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क्यों और कैसे मारी गईं पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी?
क्यों और कैसे मारी गईं पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी?
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आज 31 अक्टूबर को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके आवास पर उनके अंगरक्षकों द्वारा हत्या कर दी गई थी, Sputnik आज आपको बताने जा रहा है कि इंदिरा गांधी की हत्या के दिन क्या हुआ था और उनकी हत्या क्यों की गई थी।
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भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बाद इंदिरा गांधी दूसरी सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाली प्रधान मंत्री थीं। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के 1966 में निधन के बाद गांधी ने पहली बार प्रधानमंत्री पद संभाला था। अपने पहले प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान उन्होंने भारत पाकिस्तान का युद्ध देखा जिसमें उनकी लीडरशिप में भारत ने पाकिस्तान को महज 13 दिनों में हरा दिया, इसी युद्ध में पाकिस्तानी सेना के 90000 से ज्यादा सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया, जिसके बाद दक्षिण एशिया में एक नए राष्ट्र बांग्लादेश का जन्म हुआ। 1984 में 31 अक्टूबर को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके आवास पर उनके अंगरक्षकों द्वारा हत्या कर दी गई थी, Sputnik आज आपको बताने जा रहा है कि इंदिरा गांधी की हत्या के दिन क्या हुआ था और उनकी हत्या क्यों की गई थी। कौन थीं इंदिरा गांधी?इंदिरा गांधी का जन्म जवाहरलाल नेहरू के प्रतिष्ठित परिवार में 19 नवंबर, 1917 को हुआ था। गांधी ने आजादी के बाद से 1964 तक अपने पिता जवाहरलाल नेहरू की निजी सहायक के रूप में भी काम किया। 1977 में सरकार बदल जाने के बाद इंदिरा गांधी 1980 में वापस सत्ता में आईं और 1984 में उनकी हत्या के समय तक वे इस पद पर रहीं। इंदिरा गांधी कैसे मारी गईं?इंदिरा गांधी 31 अक्टूबर की सुबह देश की राजधानी दिल्ली में स्थित अपने घर 1 सफदरजंग रोड से 09:10 बजे निकलीं और सीधे अपने निजी कार्यालय 1 अकबर रोड की ओर गईं, रास्ते में लंबे समय से उनके अंगरक्षक सब-इंस्पेक्टर बेअंत सिंह और सुरक्षा में तैनात एक नया सिपाही सतवंत सिंह खड़े थे। घटना के जानकार लोगों ने बताया कि इंदिरा गांधी ने मुस्कराकर अभिवादन के लिए अपने हाथ जोड़े और तभी बेअंत सिंह ने तीन फीट की दूरी से उनके पेट में गोली मार दी। इसके बाद सतवंत सिंह ने स्टेन गन से इंदिरा गांधी को छलनी कर दिया। 25 सेकंड में यह सब हो गया और इंदिरा गांधी जमीन पर गिर गईं। गोलीबारी के बाद तत्कालीन प्रधान मंत्री के दोनों हमलावरों बेअंत सिंह और सतवंत सिंह दोनों ने अपने हथियार गिरा दिये, हालांकि घटनास्थल पर पहुंचे ITBP कमांडो के एक समूह ने दोनों को तुरंत काबू कर लिया। इंदिरा गांधी को सफेद एम्बेसडर कार में उनकी बहु सोनिया गांधी एम्स ले गई, अस्पताल में चार घंटे की लंबी सर्जरी के बाद डॉक्टरों ने उन्हें दोपहर 2.23 बजे मृत घोषित कर दिया। हत्याकांड के तुरंत बाद एक हत्यारे बेअंत सिंह की हिरासत में गोली मार दी गई और वहीं सतवंत को सह-साजिशकर्ता केहर सिंह के साथ पांच साल बाद फांसी दी गई। इस हत्याकांड के बाद देश में दंगे भड़क उठे और लोगों ने सिख समुदायों के खिलाफ जमकर मार काट मचाई। इन दंगों में सेंकड़ों सिखों को जान गवानी पड़ी। इंदिरा गांधी की हत्या क्यों की गई?इंदिरा गांधी के दूसरे कार्यकाल के दौरान यानी 1980 के दशक की शुरुआत में, भारत के पंजाब राज्य में सिखों ने एक स्वतंत्र देश खालिस्तान की मांग शुरू की, जिसके बाद सिखों ने एक आंदोलन शुरू किया जिसने आगे चलकर एक हिंसक और विनाशकारी रूप ले लिया। इसके साथ साथ सिख नेता और अलगाववादी जरनैल सिंह भिंडरवाले के नेतृत्व में सिखों के बीच अलग राज्य खलिस्तान की मांग बढ़ने लगी। एक समय भिंडरवाले अपने साथियों के साथ स्वर्ण मंदिर में जा घुसा। भारत सरकार ने उसके साथ मामले को सुलझाने की काफी कोशिश की, लेकिन सब असफल हो गया। सेना अपने अभियान में तो सफल हो गई, लेकिन इस दौरान स्वर्ण मंदिर को काफी नुकसान पहुंचा, इस ऑपरेशन में लगभग एक हजार सिख मारे गए, जिसके बाद इंदिरा गांधी की जान को खतरा बढ़ गया।Google News पर Sputnik India को फ़ॉलो करें!
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क्यों और कैसे मारी गईं पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी?
इंदिरा गांधी भारत में एक ऐसा नाम है जिसे आज भी सम्मान से याद किया जाता है क्योंकि वे अपने निर्णयों और अटल इरादों के लिए जानी जाती थीं।
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बाद इंदिरा गांधी दूसरी सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाली प्रधान मंत्री थीं। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के 1966 में निधन के बाद गांधी ने पहली बार प्रधानमंत्री पद संभाला था।
अपने पहले प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान उन्होंने
भारत पाकिस्तान का युद्ध देखा जिसमें उनकी लीडरशिप में भारत ने पाकिस्तान को महज 13 दिनों में हरा दिया, इसी युद्ध में पाकिस्तानी सेना के 90000 से ज्यादा सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया, जिसके बाद दक्षिण एशिया में एक नए राष्ट्र
बांग्लादेश का जन्म हुआ।
1984 में 31 अक्टूबर को तत्कालीन
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके आवास पर उनके अंगरक्षकों द्वारा हत्या कर दी गई थी,
Sputnik आज आपको बताने जा रहा है कि इंदिरा गांधी की हत्या के दिन क्या हुआ था और उनकी हत्या क्यों की गई थी। इंदिरा गांधी का जन्म
जवाहरलाल नेहरू के प्रतिष्ठित परिवार में 19 नवंबर, 1917 को हुआ था। गांधी ने आजादी के बाद से 1964 तक अपने पिता जवाहरलाल नेहरू की निजी सहायक के रूप में भी काम किया।
1964 में नेहरू की मृत्यु के बाद देश के प्रधानमंत्री बने लाल बहादुर शास्त्री के नेतृत्व में बनी सरकार में उन्होंने कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्य किया। शास्त्री के अकस्मात निधन के बाद 1966 में इंदिरा गांधी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं, जिसके बाद वे 1977 तक देश की प्रधानमंत्री रहीं।
1977 में सरकार बदल जाने के बाद इंदिरा गांधी 1980 में वापस सत्ता में आईं और 1984 में उनकी हत्या के समय तक वे इस पद पर रहीं।
इंदिरा गांधी कैसे मारी गईं?
इंदिरा गांधी 31 अक्टूबर की सुबह देश की
राजधानी दिल्ली में स्थित अपने घर 1 सफदरजंग रोड से 09:10 बजे निकलीं और सीधे अपने निजी कार्यालय 1 अकबर रोड की ओर गईं, रास्ते में लंबे समय से उनके अंगरक्षक सब-इंस्पेक्टर बेअंत सिंह और सुरक्षा में तैनात एक नया सिपाही सतवंत सिंह खड़े थे।
घटना के जानकार लोगों ने बताया कि इंदिरा गांधी ने मुस्कराकर अभिवादन के लिए अपने हाथ जोड़े और तभी बेअंत सिंह ने तीन फीट की दूरी से उनके पेट में गोली मार दी। इसके बाद सतवंत सिंह ने स्टेन गन से इंदिरा गांधी को छलनी कर दिया। 25 सेकंड में यह सब हो गया और इंदिरा गांधी जमीन पर गिर गईं।
गोलीबारी के बाद तत्कालीन प्रधान मंत्री के दोनों हमलावरों बेअंत सिंह और सतवंत सिंह दोनों ने अपने हथियार गिरा दिये, हालांकि घटनास्थल पर पहुंचे ITBP कमांडो के एक समूह ने दोनों को तुरंत काबू कर लिया। इंदिरा गांधी को सफेद एम्बेसडर कार में उनकी बहु सोनिया गांधी एम्स ले गई, अस्पताल में चार घंटे की लंबी सर्जरी के बाद डॉक्टरों ने उन्हें दोपहर 2.23 बजे मृत घोषित कर दिया।
हत्याकांड के तुरंत बाद एक हत्यारे बेअंत सिंह की हिरासत में गोली मार दी गई और वहीं सतवंत को सह-साजिशकर्ता केहर सिंह के साथ पांच साल बाद फांसी दी गई। इस
हत्याकांड के बाद देश में दंगे भड़क उठे और लोगों ने सिख समुदायों के खिलाफ जमकर मार काट मचाई। इन दंगों में सेंकड़ों सिखों को जान गवानी पड़ी।
इंदिरा गांधी की हत्या क्यों की गई?
इंदिरा गांधी के दूसरे कार्यकाल के दौरान यानी 1980 के दशक की शुरुआत में, भारत के पंजाब राज्य में सिखों ने एक स्वतंत्र देश खालिस्तान की मांग शुरू की, जिसके बाद सिखों ने एक आंदोलन शुरू किया जिसने आगे चलकर एक हिंसक और विनाशकारी रूप ले लिया। इसके साथ साथ सिख नेता और अलगाववादी जरनैल सिंह भिंडरवाले के नेतृत्व में सिखों के बीच अलग राज्य खलिस्तान की मांग बढ़ने लगी।
एक समय भिंडरवाले अपने साथियों के साथ स्वर्ण मंदिर में जा घुसा।
भारत सरकार ने उसके साथ मामले को सुलझाने की काफी कोशिश की, लेकिन सब असफल हो गया।
इसलिए प्रधानमंत्री गांधी के आदेशानुसार 1984 में भारतीय सेना ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में घुसकर अलगाववादियों को बाहर निकाला, इस सैन्य अभियान का नाम था ऑपरेशन ब्लू स्टार। इस कार्रवाई का सिखों द्वारा विरोध किया गया और आगे चलकर इसका काफी विरोध भी हुआ।
सेना अपने अभियान में तो सफल हो गई, लेकिन इस दौरान स्वर्ण मंदिर को काफी नुकसान पहुंचा, इस ऑपरेशन में लगभग एक हजार सिख मारे गए, जिसके बाद इंदिरा गांधी की जान को खतरा बढ़ गया।