"सोशल मीडिया पर लोग पुराने वीडियो लगा कर उन्हें किसी भी ताजा संघर्ष से जोड़ देते हैं। रूस-यूक्रेन या इज़राइल-हमास संघर्ष हो आपको दोनों के पक्ष और विपक्ष में जानकारी मिल जाएगी जिसे सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा होगा। शेयर की गई जानकारी और विडियो कभी सही होती है और कभी गलत, लेकिन ये सब एक धारणा को बदलने की कोशिश है," साइबर सुरक्षा जानकार माही सिंह मेहता ने कहा।
"अभी इज़राइल और हमास के संघर्ष की बात करें तो अभी इज़राइल को बहुत बुरा दिखाया जा रहा है और इससे पहले हमास के लड़ाकों से संबधित विडियो वायरल किये जा रहे थे जिनमें उन्हें नृशंस हत्यारे के तौर पर दिखाया जा रहा था, इसको रोकना बहुत कठिन है। हालांकि, सभी सोशल मीडिया साइट्स को पॉलिसी है कि किसी भी आपत्तिजनक सामग्री को रिपोर्ट किया जा सकता है तब उसे हटाया जाता है," भारत में साइबर सुरक्षा जानकार ने कहा।
"कोई भी सोशल मीडिया साइट इस तरह के कंटेन्ट के खिलाफ कार्यवाही करना नहीं चाहती है। क्योंकि जितने ज्यादा लोग यहां आएंगे उन्हें उतने ही ज्यादा विज्ञापन मिलेंगे। ट्विटर, इंस्टाग्राम** या फेस्बुक** हो सबों का अपना अपना हित हैं। वह एक, दो या हजार-दो हजार पोस्ट हटा सकते हैं लेकिन वह सब को नहीं हटा सकते क्योंकि वह अपना बिजनेस भी चलाना चाहते हैं क्योंकि वह अगर इन सब पर कार्यवाही करते हैं तो लोग उनकी साइट पर आना खत्म कर देंगे," माही सिंह मेहता ने कहा।
"अभी भी कोई तरीका नहीं है और किसी के पास इससे निपटने के लिए कोई जरिया नहीं है। AI जैसी तकनीक भी फायरवाल पर काम करती है जिसकी एक सीमा हैं। हालांकि, सोशल साइट की एक कम्युनिटी गाइडलाइंस हैं लेकिन फेस्बूक**, एक्स या यूट्यूब जैसी सभी साइट ने इन्हें सीमित कर रखा है क्योंकि इससे इनके बिजनस मॉडल पर असर पड़ेगा," माही सिंह मेहता ने कहा।