नौसेना के लगभग सभी बड़े जहाज़ों में कम वज़नी हेलीकॉप्टर नियुक्त रहते हैं जिनमें से बड़ी संख्या चेतक या चीता हेलीकॉप्टरों की होती है। रक्षा सूत्रों के अनुसार कम वज़नी हेलीकॉप्टरों की खरीद के निर्णय के लिए ज़रूरी कार्यवाहियां पूरी हो गई हैं और इस वर्ष में इस अनुबंध को स्वीकृति मिल जाएगी।
बेंगलुरू स्थित हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानि HAL में विकसित हुआ LUH 3 टन वज़न उठा सकता है या 6 यात्रियों को ले जा सकता है। यह समुद्र की सतह पर 235 किमी की गति से उड़ान भर सकता है और एक बार में 350 से लेकर 500 किमी तक उड़ान भर सकता है।
LUH को सहजता से 21000 फीट से अधिक की ऊंचाई तक उड़ाया जा सकता है। इससे निगरानी, टोह लेने और आपातकालीन परिस्थितियों में हल्के परिवहन का कार्य किया जा सकता है। इसमें शीशे का कॉकपिट है जो राहत और बचाव कार्यों के दौरान पायलट को बेहतर ढंग से देखने में सहायता करता है।
नौसेना के अतिरिक्त भारतीय सेना, वायुसेना और तटरक्षक बल भी LUH खरीदने की प्रक्रिया आरंभ कर रहे हैं। 2021 में रक्षा मंत्रालय ने सेना और वायुसेना के लिए 12 LUH का सीमित उत्पादन करने का निर्णय किया था। जबकी तीनों सेनाओं को आने वाले समय में 400 से अधिक LUH की आवश्यकता होगी।
नौसेना अपने जंगी जहाज़ों में आपात परिस्थितियों के लिए या टोह लेने के लिए फ्रांस से खरीदे गए चेतक-चीता जैसे कम वज़नी हेलीकॉप्टर का प्रयोग करती है। भारतीय नौसेना, सेना और वायुसेना तीनों ही कम वज़नी परिवहन विमान के लिए पिछले 3-4 दशक से कर रही हैं।
पिछले एक दशक से इन्हें परिवर्तित करने की आवश्यकता अनुभव की जा रही थी। रक्षा मंत्रालय ने इस तरह के 400 हेलीकॉप्टर खरीदने पर विचार आरंभ किया था। पहले इन्हें परिवर्तित करने के लिए रूसी कामोव 226 पर भी विचार किया गया परंतु अंत में सभी हेलीकॉप्टर स्वदेश से ही लेने का निर्णय लिया गया है।