रक्षा मंत्री ने रेखांकित किया कि सूचना युद्ध, एआई आधारित युद्ध, प्रॉक्सी युद्ध, विद्युत-चुंबकीय युद्ध, अंतरिक्ष युद्ध और साइबर हमले जैसे कई अपरंपरागत तरीके अब हमारे लिए चुनौती पेश कर रहे हैं।
सिंह ने कहा, "कुछ देशों का इलेक्ट्रॉनिक चिप्स के उत्पादन पर बहुत ज़्यादा नियंत्रण है, जो एक बड़ी समस्या हो सकती है। साथ ही, जब एक ही कंपनी या देश के पास इन चिप्स को बनाने के लिए ज़रूरी ख़ास सामग्री होती है, तो इससे और भी ज़्यादा चुनौतियां पैदा होती हैं। हाइब्रिड युद्ध और ग्रेज़ोन युद्ध हमारी चुनौतियों को और बढ़ा रहे हैं।"
इसके अलावा उन्होंने कहा कि इस चुनौतीपूर्ण स्थिति में यह आवश्यक हो जाता है कि भारतीय सेना ऐसी सभी परिस्थितियों के लिए अच्छी तरह प्रशिक्षित और सुसज्जित रहे। यह देखकर बहुत खुशी होती है कि महू के प्रशिक्षण केंद्र इन प्रयासों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। यह स्थान 200 से अधिक वर्षों से अपनी सैन्य वीरता के लिए जाना जाता है।
रक्षा मंत्री ने कहा, "हमारी सरकार तीनों सेनाओं के बीच एकीकरण और एकजुटता बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। क्योंकि भविष्य में हमारे सामने ऐसी चुनौतियां आएंगी, जिनका सामना हमारी सेनाएं मिलकर बेहतर तरीके से कर सकेंगी।"