सूत्रों ने Sputnik India को बताया कि स्वदेशी इंजन को ज़मीन, युद्धपोत और फ़ाइटर जेट से फ़ायर होने वाली ब्रह्मोस के साथ-साथ ब्रह्मोस NG यानी भविष्य की ब्रह्मोस में भी लगाया जा सकता है।
ब्रह्मोस NG के उत्पादन के लिए इसी साल लखनऊ में नई फैक्टरी की शुरुआत की गई है। ब्रह्मोस NG का भार 1.5 टन तक हो सकता है और उसकी रेंज 1200 किमी से भी ज्यादा होगी। ब्रह्मोस NG को भारतीय वायुसेना के मिग-29 और स्वदेशी फ़ाइटर जेट तेजस में लगाया जा सकता है।
हाल ही में भारतीय वायुसेना के सुखोई-30 फ़ाइटर जेट को ब्रह्मोस से लैस किया गया है जिसकी रेंज 800 किमी तक है। भारतीय वायुसेना के कुल 40 सुखोई-30 विमानों को ब्रह्मोस से लैस किया गया है।
ब्रह्मोस भारत और रूस का साझा उत्पादन है। ब्रह्मोस का प्रयोग भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना तीनों ही करती हैं। इसे ज़मीन, हवा या समुद्र से लॉन्च किया जा सकता है। भारतीय नौसेना के लगभग सभी प्रमुख युद्धपोतों को ब्रह्मोस से लैस किया जा चुका है।
ब्रह्मोस भारत का पहला बड़ा सैनिक निर्यात है जिसे फिलीपींस को निर्यात किया गया है। वियतनाम, इंडोनेशिया और ब्राज़ील सहित कई देशों ने ब्रह्मोस को खरीदने में रुचि दिखाई है।