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चंद्रयान-3: भारत के तीसरे चंद्र अन्वेषण मिशन के बारे में आपको क्या जानना चाहिए
चंद्रयान-3: भारत के तीसरे चंद्र अन्वेषण मिशन के बारे में आपको क्या जानना चाहिए
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भारत की अंतरिक्ष अभिकरण 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारत के चंद्र मिशन चंद्रयान-3 को लॉन्च करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
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चंद्रयान-1 ने चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी की पुष्टि की। सन 2019 में सितंबर में चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण किया गया था, लेकिन चंद्रयान-2 अपने लैंडर रोवर विक्रम के पृथ्वी के मिशन नियंत्रण स्टेशन से संपर्क टूटने के बाद चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।अब भारत चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च करने के लिए पूरी तरह तैयार है, जिसमें वह चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित अवतरण और घूमने में अंत-से-अंत क्षमता प्रदर्शित करने की योजना बना रहा है।यदि मिशन सफल हो जाएगा, तो चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास नरम अवतरण करने वाला दुनिया का पहला मिशन बन जाएगा।चंद्रयान यात्रा पर त्वरित नज़रमिशन के अवतरण की जगह चंद्रयान-2 के समान ही है, जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास 70 डिग्री अक्षांश पर है।अब तक सभी अंतरिक्ष यान चंद्रमा के भूमध्यरेखीय क्षेत्र में, चंद्र भूमध्य रेखा के उत्तर या दक्षिण में कुछ डिग्री अक्षांश पर उतरे हैं। NASA का Surveyor 7 अंतरिक्ष यान (सन 1968 में) 40 डिग्री दक्षिण अक्षांश के पास उतरा।चंद्रयान-3 की कुल लागत लगभग 7.7 करोड़ अमेरिकी डॉलर (6.1 अरब भारतीय रुपये) अनुमानित है।चंद्रमा पर अवतरण"नरम अवतरण" का मतलब यह है कि दुर्घटनाग्रस्त हुए बिना कोई अंतरिक्ष यान चंद्रमा की सतह पर अखंड रूप से उतरता है। NASA की चंद्रमा तथ्य शीट (सन 2021 में 20 दिसंबर को प्रकाशित किया गया) के अनुसार पिछले छह दशकों में किए गए चंद्र मिशनों की सफलता का अनुपात 60 प्रतिशत है। इस अवधि के दौरान 109 चंद्र मिशनों में से 61 सफल साबित हुए और 48 विफल साबित हुए।“चंद्रमा पर कोई वायुमंडल नहीं है, गुरुत्वाकर्षण भी कम है। इसलिए ऐसा कुछ भी नहीं है जो गति को धीमा कर सकता है, सो इसे रॉकेट द्वारा किया जाना है,” डॉ वेंकटेश्वरन ने कहा।डॉ. वेंकटेश्वरन ने यह भी कहा कि चंद्रमा की सतह चिकनी नहीं है और गड्ढों, विशाल गड्ढों और पत्थरों से भरी है, इसलिए सही जगह ढूँढना भी चुनौतीपूर्ण है। कृत्र्मि बुद्धि और अन्य तकनीकों की मदद से अवतरण किया जाता है।विशेषज्ञ के शब्दों के तहत चंद्रमा पर अवतरण मंगल ग्रह पर अवतरण से और ज़्यादा चुनौतीपूर्ण है।चंद्रयान-2 का क्या हुआ?सन 2019 में अवतरण के दौरान चंद्रयान-2 दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। 6 सितंबर को चंद्रयान -2 ने विक्रम चंद्रमा लैंडर को जारी किया, लेकिन मिशन अधिकारियों ने उससे संपर्क खो दिया जब वह सतह से सिर्फ़ 1.3 मील (2.1 किमी) ऊपर था। हालाँकि लैंडर खो गया था, ऑर्बिटर आठ अलग-अलग उपकरण ले गया और उसने चंद्रमा की सतह की तस्वीरें भेजीं।
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चंद्रयान-3: भारत के तीसरे चंद्र अन्वेषण मिशन के बारे में आपको क्या जानना चाहिए
14:54 13.07.2023 (अपडेटेड: 15:49 13.07.2023) भारत की अंतरिक्ष अभिकरण 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारत के चंद्र मिशन चंद्रयान-3 को लॉन्च करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
चंद्रयान-1 ने चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी की पुष्टि की।
सन 2019 में सितंबर में चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण किया गया था, लेकिन चंद्रयान-2 अपने लैंडर रोवर विक्रम के पृथ्वी के मिशन नियंत्रण स्टेशन से संपर्क टूटने के बाद चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
अब भारत
चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च करने के लिए पूरी तरह तैयार है, जिसमें वह चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित अवतरण और घूमने में अंत-से-अंत क्षमता प्रदर्शित करने की योजना बना रहा है।
यदि मिशन सफल हो जाएगा, तो चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास नरम अवतरण करने वाला दुनिया का पहला मिशन बन जाएगा।
चंद्रयान यात्रा पर त्वरित नज़र
मिशन के अवतरण की
जगह चंद्रयान-2 के समान ही है, जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास 70 डिग्री अक्षांश पर है।
अब तक सभी अंतरिक्ष यान चंद्रमा के भूमध्यरेखीय क्षेत्र में, चंद्र भूमध्य रेखा के उत्तर या दक्षिण में कुछ डिग्री अक्षांश पर उतरे हैं। NASA का Surveyor 7 अंतरिक्ष यान (सन 1968 में) 40 डिग्री दक्षिण अक्षांश के पास उतरा।
चंद्रयान-3 की कुल लागत लगभग 7.7 करोड़ अमेरिकी डॉलर (6.1 अरब भारतीय रुपये) अनुमानित है।
“चंद्रयान यात्रा सन 2008 में चंद्रयान-1 के प्रक्षेपण से शुरू हुई, जो चंद्रमा की परिक्रमा करनेवाला था। चंद्रमा पर नरम अवतरण करने का प्रयास करने के लिए सन 2019 में चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण किया गया था, लेकिन तकनीकी कारणों से अवतरण विफल हो गया। चंद्रयान-3 का उद्देश्य फिर से चंद्रमा पर नरम अवतरण करना है,” विज्ञान प्रसार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के वैज्ञानिक डॉ वेंकटेश्वरन ने Sputnik को बताया।
"नरम अवतरण" का मतलब यह है कि दुर्घटनाग्रस्त हुए बिना कोई अंतरिक्ष यान चंद्रमा की सतह पर अखंड रूप से उतरता है। NASA की चंद्रमा तथ्य शीट (सन 2021 में 20 दिसंबर को प्रकाशित किया गया) के अनुसार पिछले छह दशकों में किए गए
चंद्र मिशनों की सफलता का अनुपात 60 प्रतिशत है। इस अवधि के दौरान 109 चंद्र मिशनों में से 61 सफल साबित हुए और 48 विफल साबित हुए।
“
चंद्रमा पर कोई वायुमंडल नहीं है, गुरुत्वाकर्षण भी कम है। इसलिए ऐसा कुछ भी नहीं है जो गति को धीमा कर सकता है, सो इसे रॉकेट द्वारा किया जाना है,” डॉ वेंकटेश्वरन ने कहा।
डॉ. वेंकटेश्वरन ने यह भी कहा कि चंद्रमा की सतह चिकनी नहीं है और गड्ढों, विशाल गड्ढों और पत्थरों से भरी है, इसलिए सही जगह ढूँढना भी चुनौतीपूर्ण है। कृत्र्मि बुद्धि और अन्य तकनीकों की
मदद से अवतरण किया जाता है।
विशेषज्ञ के शब्दों के तहत चंद्रमा पर अवतरण मंगल ग्रह पर अवतरण से और ज़्यादा चुनौतीपूर्ण है।
मिशन चंद्रयान-3 का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और नरम अवतरण का प्रदर्शन करना, चंद्रमा पर रोवर के घूमने का प्रदर्शन करना और स्थान पर वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन करना है।
सन 2019 में अवतरण के दौरान चंद्रयान-2 दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। 6 सितंबर को चंद्रयान -2 ने विक्रम चंद्रमा लैंडर को जारी किया, लेकिन मिशन अधिकारियों ने उससे संपर्क खो दिया जब वह सतह से सिर्फ़ 1.3 मील (2.1 किमी) ऊपर था। हालाँकि लैंडर खो गया था, ऑर्बिटर आठ अलग-अलग उपकरण ले गया और उसने चंद्रमा की सतह की तस्वीरें भेजीं।