रिपोर्ट के अनुसार कुर्ता-पायजामा अपनाने का निर्णय एडमिरल आर हरि कुमार की अध्यक्षता में नौसेना कमांडरों के सम्मेलन के दौरान चर्चा के बाद लिया गया है, जिसमें पोशाक को 'राष्ट्रीय नागरिक पोशाक' के रूप में मान्यता देने पर जोर दिया गया।
नया ड्रेस कोड
नौसेना ने अपने सभी कमानों और प्रतिष्ठानों को पोशाक के लिए दिशानिर्देश निर्दिष्ट करते हुए आदेश जारी किए हैं। दिशानिर्देशों में कहा गया है कि कुर्ता 'सॉलिड टोन' का हो, जिसकी लंबाई घुटनों तक होनी चाहिए और आस्तीन पर बटन या कफ-लिंक हो। इसके अलावा, पाजामा या तो पतलून से मेल खाना चाहिए या इसके विपरीत होना चाहिए, जिसमें एक इलास्टिक वेस्टबैंड और साइड पॉकेट हो।
अधिकारी ने कहा, "स्लीवलेस और स्ट्रेट-कट वास्कट या जैकेट में 'मैचिंग पॉकेट स्क्वायर' का उपयोग किया जा सकता है। महिला अधिकारियों के लिए भी ऐसे ही निर्देश हैं जो 'कुर्ता-चूड़ीदार' या 'कुर्ता-पलाज़ो' पहनना चाहती हैं। यह नया ड्रेस कोड युद्धपोतों या पनडुब्बियों के लिए लागू नहीं है।"
दरअसल कुर्ता-पायजामा को अनुमति देने का नौसेना का निर्णय अतीत से एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है, जहां थल सेना, वायुसेना और नौसेना के मेस में इस तरह की पोशाक पर सख्ती से प्रतिबंध था।
बता दें कि औपनिवेशिक परंपराओं को समाप्त करने की पहल के तहत नौसेना में ड्रेस कोड बदल दिया गया और हाथ में छड़ी लेकर चलने की प्रथा को अधिकारियों ने बंद कर दिया है। इसके अलावा नौसेना में नाविकों के रैंक का 'भारतीयकरण' करने की भी तैयारी चल रही है।