विश्व
खबरें ठंडे होने से पहले इन्हें पढ़िए, जानिए और इनका आनंद लीजिए। देश और विदेश की गरमा गरम तड़कती फड़कती खबरें Sputnik पर प्राप्त करें!

अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में बढ़ती भारतीय सैन्य उपस्थिति

© AP Photo / Gautam SinghВид на Северный Сентинельский остров
Вид на Северный Сентинельский остров - Sputnik भारत, 1920, 08.08.2023
सब्सक्राइब करें
भारत ने अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में सैन्य संरचनाओं को विकसित करने का रास्ता अपनाया है, जो मलक्का जलडमरूमध्य के मुहाने में स्थित है, जो चीनी बेड़े के लिए दक्षिण चीन सागर का मुख्या प्रवेश द्वार है।
अन्य देश भी भारत के महत्त्व और समुद्र में उसकी सैन्य क्षमताओं को समझते हैं। उदाहरण के लिए इस महीने जापान समुद्री आत्मरक्षा बल (JMSDF) का विनाशक पोत Samidare (DD-106) अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में आया।

"सौहार्दपूर्ण साझेदारी और जहाज-से-जहाज यात्राएं नौसेना पेशेवरों के बीच अधिक समझ और दोस्ती को बढ़ावा देती हैं," अंडमान और निकोबार द्वीप समूह कमान ने जापानी यात्रा के बाद सामाजिक मीडिया पर लिखा।

सन 2020 में भारत ने अमेरिकी विमान वाहक प्रहारक बल के साथ PASSEX का आयोजन किया। इससे पहले भारतीय और जापानी युद्धपोतों ने सन 2020 में मलक्का जलडमरूमध्य में एक छोटा अभ्यास किया था। दोनों अभ्यासों ने सन 2020 में बंगाल की खाड़ी में क्वाड देशों के बीच पहले मालाबार समुद्री अभ्यास का मार्ग प्रशस्त किया।
फ्रांस भी भारत के साथ अपने समुद्री संबंधों को मजबूत करने में बड़ी रुचि रखता है। जनवरी 2020 से शुरू होकर इसके P-8I पनडुब्बी लड़ाकू विमान हिंद महासागर क्षेत्र में टोही उड़ानें आयोजित कर रहे हैं और पानी में अपने क्षेत्रों को सुरक्षित करने के लिए भारतीय नौसेना के साथ अंतरसंचालनीयता बढ़ाना चाहते हैं। जुलाई 2023 में फ्रांसीसी युद्धपोत FNS Lorraine ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के बंदरगाह में प्रवेश किया।
अन्य देशों की ओर से इस तरह की रुचि और गतिविधि द्वीपों के बढ़ते महत्व को दर्शाती हैं, खासकर चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (क्वाड) राज्यों - भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए।
हिंद महासागर क्षेत्र में चीन भी अपनी उपस्थिति बढ़ाने में व्यस्त है। चीन अपनी समुद्री सिल्क रोड पहल के एक हिस्से से हिंद महासागर क्षेत्र में स्थित कई देशों में मौजूदा बंदरगाहों के आधुनिकीकरण के लिए नए बंदरगाहों का वित्तपोषण और कार्यान्वयन कर रहा है।
Indian Defence Minister Rajnath Singh, center, and Home Minister Amit Shah, right, talk to their cabinet colleagues as they wait to pay respect to the victims of 2001 terror attack on Parliament House, in New Delhi, Tuesday, Dec. 13, 2022. - Sputnik भारत, 1920, 06.01.2023
डिफेंस
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अंडमान में नौसेना एयरबेस का दौरा किया
इसके अलावा हिंद महासागर में स्थित कोको द्वीपसमूह रणनीतिक नज़रिये से चीन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वे दक्षिण चीन सागर का प्रवेश द्वार हैं।
कोको भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से 55 किमी दूर बंगाल की खाड़ी में स्थित है।

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का भू-सामरिक महत्व क्या है?

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का चोल राजवंश से लेकर द्वितीय विश्व युद्ध तक एक समृद्ध समुद्री इतिहास है।
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की रणनीतिक स्थिति भारत को पूर्वी हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपनी समुद्री गतिशीलता को बदलने का अवसर देती है। ये द्वीप मलक्का, इंडोनेशिया और म्यांमार के जलडमरूमध्य के पश्चिमी प्रवेश द्वार के पास स्थित हैं। अंडमान और निकोबार द्विपसमूह का क्षेत्रफल 8,249 वर्ग किमी है।
यह क्षेत्र समुद्री निगरानी के लिए भारत की एकमात्र एकीकृत त्रिकोणीय कमान का भी बेस है और पूर्वी हिंद महासागर में भारत की रणनीतिक उपस्थिति को मजबूत करता है क्योंकि यह प्रशांत महासागर में विलीन हो जाता है।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इंडो-पैसिफिक भारत के लिए आपने भू-रणनीतिक उद्देश्यों को अमल में लाने के लिए एक अच्छा क्षेत्र है, जो "अफ्रीका के तट से लेकर अमरीका के तट तक" फैला हुआ है।

Ships from Russia's Caspian Flotilla launching Kalibr-NK cruise missiles against Daesh targets in Syria. File photo  - Sputnik भारत, 1920, 25.04.2023
Explainers
भारतीय नौसेना रूस से खरीदेगी 20 क्लब एंटी-शिप क्रूज मिसाइल, आइए जानते हैं इस मिसाइल के बारे में

अंडमान और निकोबार क्षेत्र में भारतीय सैन्य विकास

इन द्वीपों की रणनीतिक स्थिति नई दिल्ली के पूर्ण ध्यान की माँग करती है क्योंकि यह भारत की समुद्री रणनीति के लिए बेहद समृद्ध हो सकता है।
सन 2019 में अंडमान और निकोबार कमांड की क्षमताओं को मजबूत करने के लिए 5,650 करोड़ रुपये की विशेष सैन्य बुनियादी ढांचे के विकास की योजना पूरी की गई, जिसमें द्वीपों पर अतिरिक्त सैन्य बलों, युद्धपोतों, विमानों, मिसाइल बैटरी और पैदल सेना की तैनाती शामिल थी। इसके समानांतर में सन 2027 तक एक व्यापक अंडमान और निकोबार कमांड के विस्तार की योजना विकसित की जा रही है।
सन 2021 में बड़े विमान संचालन का समर्थन करने के लिए नौसेना के हवाई क्षेत्रों (नौसेना हवाईअड्डा शिबपुर और कैंपबेल खाड़ी में नौसेना वायु स्टेशन पर आईएनएस बाज़) में रनवे विस्तार की सूचना मिली थी। भारत द्वीपों पर जापानी-अमेरिकी "बल्छी" या ध्वनि निगरानी प्रणाली जैसे संयुक्त सुरक्षा प्रयासों में भी शामिल रहा है। यह पनडुब्बियों को ट्रैक करने के लिए डिज़ाइन की गई। यह सेंसरों की एक श्रृंखला है, जिसका उद्देश्य अंडमान सागर और दक्षिण चीन सागर की गहराई में विदेशी पनडुब्बियों के खिलाफ एक जवाबी दीवार बनाना है।
An Indian army soldier guard near an Indian flag as his colleagues remove weed from the polluted waters of the Dal Lake on World Environment Day in Srinagar, Indian controlled Kashmir, Monday, June 5, 2023.  - Sputnik भारत, 1920, 12.07.2023
डिफेंस
भारतीय सशस्त्र बलों को अगस्त में मिल सकता है पहला इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड: रिपोर्ट
न्यूज़ फ़ीड
0
loader
चैट्स
Заголовок открываемого материала