Explainers
पेचीदा कहानियाँ सुर्खियां बटोरती हैं लेकिन कभी कभी वे समझने के लिए मुश्किल और समय बर्बाद करनेवाले हो सकते हैं, और समय का मतलब पैसा है, तो आइए हमारे साथ अपना पैसा और समय बचाइए। दुनिया के बारे में हमारे साथ जानें।

श्रीलंका में लोग नए आतंकवाद विरोधी बिल का विरोध क्यों कर रहे हैं?

© AFP 2023 ISHARA S. KODIKARASri Lanka
Sri Lanka  - Sputnik भारत, 1920, 25.04.2023
सब्सक्राइब करें
द्वीप देश के विपक्षी दल और नागरिक समाज समूहों ने आतंकवाद विरोधी अधिनियम (ATA) पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह सामान्य नागरिक के विरोध को लक्षित करता है जो पिछले साल के मध्य में चल रहे आर्थिक संकट से निपटने में तत्कालीन सरकार की विफलता को लेकर हुआ था।
श्रीलंका में कठोर आतंकवाद विरोधी कानून की जगह लाए जा रहे एक नए विवादास्पद आतंकवाद विरोधी बिल के खिलाफ व्यापक विरोध के कारण मंगलवार को उत्तरी और पूर्वी प्रांतों में सामान्य जीवन बाधित हो गया।
दरअसल नया आतंकवाद विरोधी अधिनियम (ATA) साल 1979 के कुख्यात आतंकवाद निवारण अधिनियम (PTA) की जगह लेगा। पीटीए को साल 1979 में तमिल अल्पसंख्यक उग्रवादी समूहों द्वारा अलगाववादी हिंसा के अभियान का मुकाबला करने के लिए एक अस्थायी व्यवस्था के रूप में पेश किया गया था।
गौरतलब है कि 1 अप्रैल को, प्रधान मंत्री दिनेश गुणावर्धने ने संवाददाताओं से कहा कि नया आतंकवाद विरोधी कानून इस महीने के अंत में पेश किया जाएगा।
Sri Lanka  - Sputnik भारत, 1920, 04.04.2023
विश्व
श्रीलंका ने नीतिगत सुधारों में भारत से मदद मांगी
उत्तरी और पूर्वी प्रांतों के सूत्रों ने मीडिया को बताया कि तमिल नेशनल एलायंस (TNA) द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन, नए आतंकवाद विरोधी अधिनियम (ATA ) के खिलाफ हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि उत्तरी जाफना के तेनमराच्ची, कोडिकमम और चावाकचेरी में तीन संभागों में सभी दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद होने से जनजीवन ठप हो गया।
मार्च के मध्य में सरकार ने एक नया विधेयक अधिसूचित किया था जो पीटीए की जगह लेने को तैयार है। लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (लिट्टे) के तीन दशकों के सशस्त्र संघर्ष के दौरान सैनिकों द्वारा पीटीए का व्यापक रूप से उपयोग किया गया था। लिट्टे देश के उत्तर और पूर्व में एक अलग तमिल मातृभूमि स्थापित करना चाहता था।
इस बीच अंतर्राष्ट्रीय अधिकार समूहों और तमिल पार्टियों ने पीटीए के प्रावधानों की निंदा की है जो अदालतों में आरोप दायर किए बिना कई वर्षों तक मनमाने ढंग से हिरासत में रखने की अनुमति देते हैं। लिट्टे के साथ सम्बन्ध होने के आरोप में तमिलों को बिना किसी आरोप के 20 वर्षों से अधिक समय तक हिरासत में लिए जाने के मामले सामने आए हैं।
बता दें कि साल 1979 से श्रीलंका के अलगाववादी विरोधी अभियान में पीटीए का व्यापक रूप से उपयोग किया गया था, जब तक कि 2009 में एक अलगाववादी तमिल मातृभूमि के लिए लड़ने वाले लिट्टे को कुचल नहीं दिया गया था।
न्यूज़ फ़ीड
0
loader
चैट्स
Заголовок открываемого материала