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पाकिस्तान-बांग्लादेश व्यापार बहाली: भारत के सामरिक और आर्थिक हितों पर असर

पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच नए ब्यापार समझौते को देखते हुए Sputnik इंडिया ने पूर्व भारतीय राजनयिक से बात करके पाकिस्तान-बांग्लादेश व्यापार बहाली के बाद भारत पर पड़ने वाले इसके प्रभाव का विश्लेषण किया।
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पाकिस्तानी अखबार के अनुसार भारत के दो पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच 1971 के बाद पहली बार प्रत्यक्ष रूप से व्यापार शुरू हुआ है, जिसके अंतर्गत पोर्ट कासिम से सरकारी इजाजत के साथ माल की पहली खेप रवाना हुई है।
इस व्यापार समझौते को फरवरी महीने की शुरुआत में अंतिम रूप दिया गया, जब बांग्लादेश ने ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ पाकिस्तान (TCP) के माध्यम से 50,000 टन पाकिस्तानी चावल खरीदने पर सहमति जताई।

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार ने बताया, "पहली बार, सरकारी माल ले जाने वाला पाकिस्तान नेशनल शिपिंग कॉरपोरेशन (PNSC) का जहाज बांग्लादेशी बंदरगाह पर डॉक करेगा, जो समुद्री व्यापार संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।"

पाकिस्तान से 50,000 टन चावल आयात का शिपमेंट दो चरणों में पूरा किया जाएगा। हालांकि इस व्यापारिक घटनाक्रम को दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने और दशकों से बंद पड़े व्यापार चैनलों को फिर से खोलने की दिशा में एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है।
पिछले साल अगस्त के महीने में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ कर जाने को विवश होना पड़ा और मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार के आने के बाद से पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय संबंधों में सुधार देखा जा रहा है।
बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद नई अंतरिम सरकार के प्रभाव में आने के बाद से ही पाकिस्तान के साथ उनके संबंधों में लगातार सुधार हो रहा है। 33 साल तक भारत के राजदूत के तौर पर काम कर चुके पूर्व राजनयिक जे.के. त्रिपाठी ने भारत के दो पड़ोसियों के बीच मजबूत होते संबंधों के बीच दक्षिण एशिया में भारतीय प्रभाव पर अपनी टिप्पणी देते हुए कहा कि भारत को उसी तरह जवाब देना चाहिए, जिस तरह उसने पिछले साल मालदीव के साथ स्थिति को संभाला था।

पूर्व राजनयिक जे.के. त्रिपाठी ने कहा, "भारत को बांग्लादेश के साथ भी ऐसा ही दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। हम जानते हैं कि बांग्लादेश वर्तमान में पाकिस्तान के साथ गठबंधन कर रहा है। हालांकि, भारत को अपना संयम नहीं खोना चाहिए। हमें बांग्लादेश के साथ वैसा ही व्यवहार जारी रखना चाहिए जैसा हम हमेशा से करते आए हैं, साथ ही उन्हें यह याद दिलाना चाहिए कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा अस्वीकार्य है।"

जे.के. त्रिपाठी ने भारत और बांगलादेश के बीच के हालिया संबंधों पर बात करते हुए कहा कि भारत के बांग्लादेश के साथ संबंध हमारी तरफ से खराब नहीं होने चाहिए। समय के साथ, बांग्लादेश को यह एहसास हो जाएगा कि वह भारत के बिना काम नहीं चला सकता।

पूर्व राजनयिक त्रिपाठी कहते हैं, "बांग्लादेश अपनी बुनियादी जरूरतों, विशेषकर बिजली और पानी, को पूरा करने में असमर्थ है। पाकिस्तान भले ही चावल या चीनी की कुछ आपूर्ति कर सकता है, लेकिन अपनी संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था के कारण वह लंबे समय तक इस सहायता को बनाए नहीं रख सकता। हमने पहले भी ऐसी ही परिस्थितियाँ देखी हैं।"

समुद्री व्यापार पर:

पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच समुद्री व्यापार बढ़ने से बंगाल की खाड़ी में भारत के सामरिक हितों के बारे में बात करते हुए पूर्व राजनयिक ने कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच समुद्री व्यापार का मतलब है कि पाकिस्तानी जहाज़ बंगाल की खाड़ी के ज़रिए बांग्लादेश पहुँचने के लिए दक्षिणी भारतीय प्रायद्वीप का चक्कर लगाएँगे। इससे बांग्लादेश की लागत और समय दोनों बढ़ जाएँगे।

उन्होंने कहा, "भारत को यहां कोई बड़ी चिंता नहीं है। हमारे पास पहले से ही निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप में मज़बूत रक्षा ठिकाने हैं। इसके अलावा, भारत के व्यापार की तुलना में पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच होंने वाले व्यापार की मात्रा बहुत कम है।"

भारत और पाकिस्तान के व्यापारिक आंकड़ों के बारे में बात करते हुए विदेशी मामलों के जानकार त्रिपाठी ने बताया कि 2023-24 में भारत का वैश्विक व्यापार (निर्यात और आयात) 1.12 ट्रिलियन डॉलर था। इसकी तुलना में पाकिस्तान के साथ हमारा व्यापार सिर्फ़ 285 मिलियन डॉलर था, जबकि बांग्लादेश के साथ व्यापार 2023-24 में 1.12 बिलियन डॉलर और 2024-25 में 1.3 बिलियन डॉलर था। यह हमारे कुल व्यापार का 1% भी नहीं है, इसलिए आर्थिक रूप से चिंता की कोई बात नहीं है।

जे.के. त्रिपाठी ने जोर देकर कहा, "व्यापारिक आंकड़ों के अलावा, बांग्लादेश बिजली, पानी और अन्य आवश्यक आपूर्ति के लिए भी भारत पर बहुत अधिक निर्भर है। वे पाकिस्तान या चीन से बिजली आयात नहीं कर सकते क्योंकि भारत दोनों देशों के बीच में स्थित है। म्यांमार में भी बांग्लादेश को बिजली की आपूर्ति करने की क्षमता नहीं है। समय के साथ साथ बांग्लादेश भारत के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने के महत्व को भलीभांति समझ जाएगा।"

आर्थिक हितों की सुरक्षा पर:

दक्षिण एशिया में स्थिरता और सहयोग को बढ़ावा देते हुए भारत द्वारा अपने आर्थिक हितों की सुरक्षा किए जाने पर पूर्व राजनयिक जे.के. त्रिपाठी ने बताया कि भारत के पाकिस्तान को छोड़कर अधिकांश दक्षिण एशियाई देशों के साथ मजबूत संबंध हैं। पिछले अगस्त तक बांग्लादेश के साथ भी हमारे संबंध अच्छे थे। नेपाल, भूटान, श्रीलंका, मालदीव, म्यांमार और अफगानिस्तान के साथ हमारे व्यापारिक संबंध मजबूत बने हुए हैं।

पूर्व राजनयिक त्रिपाठी ने कहा, "बांग्लादेश के साथ, भारत को सावधानी से आगे बढ़ने की जरूरत है। क्षेत्र के कई छोटे देश प्रायः भारत के सामने खुद को कमजोर महसूस करते हैं, जिससे "बिग ब्रदर सिंड्रोम" की स्थिति उत्पन्न होती है। इन देशों को कभी-कभी लग सकता है कि भारत उन पर हावी होने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, छोटी-छोटी रियायतें देकर और स्थिर दृष्टिकोण बनाए रखकर, भारत अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध बनाए रख सकता है।"

त्रिपाठी ने भारत के पड़ोसी देश नेपाल के साथ संबद्धों पर कहा कि भारत नेपाल के लिए जीवन रेखा है, क्योंकि उनके देश में लगभग सभी सामग्रियों का आयात कोलकाता से होते हैं। चीन और नेपाल के बीच प्रस्तावित ट्रांस-हिमालयन सड़क और रेल परियोजना अभी तक मूर्त रूप नहीं ले पाई है। राजपक्षे के बाद श्रीलंका के साथ भारत के संबंध बेहतर हुए हैं और मालदीव के साथ भी हमारे संबंध फिर से पटरी पर आ गए हैं।
अंत में विदेशी मामलों पर त्रिपाठी ने कहा, "आर्थिक रूप से, भारत मजबूत है। 1.12 ट्रिलियन डॉलर के हमारे वैश्विक व्यापार का मतलब है कि पड़ोसी देशों के साथ मामूली व्यवधान होने पर भी, वे हमारी अर्थव्यवस्था या राष्ट्रीय सुरक्षा को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित नहीं करेंगे।"
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