चार निशांत यूएवी दिए गए थे।

रुस्तम

भारत के प्रमुख रक्षा अनुसंधान संस्थान DRDO द्वारा विकसित किये गए रुस्तम ड्रोन ने 25 फरवरी, 2018 को सफल परीक्षण उड़ान भरी। अधिकारियों ने कहा कि रुस्तम-2 को सशस्त्र बलों के लिए 24 घंटे की निगरानी और टोही (ISR) भूमिका निभाने के लिए विकसित किया जा रहा है।
यह भारतीय सशस्त्र बलों की तीनों सेवाओं को समर्पित है। यह UAV पहियों के साथ है, इसके वेरिएंट रुस्तम-2 पर भी ज्यादा स्पेसिफिकेशन और ड्यूरेबिलिटी का काम चल रहा है।

लक्ष्य-पायलट रहित लक्ष्य विमान

इस पायलट रहित लक्ष्य विमान का निर्माण सेना, नौसेना और वायुसेना के प्राथमिक उपयोग के लिए HAL और DRDO के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (ADE) द्वारा किया गया है। इसके विकास का मुख्य उद्देश्य लक्ष्य प्राप्ति और टोही है।
कुल मिलाकर किसी भी ड्रोन की काबिलियत इस बात पर निर्भर करती है कि वह कितना ऊपर जा सकता है और कितना पेलोड ले जाने में सक्षम है।
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हेरॉन UAV

माना जाता है कि हेरॉन UAV लगभग 32,000 फीट की ऊंचाई पर एक बार में 24 घंटे से अधिक समय तक उड़ान भरने में सक्षम है। इसकी अधिकतम सीमा लगभग 3,000 किमी है और अधिकतम 250 किलोग्राम वजन का पेलोड ले जाने में सक्षम है।

हार्पी ड्रोन

हार्पी एक UAV हथियार है जिसे रडार सिस्टम पर हमला करने के लिए डिज़ाइन किया गया है और यह उच्च विस्फोटक हथियार ले जा सकता है।

इसकी अधिकतम गति 185 किमी/घंटा और उड़ान की सीमा 500 किमी है।

सर्चर मार्क II

भारतीय सेना सर्चर एमके I और II दोनों का संचालन करती है। यह 16 घंटे तक हवा में रह सकता है और 18,500 फीट की अपेक्षाकृत ऊंचाई पर इसकी अधिकतम सीमा 150 किलोमीटर है, जो इसे हिमालय पर मिशन के लिए विशेष रूप से उपयुक्त बनाती है।

खबरों के मुताबिक भारतीय सेना ने कथित तौर पर पाकिस्तान और चीन के साथ अपनी सीमाओं पर 25 सर्चर मार्क II UAV के अपने पहले बैच को तैनात किया है। भारतीय सशस्त्र बलों में भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना इसका उपयोग करती हैं।
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