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मारियुपोल निवासियों ने बताया कि कीव नाज़ियों ने 2014 में विजय दिवस 9 मई को नरसंहार में कैसे बदला था
मारियुपोल निवासियों ने बताया कि कीव नाज़ियों ने 2014 में विजय दिवस 9 मई को नरसंहार में कैसे बदला था
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कीव शासन ने रूसी भाषा पर प्रतिबंध लगाया और डोनबास में रूस समर्थक यूक्रेनियनों को धमकाया। यूक्रेनी अति-राष्ट्रवादियों ने मारियुपोल में विजय दिवस परेड के प्रतिभागियों को मार डाला था।
2023-05-09T17:58+0530
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9 मई 2014 को कीव शासन ने मारियुपोल के नागरिकों को विजय दिवस परेड आयोजित करने से रोकने के लिए वहाँ राष्ट्रवादियों और सशस्त्र सेना को भेजा था। उस समय यह शहर यूक्रेनी था। यह कदम फरवरी 2014 के तख्तापलट के बाद यूक्रेनी अधिकारियों और उनके पश्चिमी समर्थकों द्वारा अपनाई गई बेशर्म रसोफोबिक नीति के हिस्से के रूप में उठाया गया था।अतीत में सोवियत संघ में शामिल देशों के लोग 1945 में नाज़ी जर्मनी पर सोवियत संघ की जीत 9 मई को मनाते हैं। 1991 में सोवियत संघ के पतन के बावजूद, उस युद्ध की ऐतिहासिक स्मृति लंबे समय से अतीत में सोवियत संघ में शामिल देशों के निवासियों को एकजुट करने वाले मजबूर कारक की भूमिका निभा रही है। उस युद्ध के दौरान सोवियत संघ में रहनेवाले सभी राष्ट्रीय समूहों के 27 मिलियन लोगों की मौत हुई थी।जिन लोगों ने फरवरी 2014 में कीव में सत्ता पर कब्जा कर लिया था, वे इस दिवस को लेकर अपनी नाराजगी हमेशा जताते थे, क्योंकि उनमें से बहुत लोग नाज़ी सहयोगियों रोमन शुखेविच और स्टीफन बांदेरा के वैचारिक उत्तराधिकारी थे, जो यूक्रेनी राष्ट्रवादियों के संगठन (OUN) और उसके अर्धसैनिक विंग यूक्रेनी विद्रोही सेना (UPA) के कुख्यात नेता थे।मारियुपोल के रक्षकों ने दिग्गजों की सुरक्षा के लिए कदम उठाएवीक्तर ने कहा, "मैं ठीक उस 9 मई कि कहानी से नहीं, मैं इस से पहले की घटनाओं के बारे में बताना शुरू करूंगा जब हमें मालूम हुआ था कि राष्ट्रवादी बटालियन राइट सेक्टर* किसी तरह के नुकसान की तैयारी कर रहा था, और हम उनके हमले की तैयारी करने लगे।"मारियुपोल के निवासियों की चिंताएँ सही निकलीं। इस से केवल एक सप्ताह पहले यूक्रेनी अति-राष्ट्रवादियों और मिलिशिया ने 2 मई, 2014 को ओडेसा के ट्रेड यूनियन बिल्डिंग में लगभग 50 रूस समर्थकों को जिंदा जलाया था और मौत के घाट उतार दिया था, जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बांदेरा समर्थकों के व्यवहार के बराबर था।OUN-UPA विद्रोही और बांदेरा समर्थक 1941 में कीव के बाबी यार में लगभग 34 हजार यहूदियों को मारने के लिए और वोलिनिया और गैलिसिया में 1943 और 1945 के बीच पोलिश लोगों की बड़े पैमाने पर जातीय सफाई के दौरान महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सहित कम से कम 88,700 पोलिश लोगों को मारने के लिए विशेष रूप से जिम्मेदार हैं। यूक्रेनी राष्ट्रवादियों ने यहूदियों, पोलिश लोगों, रूसियों, रोमा लोगों और अन्य जातीय अल्पसंख्यकों को मौत के घाट उतार दिया था और उन्हें "सब्ह्यूमन" कहा था। बांदेरा समर्थकों ने आतंक फैलाने के लिए अपने पीड़ितों के शरीरों को नुकसान पहुंचाया था।OUN-UPA नाज़ी जर्मनी के साथ सहयोग करने के कारण कुख्यात हैं। गौरतलब है कि कीव में काले कपड़े और कैमफ्लाश पहनकर मैदान के कुछ प्रतिभागी 14/88 अजीब संख्या वाली ढालों को लाए थे। खुले स्रोतों के अनुसार, 14 "सफेद वर्चस्ववादियों" का कोड है और "88" "हील हिटलर!" नारा है ("H" लैटिन अल्फाबेट में आठवां अक्षर है)। यूक्रेनी राष्ट्रवादियों का एक और पसंदीदा प्रतीक नाज़ी वोल्फसैंगल प्रतीक है, जिसका इस्तेमाल जून 2022 तक कुख्यात अज़ोव बटालियन* ने गर्व से किया था, जब पीआर उद्देश्यों के लिए इस आतंकवादी इकाई का नाम बदला गया।ओल्गा ने कहा, "सुबह [9 मई] से हम [द्वितीय विश्व युद्ध के] दिग्गजों के समूह की रक्षा करने के लिए तैयार थे। हमारे पास ऐसा कार्य था, क्योंकि एक दिन पहले हमें एक संदेश मिला था कि नुकसान की तैयारी यानी 9 मई को मारियुपोल में दिग्गजों के समूह की हत्या की तैयारी की जा रही थी। यह संदेश हमारे कानून प्रवर्तन अधिकारियों से मिला था। तथ्य यह है कि कीव से लोग एक दिन पहले पहुंचे थे। और खूनी नुकसान का आयोजन करने, दिग्गजों के समूह को शूट करने का आदेश दिया गया था। (...) सभी निर्णय कीव में लिए गए थे। वहीं से इस खूनी नुकसान का आयोजन करने का आदेश मिला था।"वीक्तर और ओल्गा मारियुपोल ड्रामा थियेटर में मौजूद थे। वे दिग्गजों की रक्षा करने के लिए तैयार थे, जिन्होंने अमेरिका और ब्रिटेन की सहयोगी सेनाओं के साथ द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजीवाद से लड़ाई लड़ी थी।विजय दिवस का नरसंहारविजय दिवस परेड शहर भर में मार्च करने वाले दिग्गजों और अन्य नागरिकों से शुरू हुई थी।हालांकि, उनको मारियुपोल के आंतरिक मामलों के निदेशालय के क्षेत्र में शूटिंग सुनाई दी।ओल्गा ने कहा कि उसी क्षण उसका फोन बजने लगा था। स्लाविक नाम का लड़का फोन कर रहा था। उसने ओल्गा को बताया था कि इमारत पर हमला किया गया था और उसके अंदर घायल लोग थे। "कृपया, हमें यहाँ से निकालिए!" लड़के ने मांग की थी।यह मालूम हुआ कि राइट सेक्टर विजय दिवस समारोह से पहले मारियुपोल आंतरिक मामलों के निदेशालय में पहुंचा था। राइट सेक्टर के राष्ट्रवादियों ने मांग की थी कि मारियुपोल पुलिसकर्मी द्वितीय विश्व युद्ध के दिग्गजों के समूह को रुकें। मारियुपोल पुलिसकर्मियों ने ऐसा करने से इनकार कर दिया, अंत में राष्ट्रवादी मिलिशिया और कानून प्रवर्तन अधिकारियों के बीच मौखिक झड़प गोलीबारी में बदल गई।"जब हम मारियुपोल आंतरिक मामलों के निदेशालय की इमारत में फंसे अपने लोगों को मदद देने के लिए लेनिन्स्की कोम्सोमोल स्क्वायर से चले गए, तो एक समूह अपातोवा स्ट्रीट पर चल रहा था, और दूसरा समूह ड्रामा थियेटर के पास चल रहा था। उस क्षण [यूक्रेनी राष्ट्रवादी] हम पर गोली चलाने लगे। उन्होंने नागरिकों पर गोली चलाई। उन्होंने पैरों में, सिर में गोली चलाई। स्नाइपर काम कर रहा था। एक गोली मेरे पास की दीवार में लगी, मैं उछल पाया। लोग मेरी आंखों के सामने जमीन पर गिर गए। वहां कैमरा लेकर चलने वाला एक पत्रकार था। मेरा अनुमान है कि यह एक विदेशी पत्रकार था जिसने यह सब फिल्माया था, और वह ठीक मेरे सामने मारा गया था।"वीक्तर ने यह भी बताया, "जब हम मारियुपोल आंतरिक मामलों के निदेशालय पहुंचे, तो हमने देखा कि वहाँ शूटिंग चल रही थी। काले कपड़े पहने हुए पुरुषों ने पुलिस विभाग पर गोलीबारी की। नागरिक वहां जाना चाहते थे, लेकिन उन्होंने उन पर गोलियां चला दीं। हमने चौराहों पर खड़े होकर लोगों को वहाँ जाने नहीं दिया, ताकि वे आग की चपेट में न आएं।"राइट सेक्टर के राष्ट्रवादी अकेले नहीं आए थे, उनका समर्थन यूक्रेनी सेना और बख्तरबंद वाहनों ने किया था।ओल्गा ने बताया कि लोगों ने टैंकों और बख्तरबंद वाहनों के सामने खड़े होकर उनको रोकने की कोशिश की थी। इसके बावजूद टैंकों ने नागरिकों को कुचल दिया था। ओल्गा ने कहा कि आंतरिक मामलों के निदेशालय की इमारत के पास लड़ाई समाप्त होने के बाद, टैंक और IFV शहर के चारों ओर चल रहे थे और लोगों को सड़कों पर गोली मार रहे थे।मारियुपोल के रक्षकों ने पुलिस विभाग की इमारत में फंसे पुलिस अधिकारियों और नागरिकों को बचाने का प्रयास किया। वे इमारत के पिछवाड़े पहुँचने में कामयाब हुए, एक केबल की मदद से खिड़की पर जाली पकड़ी, उसे बाहर निकाला, सीढ़ी लगाई और फंसे हुए लोगों को बाहर जाने दिया। इनमें से घायल लोग भी थे।"मेरे पास ड्रेसिंग वाली प्राथमिक चिकित्सा किट थी, क्योंकि हम तैयार थे और हेमोस्टैटिक, और टूर्निकेट और बैन्डिज लाए। मैंने घायल लोगों की मदद देने की कोशिश की," ओल्गा ने कहा।लेकिन बहुत घायल लोग थे। सड़कों पर मरे हुए लोगों के शव पड़े थे। खून सब कहीं था। उस दिन शहर के मुर्दाघर भर गए।2014 में जनमत संग्रह, दबाव, मुक्तिइस नरसंहार ने मारियुपोल के नागरिकों को 11 मई, 2014 को जनमत संग्रह आयोजित करने से नहीं रोका। मारियुपोल के निवासियों की कई किलोमीटर लंबी कतारें मतदान केंद्रों के सामने खड़ी थीं। लोग इस सवाल का जवाब देने के लिए जनमत संग्रह में भाग लिया कि "क्या आप डोनेट्स्क पीपुल्स रिपब्लिक की राज्य स्वतंत्रता के अधिनियम का समर्थन करते हैं?""11 मई की घटनाओं पर [ओडेसा में] 2 मई और मारियुपोल में 9 मई की घटनाओं का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। मारियुपोल में जनमत संग्रह हुआ। 96 प्रतिशत से अधिक लोगों ने आकर डोनेट्स्क पीपुल्स रिपब्लिक की स्वतंत्रता के पक्ष में मतदान किया। [कीव शासन] मारियुपोल के लोगों को डराने और दबाने में असफल रहा," ओल्गा ने कहा।कीव शासन की सैन्य कार्रवाइयों के जवाब में डोनबास के लोगों ने सशस्त्र प्रतिरोध का आयोजन किया।मारियुपोल के हवाई अड्डे में कुख्यात गुप्त यातना जेल को "द लाइब्रेरी" कहा जाता था। SBU के पूर्व अधिकारी वसीलीय प्रोज़ोरोव के अनुसार, वह अज़ोव बटालियन द्वारा चलाया गया था और यूक्रेन की सुरक्षा सेवा (SBU) द्वारा नियंत्रित किया गया था। डोनेट्स्क पीपुल्स रिपब्लिक या रूस समर्थक विचारों से संबंधित होने के कारण हिरासत में लिए गए लोगों को "किताबें" कहा जाता था। जांच के बाद कैदियों को हवाई अड्डे के रेस्त्रां के रेफ्रिजरेटरों में रखा गया था। पूर्व बंदियों के अनुसार, यूक्रेनी राष्ट्रवादियों ने वॉटरबोर्डिंग, एस्फेक्सिएशन, उंगलियां तोड़ने सहित अलग-अलग यातना तकनीकों का इस्तेमाल किया था।मारियुपोल में विजय दिवस के नरसंहार के आठ सालों बाद, मई 2022 में डोनबास और रूसी सैन्य बलों ने इस शहर को अंतत: मुक्त कर दिया गया।*राइट सेक्टर और अज़ोव बटालियन रूस में प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन हैं।
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मारियुपोल निवासी, कीव नाज़ी, विजय दिवस 9 मई, यूक्रेन में नरसंहार, मारियुपोल में विजय दिवस परेड, मारियुपोल में विजय दिवस परेड के दौरान नरसंहार, स्टीफन बांदेरा, दिग्गजों की सुरक्षा के लिए कदम, विजय दिवस का नरसंहार, 2014 में यूक्रेन में जनमत संग्रह
मारियुपोल निवासी, कीव नाज़ी, विजय दिवस 9 मई, यूक्रेन में नरसंहार, मारियुपोल में विजय दिवस परेड, मारियुपोल में विजय दिवस परेड के दौरान नरसंहार, स्टीफन बांदेरा, दिग्गजों की सुरक्षा के लिए कदम, विजय दिवस का नरसंहार, 2014 में यूक्रेन में जनमत संग्रह
मारियुपोल निवासियों ने बताया कि कीव नाज़ियों ने 2014 में विजय दिवस 9 मई को नरसंहार में कैसे बदला था
फरवरी 2014 में अवैध रूप से सत्ता पर कब्जा करके नव-नाज़ी कीव शासन ने रूसी भाषा पर प्रतिबंध लगाया था और डोनबास में रूस समर्थक यूक्रेनियनों को धमकाया था। मारियुपोल के निवासियों ने Sputnik को बताया कि यूक्रेनी अति-राष्ट्रवादियों और सेना ने नौ साल पहले इस शहर में विजय दिवस परेड के प्रतिभागियों को मार डाला था और कष्ट दिया था।
9 मई 2014 को कीव शासन ने मारियुपोल के नागरिकों को विजय दिवस परेड आयोजित करने से रोकने के लिए वहाँ राष्ट्रवादियों और सशस्त्र सेना को भेजा था। उस समय यह शहर यूक्रेनी था। यह कदम फरवरी 2014 के तख्तापलट के बाद
यूक्रेनी अधिकारियों और उनके पश्चिमी समर्थकों द्वारा अपनाई गई बेशर्म रसोफोबिक नीति के हिस्से के रूप में उठाया गया था।
अतीत में सोवियत संघ में शामिल देशों के लोग 1945 में नाज़ी जर्मनी पर सोवियत संघ की जीत 9 मई को मनाते हैं। 1991 में सोवियत संघ के पतन के बावजूद, उस युद्ध की ऐतिहासिक स्मृति लंबे समय से अतीत में सोवियत संघ में शामिल देशों के निवासियों को एकजुट करने वाले मजबूर कारक की भूमिका निभा रही है। उस युद्ध के दौरान सोवियत संघ में रहनेवाले सभी राष्ट्रीय समूहों के 27 मिलियन लोगों की मौत हुई थी।
डोनेट्स्क मिलिशिया की दिग्गज और मारियुपोल में 9 मई 2014 की घटनाओं में भाग लेने वाली कैप्टन ओल्गा सेलेत्स्काया ने कहा कि "यह हमारा दिवस है, हमारे दादा जी की जीत का दिन है। मेरे दादा जी महान देशभक्तिपूर्ण युद्ध के दौरान लड़े थे [नाज़ी जर्मनी और उसके यूरोपीय सहयोगियों के खिलाफ सोवियत संघ के लोगों के युद्ध के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द – Sputnik], वे टैंक कमांडर और शीर्ष सार्जेंट थे, पूरे युद्ध के दौरान लड़े थे, उनको पकड़ा गया था, वे बच गए थे और बर्लिन पहुंचे थे। उनको युद्ध के बारे में बताना पसंद नहीं था। इसलिए यह दिन 9 मई हमारे लिए फासीवाद पर महान विजय का दिवस है।“
जिन लोगों ने फरवरी 2014 में कीव में सत्ता पर कब्जा कर लिया था, वे इस दिवस को लेकर अपनी नाराजगी हमेशा जताते थे, क्योंकि उनमें से बहुत लोग नाज़ी सहयोगियों रोमन शुखेविच और स्टीफन बांदेरा के वैचारिक उत्तराधिकारी थे, जो यूक्रेनी राष्ट्रवादियों के संगठन (OUN) और उसके अर्धसैनिक विंग यूक्रेनी विद्रोही सेना (UPA) के कुख्यात नेता थे।
"मेरे परदादा जी महान देशभक्तिपूर्ण युद्ध में लड़े थे। मैं युद्ध के बारे में उनकी कहानियों को सुनते हुए बड़ा हुआ। वे जानते थे कि यह हमारे लिए पवित्र अवकाश है, और उनके लिए इसे हर संभव तरीकों से बिगाड़ना आवश्यक था," डोनेट्स्क मिलिशिया के दिग्गज, डोनेट्स्क पीपुल्स रिपब्लिक के बालों के सैनिक और 9 मई 2014 को मारियुपोल की घटनाओं में भाग लेने वाले वीक्तर ने कहा।
मारियुपोल के रक्षकों ने दिग्गजों की सुरक्षा के लिए कदम उठाए
वीक्तर ने कहा, "मैं ठीक उस 9 मई कि कहानी से नहीं, मैं इस से पहले की घटनाओं के बारे में बताना शुरू करूंगा जब हमें मालूम हुआ था कि राष्ट्रवादी बटालियन राइट सेक्टर* किसी तरह के नुकसान की तैयारी कर रहा था, और हम उनके हमले की तैयारी करने लगे।"
मारियुपोल के निवासियों की चिंताएँ सही निकलीं। इस से केवल एक सप्ताह पहले यूक्रेनी अति-राष्ट्रवादियों और मिलिशिया ने 2 मई, 2014 को
ओडेसा के ट्रेड यूनियन बिल्डिंग में लगभग 50 रूस समर्थकों को जिंदा जलाया था और मौत के घाट उतार दिया था, जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बांदेरा समर्थकों के व्यवहार के बराबर था।
OUN-UPA विद्रोही और बांदेरा समर्थक 1941 में कीव के बाबी यार में लगभग 34 हजार यहूदियों को मारने के लिए और वोलिनिया और गैलिसिया में 1943 और 1945 के बीच पोलिश लोगों की बड़े पैमाने पर जातीय सफाई के दौरान महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सहित कम से कम 88,700 पोलिश लोगों को मारने के लिए विशेष रूप से जिम्मेदार हैं। यूक्रेनी राष्ट्रवादियों ने यहूदियों, पोलिश लोगों, रूसियों, रोमा लोगों और अन्य जातीय अल्पसंख्यकों को मौत के घाट उतार दिया था और उन्हें "सब्ह्यूमन" कहा था। बांदेरा समर्थकों ने आतंक फैलाने के लिए अपने पीड़ितों के शरीरों को नुकसान पहुंचाया था।
OUN-UPA नाज़ी जर्मनी के साथ सहयोग करने के कारण कुख्यात हैं। गौरतलब है कि कीव में काले कपड़े और कैमफ्लाश पहनकर मैदान के कुछ प्रतिभागी 14/88 अजीब संख्या वाली ढालों को लाए थे। खुले स्रोतों के अनुसार, 14 "सफेद वर्चस्ववादियों" का कोड है और "88" "हील हिटलर!" नारा है ("H" लैटिन अल्फाबेट में आठवां अक्षर है)।
यूक्रेनी राष्ट्रवादियों का एक और पसंदीदा प्रतीक नाज़ी वोल्फसैंगल प्रतीक है, जिसका इस्तेमाल जून 2022 तक कुख्यात अज़ोव बटालियन* ने गर्व से किया था, जब पीआर उद्देश्यों के लिए इस आतंकवादी इकाई का नाम बदला गया।
वीक्तर ने बताया, "तेजी से प्रतिक्रिया करते हुए हमारे समूह शहर के चारों ओर तैनात किए गए थे, जवाबी हमले करने के लिए हमारे पास ट्रंकों में पाइप, बिट्स थीं। प्रत्येक समूह ने शहर के निश्चित क्षेत्र की रक्षा की थी। लेकिन मुख्य बल मारियुपोल में लेनिन एवेन्यू के पास तैनात थे, जहां परेड होने वाली थी। लेनिन एवेन्यू के पास कारें थीं। लोग नुकसान को रोकने के लिए तैयार थे।"
ओल्गा ने कहा, "सुबह [9 मई] से हम [द्वितीय विश्व युद्ध के] दिग्गजों के समूह की रक्षा करने के लिए तैयार थे। हमारे पास ऐसा कार्य था, क्योंकि एक दिन पहले हमें एक संदेश मिला था कि नुकसान की तैयारी यानी 9 मई को मारियुपोल में दिग्गजों के समूह की हत्या की तैयारी की जा रही थी। यह संदेश हमारे कानून प्रवर्तन अधिकारियों से मिला था। तथ्य यह है कि कीव से लोग एक दिन पहले पहुंचे थे। और खूनी नुकसान का आयोजन करने, दिग्गजों के समूह को शूट करने का आदेश दिया गया था। (...) सभी निर्णय कीव में लिए गए थे। वहीं से इस खूनी नुकसान का आयोजन करने का आदेश मिला था।"
वीक्तर और ओल्गा मारियुपोल ड्रामा थियेटर में मौजूद थे। वे दिग्गजों की रक्षा करने के लिए तैयार थे, जिन्होंने अमेरिका और ब्रिटेन की सहयोगी सेनाओं के साथ द्वितीय विश्व
युद्ध के दौरान नाजीवाद से लड़ाई लड़ी थी।
विजय दिवस परेड शहर भर में मार्च करने वाले दिग्गजों और अन्य नागरिकों से शुरू हुई थी।
ओल्गा ने कहा, "सब कुछ शांतिपूर्ण लगता था, सब कुछ ठीक था, शांत था। यहां तक कि कानून प्रवर्तन अधिकारी भी इस समूह की रक्षा करने में मदद दे रहे थे, जो लेनिन्स्की कोम्सोमोल स्क्वायर की दिशा में नखिमोव स्ट्रीट पर चल रहा था।"
हालांकि, उनको मारियुपोल के आंतरिक मामलों के निदेशालय के क्षेत्र में शूटिंग सुनाई दी।
वीक्तर ने कहा, "नागरिक तुरंत उस दिशा में भागे, पुलिस विभाग की इमारत की ओर। हम उनके साथ वहां पहुंचे।"
ओल्गा ने कहा कि उसी क्षण उसका फोन बजने लगा था। स्लाविक नाम का लड़का फोन कर रहा था। उसने ओल्गा को बताया था कि इमारत पर हमला किया गया था और उसके अंदर घायल लोग थे। "कृपया, हमें यहाँ से निकालिए!" लड़के ने मांग की थी।
यह मालूम हुआ कि राइट सेक्टर विजय दिवस समारोह से पहले मारियुपोल आंतरिक मामलों के निदेशालय में पहुंचा था। राइट सेक्टर के राष्ट्रवादियों ने मांग की थी कि मारियुपोल पुलिसकर्मी द्वितीय विश्व युद्ध के दिग्गजों के समूह को रुकें। मारियुपोल पुलिसकर्मियों ने ऐसा करने से इनकार कर दिया, अंत में राष्ट्रवादी मिलिशिया और कानून प्रवर्तन अधिकारियों के बीच मौखिक झड़प गोलीबारी में बदल गई।
"जब हम मारियुपोल आंतरिक मामलों के निदेशालय की इमारत में फंसे अपने लोगों को मदद देने के लिए लेनिन्स्की कोम्सोमोल स्क्वायर से चले गए, तो एक समूह अपातोवा स्ट्रीट पर चल रहा था, और दूसरा समूह ड्रामा थियेटर के पास चल रहा था। उस क्षण [यूक्रेनी राष्ट्रवादी] हम पर गोली चलाने लगे। उन्होंने नागरिकों पर गोली चलाई। उन्होंने पैरों में, सिर में गोली चलाई। स्नाइपर काम कर रहा था। एक गोली मेरे पास की दीवार में लगी, मैं उछल पाया। लोग मेरी आंखों के सामने जमीन पर गिर गए। वहां कैमरा लेकर चलने वाला एक पत्रकार था। मेरा अनुमान है कि यह एक विदेशी पत्रकार था जिसने यह सब फिल्माया था, और वह ठीक मेरे सामने मारा गया था।"
वीक्तर ने यह भी बताया, "जब हम मारियुपोल आंतरिक मामलों के निदेशालय पहुंचे, तो हमने देखा कि वहाँ शूटिंग चल रही थी। काले कपड़े पहने हुए पुरुषों ने पुलिस विभाग पर गोलीबारी की। नागरिक वहां जाना चाहते थे, लेकिन उन्होंने उन पर गोलियां चला दीं। हमने चौराहों पर खड़े होकर लोगों को वहाँ जाने नहीं दिया, ताकि वे आग की चपेट में न आएं।"
राइट सेक्टर के राष्ट्रवादी अकेले नहीं आए थे, उनका समर्थन यूक्रेनी सेना और बख्तरबंद वाहनों ने किया था।
वीक्तर ने कहा, "यूक्रेनी भारी उपकरण सड़कों पर दिखाई दिए और सैन्य कपड़े पहने हुए लोगों ने नागरिकों पर गोली चलाना शुरू कर दी। जब पैदल सेना से लड़ने वाले वाहन (IFV), बख़्तरबंद कर्मियों के वाहक घटनास्थल पर पहुंचे, तो हम समझ गए कि जो हथियार हमारे पास हैं, उनकी मदद से हम उनका विरोध नहीं कर सकते। हमारे पास बंदूकें नहीं थीं, हमारे पास केवल कुछ दर्दनाक पिस्तौलें थीं। हम ज्यादातर आमने-सामने की लड़ाई के लिए तैयार थे। लेकिन जब हमने देखा कि उन्होंने पुलिस विभाग की इमारत पर एंटी-टैंक ग्रेनेड लांचर से गोलीबारी शुरू कर दी, तो हम समझ गए कि वहां जाना खतरनाक है। हमने नागरिकों को वहाँ से उस इमारत से दूर करना शुरू कर दिया, जहां यह सब कुछ हो रहा था।"
ओल्गा ने बताया कि लोगों ने
टैंकों और बख्तरबंद वाहनों के सामने खड़े होकर उनको रोकने की कोशिश की थी। इसके बावजूद टैंकों ने नागरिकों को कुचल दिया था। ओल्गा ने कहा कि आंतरिक मामलों के निदेशालय की इमारत के पास लड़ाई समाप्त होने के बाद, टैंक और IFV शहर के चारों ओर चल रहे थे और लोगों को सड़कों पर गोली मार रहे थे।
मारियुपोल के रक्षकों ने पुलिस विभाग की इमारत में फंसे पुलिस अधिकारियों और नागरिकों को बचाने का प्रयास किया। वे इमारत के पिछवाड़े पहुँचने में कामयाब हुए, एक केबल की मदद से खिड़की पर जाली पकड़ी, उसे बाहर निकाला, सीढ़ी लगाई और फंसे हुए लोगों को बाहर जाने दिया। इनमें से घायल लोग भी थे।
"और जिस लड़के स्लाविक ने मुझे फोन किया था, वह इमारत से बाहर आकार अपने घुटनों पर गिर गया। उसने भगवान से प्रार्थना की। कल्पना कीजिए कि उसने कितना सहन किया, उसने यह सब कुछ देखा, और वह भगवान का आभारी था कि वे जीवित रहे," ओल्गा ने कहा।
"मेरे पास ड्रेसिंग वाली प्राथमिक चिकित्सा किट थी, क्योंकि हम तैयार थे और हेमोस्टैटिक, और टूर्निकेट और बैन्डिज लाए। मैंने घायल लोगों की मदद देने की कोशिश की," ओल्गा ने कहा।
लेकिन बहुत घायल लोग थे। सड़कों पर मरे हुए लोगों के शव पड़े थे। खून सब कहीं था। उस दिन शहर के मुर्दाघर भर गए।
ओल्गा ने कहा, "विजय दिवस पर उन्होंने हमारे साथ यही किया।"
2014 में जनमत संग्रह, दबाव, मुक्ति
इस नरसंहार ने मारियुपोल के नागरिकों को 11 मई, 2014 को जनमत संग्रह आयोजित करने से नहीं रोका। मारियुपोल के निवासियों की कई किलोमीटर लंबी कतारें मतदान केंद्रों के सामने खड़ी थीं। लोग इस सवाल का जवाब देने के लिए जनमत संग्रह में भाग लिया कि "क्या आप डोनेट्स्क पीपुल्स रिपब्लिक की राज्य स्वतंत्रता के अधिनियम का समर्थन करते हैं?"
"11 मई की घटनाओं पर [ओडेसा में] 2 मई और मारियुपोल में 9 मई की घटनाओं का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। मारियुपोल में जनमत संग्रह हुआ। 96 प्रतिशत से अधिक लोगों ने आकर
डोनेट्स्क पीपुल्स रिपब्लिक की स्वतंत्रता के पक्ष में मतदान किया। [कीव शासन] मारियुपोल के लोगों को डराने और दबाने में असफल रहा," ओल्गा ने कहा।
कीव शासन की सैन्य कार्रवाइयों के जवाब में डोनबास के लोगों ने सशस्त्र प्रतिरोध का आयोजन किया।
ओल्गा ने बताया कि "जून [2014] के मध्य में जनमत संग्रह के बाद, [कीव शासन ने] शहर को अपने नियंत्रण में ले लिया। और फिर बड़े पैमाने पर सफाई शुरू हुई। सितंबर 2014 तक 3,500 लोग गायब हो गए। उनके भाग्य के बारे में और उसके बारे में सिर्फ अनुमान किया जा सकता है कि उन्होंने उनके साथ क्या किया। शुरू में सभी बंदियों को मारियुपोल के हवाई अड्डे में ले जाया गया, जहां लोगों को यातनाएं दी गईं। जिस श्मशान घाट को बनाया गया था लेकिन लागू नहीं किया गया था, उसने तभी अपना काम करना शुरू किया। इसके बाद वह बिना रुकावटों के काम करता था। हवाई अड्डे के पास रहने वाले लोगों ने मशीन गन की गोलीबारी की आवाज सुनी। इसका मतलब क्या था? वहां लोगों को गोली मार दी गई। बड़े पैमाने पर हत्याएं दी गईं।"
मारियुपोल के हवाई अड्डे में कुख्यात गुप्त यातना जेल को "द लाइब्रेरी" कहा जाता था। SBU के पूर्व अधिकारी वसीलीय प्रोज़ोरोव के अनुसार, वह अज़ोव बटालियन द्वारा चलाया गया था और यूक्रेन की सुरक्षा सेवा (SBU) द्वारा नियंत्रित किया गया था। डोनेट्स्क पीपुल्स रिपब्लिक या
रूस समर्थक विचारों से संबंधित होने के कारण हिरासत में लिए गए लोगों को "किताबें" कहा जाता था। जांच के बाद कैदियों को हवाई अड्डे के रेस्त्रां के रेफ्रिजरेटरों में रखा गया था। पूर्व बंदियों के अनुसार, यूक्रेनी राष्ट्रवादियों ने वॉटरबोर्डिंग, एस्फेक्सिएशन, उंगलियां तोड़ने सहित अलग-अलग यातना तकनीकों का इस्तेमाल किया था।
मारियुपोल में विजय दिवस के नरसंहार के आठ सालों बाद, मई 2022 में डोनबास और रूसी सैन्य बलों ने इस शहर को अंतत: मुक्त कर दिया गया।
वीक्तर ने कहा, "मैं एक बात कहना चाहता हूं, न केवल पश्चिमी पाठकों से, बल्कि मुख्य रूप से यूक्रेन के उन निवासियों से यह कहना चाहता हूँ, जो यूक्रेन के सशस्त्र बलों के नियंत्रण में हैं। हम उन से लड़ाई नहीं कर रहे हैं, हम कीव शासन से लड़ाई कर रहे हैं। वे हमारे दुश्मन नहीं हैं, लेकिन कीव शासन हमारी दुश्मन है। उन्होंने यूक्रेन को अमेरिका, ग्रेट ब्रिटेन, सामूहिक पश्चिम को बेच दिया। और साधारण यूक्रेनियन हमारे भाई और बहन हैं। वे हमारे दुश्मन नहीं हैं। मैं यही कहना चाहता हूं।"
*राइट सेक्टर और अज़ोव बटालियन रूस में प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन हैं।