भारत-रूस संबंध
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मास्को में होने वाली मोदी-पुतिन वार्ता से क्या अपेक्षाएँ हैं?

रूस की यह यात्रा भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली आधिकारिक यात्रा होगी। यह दर्शाता है कि नई दिल्ली मास्को को एक प्रमुख रणनीतिक साझेदार के रूप में देखता है।
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भारत में तीसरी बार चुनाव जीतकर आने के बाद भारतीय प्रधानमंत्री मोदी 8-9 जुलाई के मध्य रूस की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा पर जाएंगे, जहां वे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भेंट कर भारतीय निर्यात को बढ़ाने जैसे प्रमुख प्राथमिकता वाले मुद्दों पर बात करेंगे।
पीएम मोदी की यात्रा से पहले एक विशेष संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए शुक्रवार को भारतीय विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा कि भारत G7 द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बजाय संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को मान्यता देता है।
इसके अतिरिक्त क्वात्रा ने कनेक्टिविटी सहयोग को एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बताते हुए INSTC और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक कॉरिडोर की प्रगति का भी उल्लेख किया। मास्को में होने वाली मोदी-पुतिन वार्ता में दोनों देशों द्वारा द्विपक्षीय मुद्दों की समीक्षा के साथ रक्षा, व्यापार, निवेश संबंध, ऊर्जा सहयोग, एसएमटी, शिक्षा और लोगों के बीच के आदान-प्रदान पर बात की जाएगी।
नई दिल्ली और मास्को BRICS, शंघाई सहयोग संगठन, G20, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन और संयुक्त राष्ट्र जैसी बैठकों में द्विपक्षीय जुड़ाव की स्थिति का आकलन करने के साथ साथ आपसी हितों के क्षेत्रीय और वैश्विक विकास पर भी दृष्टिकोण साझा करेंगे।
इस भेंट से पहले पिछले वर्ष भारत में G20 शिखर सम्मेलन और दक्षिण अफ्रीका में BRICS शिखर सम्मेलन के दौरान ऐसे अवसर आए जब दोनों नेता मिल सकते थे, हालांकि दोनों की भेंट संभव नहीं हो पाई। इस बार, मोदी व्यापक द्विपक्षीय रणनीतिक संबंधों के अतिरिक्त भारत के यूरेशियन जुड़ाव के लिए बहुत महत्वपूर्ण देश रूस से आरंभ करेंगे।
भारत-रूस संबंध
रूस ने उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे के माध्यम से भारत को पहली बार कोयला आपूर्ति की
हाल के वर्षों में, भारत और रूस के बीच व्यापार में अद्भुत उछाल देखने को मिल रहा है जो 2021-22 में 13 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 2023-24 में 65.70 बिलियन अमरीकी डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुँच गया है।
इस वर्ष के अंत तक, भारत और रूस आपसी वीज़ा-मुक्त यात्रा को लागू करने की संभावना भी देख रहे हैं जिससे पर्यटन और लोगों के मध्य संपर्क को बढ़ावा मिलेगा। भारत पीएम मोदी की यात्रा के दौरान रूस में दो और वाणिज्य दूतावास खोलने की घोषणा कर सकता है, जो इस बात का संकेत है कि भविष्य में दोनों पक्षों द्वारा आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को पर्याप्त महत्व मिलेगा।

मोदी-पुतिन शिखर सम्मेलन के लिए द्विपक्षीय संदर्भ में अच्छा वातावरण बना है। रूस ने जून 2024 के अंत में अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) के माध्यम से भारत को कोयले की आपूर्ति की दो ट्रेनें भेजी थीं। यह मार्ग भारत के लिए रूसी बाजार से जुड़ने के लिए स्वेज नहर मार्ग से छोटा और सस्ता है।
दोनों नेता रूस के सुदूर पूर्व में भारत-रूस सहयोग पर भी चर्चा करेंगे, एक ऐसा क्षेत्र जो 2019 में पीएम मोदी द्वारा घोषित भारत की एक्ट फार ईस्ट नीति का विशेष फोकस है। भारत और रूस के मध्य गतिशीलता और प्रवास के संदर्भ में कुछ और विकास की आशा है, क्योंकि भारतीय जनशक्ति इस जनसांख्यिकी-कमी वाले क्षेत्र को विकसित करने में सहायता कर सकती है।
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पुतिन से बातचीत के लिए मोदी 8-9 जुलाई को रूस में होंगे: क्रेमलिन
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