Social media screenshot featuring front pages of Western media outlets. - Sputnik भारत

मेटा* और एक्स जैसी साइट्स के लिए पैसा पहले और खबरों की सत्यता बाद में: साइबर विशेषज्ञ

दुनिया भर की ताजा जानकारी जानने के लिए लोग आजकल सोशल मीडिया साइट्स पर निर्भर हैं लेकिन जो खबरें इन साइट्स पर प्रकाशित की जाती हैं, उनका सत्यापन करना बहुत कठिन है। इसलिए कुछ लोग इसका फायदा उठाकर इन साइट्स पर नकली समाचारों का एक जाल बिछा देते हैं।
ज्यादातर इन खबरों का कुछ खास फर्क नहीं पड़ता लेकिन जब कभी दो देशों या समुदायों के बीच संघर्ष हो रहा हो तब यही खबरें बहुत बड़ा अंतर पैदा करती हैं। जब समाज का एक वर्ग इन भ्रामक खबरों की चपेट में आ जाता तो किसी भी तरह के समाचार को तोड़ मरोड़ कर पेश किया जा सकता है।
यह खबरें सिर्फ आम लोगों द्वारा नहीं फैलाई जाती, बल्कि बड़े बड़े देश भी इस इनफार्मेशन युद्ध को जीतने के लिए नकली खबरों का सहारा लेते हैं। हाल के दिनों में रूस और यूक्रेन, इज़राइल और हमास के बीच चल रहे संघर्षों से संबंधित खबरें और वीडियोज़ को देखा जाए तो इन नकली और झूठी खबरों को आसानी से समझाया जा सकता हैं।
यूक्रेन के साथ मिलकर अन्य पश्चिमी देश रूस के खिलाफ लगातार नकली खबरें, वीडियोज़ सोशल मीडिया साइटों पर डाल कर चल रहे संघर्ष को प्रभावित करना चाहते हैं। वहीं दूसरी तरफ ताजा संघर्षों में इज़राइल और हमास को देखा जा सकता है जहां पल पल में लोगों की धारणा को सोशल मीडिया के सहारे से बदलने की कोशिश की जा रही है।
नकली खबरों का हाल का उदाहरण है जब पश्चिमी मीडिया ने खबर चलाई कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन बीमार हैं, और लगातार अफवाहों का मजाक उड़ाया कि उन्होंने सार्वजनिक कार्यक्रमों में अपने लिए बॉडी डबल्स का इस्तेमाल किया था। बाद में यह खबर गलत साबित हुई और क्रेमलिन ने इसका खंडन भी कर दिया।
Moscow Kremlin and Bolshoi Moskvoretsky Bridge. In the background: the building of the Ministry of Foreign Affairs of the Russian Federation. - Sputnik भारत, 1920, 24.10.2023
रूस की खबरें
सब ठीक है: पुतिन के स्वास्थ्य को लेकर अफवाहों पर क्रेमलिन
सोशल मीडिया पर चल रही नकली खबरों के जरिए किसी भी संघर्ष के बारे में लोगों और देशों की धारणा को बदले जाने पर Sputnik ने भारत के साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ माही सिंह मेहता से बात की, उन्होंने बताया कि इज़राइल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष को लेकर हजारों अलग अलग विडियो और खबरों के जरिए इसका प्रसार सोशल मीडिया पर किया जा रहा है लेकिन इस बात का कोई भी पक्का प्रमाण नहीं है कि जो जानकारी साझा की जा रही है वह 100 फीसदी सही है।

"सोशल मीडिया पर लोग पुराने वीडियो लगा कर उन्हें किसी भी ताजा संघर्ष से जोड़ देते हैं। रूस-यूक्रेन या इज़राइल-हमास संघर्ष हो आपको दोनों के पक्ष और विपक्ष में जानकारी मिल जाएगी जिसे सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा होगा। शेयर की गई जानकारी और विडियो कभी सही होती है और कभी गलत, लेकिन ये सब एक धारणा को बदलने की कोशिश है," साइबर सुरक्षा जानकार माही सिंह मेहता ने कहा।

7 अक्टूबर को हमास ने जब इज़राइल पर हमला बोला तो सोशल मीडिया पर एक नया संघर्ष शुरू हो गया जहां एक तरफ लोग हमास को अपने अपने विडियो और खबर के जरिए खराब साबित करने की कोशिश कर रहे हैं वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इज़राइल द्वारा गाजा पट्टी पर की गई कार्यवाई को गलत बताते हुए गाजा में बमबारी के दौरान मारे गए। बच्चों का विडियो भी साझा कर रहे हैं और जब आप दोनों पक्षों की खबरों को देखेंगे तो समझ नहीं पाएंगे कि कौन सही है और कौन गलत। वैसे कुछ नियम इन साइट्स के भी हैं, अगर कोई गलत पोस्ट डालता है तो उस पर तुरंत कार्यवाई की जाती है।

"अभी इज़राइल और हमास के संघर्ष की बात करें तो अभी इज़राइल को बहुत बुरा दिखाया जा रहा है और इससे पहले हमास के लड़ाकों से संबधित विडियो वायरल किये जा रहे थे जिनमें उन्हें नृशंस हत्यारे के तौर पर दिखाया जा रहा था, इसको रोकना बहुत कठिन है। हालांकि, सभी सोशल मीडिया साइट्स को पॉलिसी है कि किसी भी आपत्तिजनक सामग्री को रिपोर्ट किया जा सकता है तब उसे हटाया जाता है," भारत में साइबर सुरक्षा जानकार ने कहा।

नकली और भ्रामक खबरों को लेकर सोशल मीडिया की बड़ी बड़ी कंपनियां किसी भी तरह की बड़ी कार्यवाई करते हुए नजर नहीं आती हैं। विभिन्न देशों की सरकारों के आदेश के बाद कभी कभी थोड़े बहुत पोस्ट या अकाउंट को हटा दिया जाता है। इस पर साइबर विशेषज्ञ ने Sputnik को बताया कि सभी अपने अपने बिजनेस मॉडल पर कायम है और कोई भी अपने उपभोगकर्ता के खिलाफ कार्यवाही करना नहीं चाहता हैं, क्योंकि इसके बिजनेस मॉडल के आधार पर जीतने ज्यादा लोग साइट पर आएंगे उतने विज्ञापन उनको मिलेंगे जिससे वे ज्यादा से ज्यादा पैसे काम पाएंगे।

"कोई भी सोशल मीडिया साइट इस तरह के कंटेन्ट के खिलाफ कार्यवाही करना नहीं चाहती है। क्योंकि जितने ज्यादा लोग यहां आएंगे उन्हें उतने ही ज्यादा विज्ञापन मिलेंगे। ट्विटर, इंस्टाग्राम** या फेस्बुक** हो सबों का अपना अपना हित हैं। वह एक, दो या हजार-दो हजार पोस्ट हटा सकते हैं लेकिन वह सब को नहीं हटा सकते क्योंकि वह अपना बिजनेस भी चलाना चाहते हैं क्योंकि वह अगर इन सब पर कार्यवाही करते हैं तो लोग उनकी साइट पर आना खत्म कर देंगे," माही सिंह मेहता ने कहा।

India Sends Humanitarian Aid To War-Affected Residents Of Palestine - Sputnik भारत, 1920, 25.10.2023
इज़राइल-हमास युद्ध
भारत ने अब तक 38 टन राहत सामग्री गाजा भेजी: भारत UNSC में इज़राइल हमास संघर्ष पर
इज़राइल की वायु सेना लगातार गाजा पर बमबारी कर रही है, हाल ही में गाजा स्थित एक अस्पताल पर बम गिरा जिसमें लगभग 500 लोग मारे गए, शुरुआत में हमास ने यह दिखाया कि यह मिसाइल इज़राइल की तरफ से चलाई गई थी लेकिन एक दिन बाद इज़राइल ने यह बताया कि फिलिस्तीनी समूह का एक मिसफायर रॉकेट अल-अली-अरब अस्पताल पर गिरा जिसकी वजह से धमाका हुआ। माही सिंह इस घटना के उदाहरण से समझते हुए कहते हैं कि आज के समय में अंदाजा लगाना मुश्किल है कि कौन सा पक्ष सही है और कौन सा गलत।
"नकली खबर किसी भी तरह की धारणा को बदल सकती है जैसे किसी भी संघर्ष में जो हो रहा है वह सच है लेकिन उसमें कुछ घटनाओ को बढ़ा चढ़ा कर दुनिया के सामने दिखाया जाता है। दुनिया में आजकल यह ट्रेंड बन गया है कि एक पल में चीजें बदल जाती हैं जैसे शुरू में सब लोग हमास के खिलाफ थे लेकिन अब सब इज़राइल को खराब बता रहे हैं। किसी भी घटना को किसी के खिलाफ चलाकर किसी के पक्ष में संवदेना बटोरी जा सकती हैं," साइबर सुरक्षा जानकार मेहता कहते हैं।
हालांकि नकली और भ्रामक खबरों से बचने के लिए सभी सोशल मीडिया साइट्स तरह तरह के दावे करते हैं लेकिन वे सभी नाकाफ़ी हैं क्योंकि तकनीकी रूप से इन्हें रोकना संभव नहीं है और जब तक ये सभी साइटस पैसे से ऊपर उठकर काम नहीं करेंगी तब तक इस समस्या से निजात पाना मुश्किल होगा।

"अभी भी कोई तरीका नहीं है और किसी के पास इससे निपटने के लिए कोई जरिया नहीं है। AI जैसी तकनीक भी फायरवाल पर काम करती है जिसकी एक सीमा हैं। हालांकि, सोशल साइट की एक कम्युनिटी गाइडलाइंस हैं लेकिन फेस्बूक**, एक्स या यूट्यूब जैसी सभी साइट ने इन्हें सीमित कर रखा है क्योंकि इससे इनके बिजनस मॉडल पर असर पड़ेगा," माही सिंह मेहता ने कहा।

Smoke rises following an Israeli airstrike in the Gaza Strip, as seen from southern Israel - Sputnik भारत, 1920, 18.10.2023
इज़राइल-हमास युद्ध
LIVE UPDATES: इज़राइल ने गाजा अस्पताल हमले में शामिल होने से इनकार किया
माही सिंह अंत में कहते हैं कि सभी सामुदायिक दिशानिर्देश जो मेटा*, एक्स द्वरा बनाए गए हैं वह नाकाफ़ी हैं और इनसे भ्रामक खबरों पर रोक लगाना संभव नहीं है। इसके साथ साथ तकनीक के इस समय में अभी भी इन नकली खबरों से निपटने का कोई जरिया सामने नहीं आया है।
*उग्रवाद के कारण रूस में प्रतिबंधित
**मेटा का स्वामित्व वाला सोशल मीडिया है, जो उग्रवाद के कारण रूस में प्रतिबंधित
न्यूज़ फ़ीड
0
loader
चैट्स
Заголовок открываемого материала