Sputnik मान्यता
भारतीय और विदेशी विशेषज्ञों द्वारा प्रदान किया गया क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाओं का गहन विश्लेषण पढ़ें - राजनीति और अर्थशास्त्र से लेकर विज्ञान-तकनीक और स्वास्थ्य तक।

भारतीय व्यापार को नया रास्ता देगा चाबहार बंदरगाह

© AP Photo / Ebrahim NorooziA cargo ship is docked during the inauguration ceremony of the newly built extension in the port of Chabahar on the Gulf of Oman, southeastern Iran, near the Pakistani border, Sunday, Dec. 3, 2017.
A cargo ship is docked during the inauguration ceremony of the newly built extension in the port of Chabahar on the Gulf of Oman, southeastern Iran, near the Pakistani border, Sunday, Dec. 3, 2017. - Sputnik भारत, 1920, 06.06.2024
सब्सक्राइब करें
नरेंद्र मोदी की सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम निर्णय ईरान के साथ चाबहार बंदरगाह को लेकर किया गया समझौता था। भारत के लिए ईरान का यह बंदरगाह इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
जिस समय देश आम चुनाव के सबसे महत्वपूर्ण दौर से गुज़र रहा था, उस समय चाबहार बंदरगाह को 10 साल के लिए विकसित करने और उसका इस्तेमाल करने के समझौते पर मोहर लगाई गई। इस सौदे पर अमेरिका की नाराज़गी की भी भारत ने परवाह नहीं की

भारत ने चाबहार बंदरगाह के लिए ईरान से 2003 में ही चर्चा शुरू कर दी थी लेकिन इस काम में 2016 से तेज़ी आई। इस बंदरगाह की भौगोलिक स्थिति इसे जबरदस्त रणनैतिक महत्व देती है।

भारतीय नौसेना की पश्चिमी कमान के पूर्व फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ़ वाइस एडमिरल (रिटायर्ड) अजेन्द्र बहादुर सिंह कहते हैं कि चाबहार से अफ़ग़ानिस्तान, कज़ाकिस्तान, ताजिकिस्तान जैसे उन देशों तक पहुंच बनाई जा सकती है जो चारों तरफ़ से ज़मीन से घिरे हैं। इसी तरह यहां से अज़रबैज़ान, आर्मेनिया होते हुए रूस तक पहुंचा जा सकता है।

वाइस एडमिरल सिंह ने कहा, "यह बंदरगाह गुजरात के कांडला बंदरगाह से लगभग 800 किमी दूर है और मुंबई से क़रीब 1200 किमी दूर है। यह भारत से ज्यादा दूर नहीं है। अगर भारत को अपनी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाना है तो उसे व्यापार के नए रास्ते तलाश करने होंगे और पुराने रास्तों को सुधारना पड़ेगा।"

चाबहार बंदरगाह समझौते पर अमेरिका ने अपनी नाराज़गी साफ़ ज़ाहिर कर दी थी लेकिन भारत ने इस मुद्दे पर किसी के दबाव में आने से साफ़ इंकार कर दिया। ईरान के साथ भारत के पुराने व्यापारिक संबंध हैं लेकिन ईरान पर लगे प्रतिबंधों के कारण उनमें काफ़ी हद तक कमी आई है।

वाइस एडमिरल सिंह ने कहा कि भारत सरकार की नीति स्पष्ट है कि वह केवल भारत के हितों के आधार पर काम करेगी और इस मुद्दे पर किसी भी देश के इशारे पर नहीं चलेगी।

सुरक्षा के मुद्दे पर चाबहार बंदरगाह को वाइस एडमिरल सिंह बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं।

उन्होंने कहा, "चाबहार समझौते के बाद इस पूरे इलाक़े में सुरक्षा बढ़ेगी। नौसेनाओं को यहां तैनात होने में मदद मिलेगी जिससे वे पाइरेसी और ड्रग तस्करी पर बेहतर ढंग से नज़र रख पाएंगी।"

पिछले कुछ महीनों में अरब सागर, लाल सागर के इलाक़े में व्यापारिक जहाज़ों पर समुद्री डाकुओं के हमले बढ़े हैं। भारतीय नौसेना ने बड़ी तादाद में अपने जंगी जहाज़ों को इस इलाक़े में तैनात किया जिन्होंने व्यापारिक जहाज़ों की मुसीबत में मदद की और व्यापार को सुरक्षित किया।
President Xi Jinping had a very good meeting with Prime Minister Shehbaz Sharif of Pakistan on his official visit to China, Beijing says. - Sputnik भारत, 1920, 02.06.2024
विश्व
पाकिस्तान और चीन ने प्रमुख परियोजनाओं में निवेश बढ़ाने के लिए किया समझौता
न्यूज़ फ़ीड
0
loader
चैट्स
Заголовок открываемого материала