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जानें क्यों 7 दिसम्बर को मनाया जाता है सशस्त्र बल झंडा दिवस?
जानें क्यों 7 दिसम्बर को मनाया जाता है सशस्त्र बल झंडा दिवस?
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भारत में हर साल सशस्त्र सेना झंडा दिवस 7 दिसंबर को सेना में सेवा दे रहे सैनिकों और पूर्व सैनिकों के सम्मान में मनाया जाता है।
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1949 के बाद से लगातार मनाए जाने वाला यह दिन मुख्यतः सशस्त्र बलों के सैनिकों के परिवारों के सामने आने वाली कठिनाइयों के बारे में जागरूकता उत्पन्न करता है।सशस्त्र बल झंडा दिवस को देश में ध्वज दिवस के रूप में भी जाना जाता है। यह दिन भारतीय सशस्त्र बल सैनिकों के कल्याण के लिए भारतीय नागरिकों से धन जुटाने के लिए समर्पित किया गया है।इसके साथ साथ झंडा दिवस पर समस्त देशवासी आज के दिन भारत के सैन्य बलों को धन्यवाद देने और देश के लिए शहीद होने वाले जवानों को स्मरण करते हैं। इस मौके पर देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोगों से सशस्त्र बल झंडा दिवस कोष में पूरे दिल से दान करने और वीर नारियों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण को सुनिश्चित करने के सरकार के प्रयास का हिस्सा बनने की अपील की।Sputnik भारत आज आपको बताने जा रहा है इस दिन की महत्ता के बारे में की यह दिन भारत में क्यों मनाया जाता है। सशस्त्र बल झंडा दिवस का इतिहास क्या है? 15 अगस्त 1947 को आजादी मिलने के बाद भारतीय सरकार ने जवानों द्वारा देश के लिए दिए जाने वाले योगदान को पहचाना, जिसके बाद रक्षा मंत्री के अधीन एक समूह का गठन किया गया। 28 अगस्त 1949 को इस समूह ने हर 7 दिसंबर को झंडा दिवस मनाने का निर्णय लिया।इस दिन आम लोगों को छोटे छोटे झंडे के बदले में दान इकट्ठा करना था। यह दिन सभी को याद दिलाता है कि नागरिकों को देश की रक्षा करने वाले सशस्त्र बलों के परिवारों और रिश्तेदारों का समर्थन करना चाहिए। पूर्व सैनिकों (ESM) के कल्याण और पुनर्वास में सहायता के लिए सरकार द्वारा सशस्त्र बल झंडा दिवस कोष (AFFDF) की स्थापना की गई थी। लगभग 32 लाख ESM हैं, जिनमें सेवानिवृत्ति के कारण हर वर्ष 60,000 नए जोड़े जाते हैं।सशस्त्र बल झंडा दिवस का क्या महत्व है?यह दिन उन बहादुर सैनिकों के लिए श्रद्धांजलि है जो या तो पहले देश के लिए लड़ चुके हैं या अभी भी सीमा पर अपने कर्तव्य का निर्वाहन कर रहे हैं। इसके साथ साथ यह उन परिवारों की मुख्य भूमिका को भी याद करने का दिन है, जिनके परिवारों से जवानों ने देश के लिए बलिदान दिया है। यह दिन अपने देश की सेना के प्रति सम्मान दिखाने और सेना के जवानों को याद करने के लिए एक महत्वपूर्व दिन है। झंडा दिवस युद्ध में घायल सैनिकों और देश के लिए अपना जीवन बलिदान करने वाले लोगों के परिवारों की देखभाल करने की हमारी प्रतिबद्धता पर बल देता है। कैसे मनाया जाता है झंडा दिवस? देश के लोगों को सेना के कार्यों के बारे में जागरूक बनाने के लिए सेना के तीनों अंग थल, वायु और नौ सेना अपने अपने स्तर पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं।
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जानें क्यों 7 दिसम्बर को मनाया जाता है सशस्त्र बल झंडा दिवस?
भारत में हर वर्ष सशस्त्र सेना झंडा दिवस 7 दिसंबर को सेना में सेवारत सैनिकों और भूतपूर्व सैनिकों के सम्मान में मनाया जाता है।
1949 के बाद से लगातार मनाए जाने वाला यह दिन मुख्यतः सशस्त्र बलों के सैनिकों के परिवारों के सामने आने वाली कठिनाइयों के बारे में जागरूकता उत्पन्न करता है।
सशस्त्र बल झंडा दिवस को देश में ध्वज दिवस के रूप में भी जाना जाता है। यह दिन भारतीय
सशस्त्र बल सैनिकों के कल्याण के लिए भारतीय नागरिकों से धन जुटाने के लिए समर्पित किया गया है।
इसके साथ साथ झंडा दिवस पर समस्त देशवासी आज के दिन भारत के सैन्य बलों को धन्यवाद देने और देश के लिए शहीद होने वाले जवानों को स्मरण करते हैं। इस मौके पर देश के
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोगों से सशस्त्र बल झंडा दिवस कोष में पूरे दिल से दान करने और वीर नारियों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण को सुनिश्चित करने के सरकार के प्रयास का हिस्सा बनने की अपील की।
"सैनिक अनुशासन, समर्पण और देशभक्ति के साथ सीमाओं की रक्षा करते हैं, इसके अतिरिक्त वे प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं के दौरान राहत और बचाव कार्यों के साथ-साथ दुनिया भर में शांति मिशनों में भी बहुमूल्य योगदान देते हैं। यह सुनिश्चित करना हमारा सामूहिक कर्तव्य है कि उन्हें हम सभी से उचित मान्यता मिले," उन्होंने कहा।
Sputnik भारत आज आपको बताने जा रहा है इस दिन की महत्ता के बारे में की यह दिन भारत में क्यों मनाया जाता है।
सशस्त्र बल झंडा दिवस का इतिहास क्या है?
15 अगस्त 1947 को आजादी मिलने के बाद
भारतीय सरकार ने जवानों द्वारा देश के लिए दिए जाने वाले योगदान को पहचाना, जिसके बाद रक्षा मंत्री के अधीन एक समूह का गठन किया गया। 28 अगस्त 1949 को इस समूह ने हर 7 दिसंबर को झंडा दिवस मनाने का निर्णय लिया।
इस दिन आम लोगों को छोटे छोटे झंडे के बदले में दान इकट्ठा करना था। यह दिन सभी को याद दिलाता है कि नागरिकों को देश की रक्षा करने वाले सशस्त्र बलों के परिवारों और रिश्तेदारों का समर्थन करना चाहिए।
पूर्व सैनिकों (ESM) के कल्याण और पुनर्वास में सहायता के लिए सरकार द्वारा
सशस्त्र बल झंडा दिवस कोष (AFFDF) की स्थापना की गई थी। लगभग 32 लाख ESM हैं, जिनमें सेवानिवृत्ति के कारण हर वर्ष 60,000 नए जोड़े जाते हैं।
सशस्त्र बल झंडा दिवस का क्या महत्व है?
यह दिन उन बहादुर सैनिकों के लिए श्रद्धांजलि है जो या तो पहले देश के लिए लड़ चुके हैं या अभी भी सीमा पर अपने कर्तव्य का निर्वाहन कर रहे हैं। इसके साथ साथ यह उन परिवारों की मुख्य भूमिका को भी याद करने का दिन है, जिनके परिवारों से जवानों ने देश के लिए बलिदान दिया है।
यह दिन अपने देश की सेना के प्रति सम्मान दिखाने और सेना के जवानों को याद करने के लिए एक महत्वपूर्व दिन है। झंडा दिवस युद्ध में घायल सैनिकों और देश के लिए अपना जीवन बलिदान करने वाले लोगों के परिवारों की देखभाल करने की हमारी प्रतिबद्धता पर बल देता है।
कैसे मनाया जाता है झंडा दिवस?
देश के लोगों को सेना के कार्यों के बारे में जागरूक बनाने के लिए सेना के तीनों अंग थल, वायु और नौ सेना अपने अपने स्तर पर विभिन्न
सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं।