गोवा शिपयार्ड में ही इसी क्लास का एक और फ्रिगेट तैयार हो रहा है जिसका जलावतरण इस साल के अंत तक होने की संभावना है। इस क्लास का पहला फ्रिगेट तुशील सितंबर तक नौसेना में शामिल होने के लिए तैयार है जिसका निर्माण रूस के यांतर शिपयार्ड में हुआ है। यांतर शिपयार्ड में ही दूसरा फ्रिगेट तमाला भी अगले साल यानि 2025 तक नौसेना में शामिल होगा।
तेग क्लास फ्रिगेट ज़मीन पर या दुश्मन के जहाज़ पर हमला करने के लिए ब्रह्मोस मिसाइल से लैस हैं। हवाई हमले से जहाज़ को बचाने के लिए इसमें मध्यम दूरी की मिसाइल श्टिल लगी है जिसकी रेंज 30 से 50 किमी तक है। ड्रोन या हेलीकॉप्टर से निबटने के लिए इसमें इग्ला मिसाइल लगाई गई है जिसकी रेंज 5 से 6 किमी तक है। दुश्मन की सबमरीन से निबटने के लिए जहाज़ में एंटी सबमरीन रॉकेट्स और टॉरपीडो लगाए गए हैं।
समुद्र की सतह पर नज़र रखने के लिए लगाए गए रडार और पानी के अंदर तलाश करने के लिए लगाए गए सोनार अत्याधुूनिक हैं। जहाज़ में लगा कॉम्बेट मैनेजमेंट सिस्टम हर हथियार को कम समय में और कारगर ढंग से इस्तेमाल करने में मदद करता है।
तेग क्लास के फ्रिगेट की अधिकतम रफ्तार 30 नॉटिकल मील प्रति घंटे की है और इस रफ्तार से यह एक बार में 3000 किमी तक की दूरी तय कर सकता है। तेग क्लास के फ्रिगेट्स भारतीय नौसेना में एक दशक से ज्यादा समय से हैं और इनका प्रदर्शन शानदार रहा है।
तेग क्लास को तलवार क्लास फ्रिगेट्स का नया संस्करण कहा जाता है जो लगभग एक ही जैसी क्षमता के हैं। तेग और तलवार क्लास के कुल 6 फ्रिगेट्स इस समय भारतीय नौसेना में काम कर रहे हैं। तलवार क्लास के फ्रिगेट्स को भी ब्रह्मोस मिसाइल से लैस किया जा रहा है जिससे उसकी मारक क्षमता भी तेग क्लास के बराबर हो जाएगी।