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मोदी के रूस दौरे ने रूस को अलग-थलग करने की पश्चिम की योजना को दिया झटका

© Sputnik / SERGEI BOBYLYOVIn this pool photograph distributed by the Russian state agency Sputnik, Russia's President Vladimir Putin and Indian Prime Minister Narendra Modi take a walk during an informal meeting at the Novo-Ogaryovo state residence, outside Moscow, on July 8, 2024.
In this pool photograph distributed by the Russian state agency Sputnik, Russia's President Vladimir Putin and Indian Prime Minister Narendra Modi take a walk during an informal meeting at the Novo-Ogaryovo state residence, outside Moscow, on July 8, 2024. - Sputnik भारत, 1920, 10.07.2024
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राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन वैश्विक कूटनीतिक भूमिका में हैं तथा यूक्रेन में रूस के विशेष अभियान को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें बहिष्कृत करने के अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों के प्रयासों को चुनौती दे रहे हैं।
मई में अपना पांचवां राष्ट्रपति कार्यकाल शुरू करने के बाद से सिर्फ़ दो महीनों में पुतिन ने यूरोप, एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और मध्य पूर्व के नेताओं के साथ 20 से अधिक सफल बैठकें की हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस सप्ताह की मास्को यात्रा इस बात का स्पष्ट संकेत देती है कि भारत रूस के साथ अपनी निकटता बनाए रखने के लिए दृढ़ संकल्पित है। नई दिल्ली रूसी हथियारों का एक प्रमुख खरीदार बना हुआ है और यूक्रेन संकट शुरू होने के बाद से ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सस्ते रूसी तेल का चीन के बाद सबसे बड़ा आयातक है।

मोदी और पुतिन के बीच गर्मजोशी और विश्वास भरा रिश्ता देख अमेरिका सहित पश्चिमी देश सदमे में है और यही कारण है कि पश्चिमी मीडिया भी अब स्वीकार करने लगा है कि रूस को अलग-थलग करने की नीति पूरी तरह असफल साबित हुई है।

अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में स्थित मीडिया कंपनी ब्लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट के हेडिंग में लिखा, "मोदी-पुतिन का गले मिलना रूस को अलग-थलग करने में विफलता को दर्शाता है।"
ब्लूमबर्ग ने आगे लिखा वाशिंगटन के लिए व्लादिमीर पुतिन को अलग-थलग करना और भी मुश्किल होता जा रहा है। नाटो के नेता जिस समय रूस के खिलाफ एकजुट मोर्चा बनाने की उम्मीद में अमेरिकी राजधानी में एकत्र हुए, उसी समय भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मास्को में पुतिन को गले लगा रहे थे।
बीबीसी ने लेख में लिखा "पश्चिमी देश प्रतिबंध लगाकर मास्को को अलग-थलग करने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं राष्ट्रपति पुतिन चीन, भारत, तुर्की और अन्य प्रमुख देशों के नेताओं के साथ शिखर-स्तरीय बैठकें कर रहे हैं।"
दरअसल राष्ट्रपति पुतिन मई से ही विभिन्न विश्व नेताओं के साथ सक्रिय रूप से कूटनीतिक बैठकों में भाग ले रहे हैं। चीन, भारत, हंगरी, तुर्की, उत्तर कोरिया और अन्य देशों के नेताओं के साथ उनकी हालिया बातचीत गठबंधनों को मजबूत करने और रूस के वैश्विक प्रभाव का विस्तार करने के रणनीतिक प्रयास का संकेत देती है।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा कि पश्चिमी देशों की सरकारें भारत और दुनिया भर की कई अन्य सरकारों को पुतिन के खिलाफ सार्वजनिक रुख अपनाने के लिए राजी करने में विफल रही हैं। मोदी ने रूस की निंदा करने से परहेज किया है और इसके बजाय शांति के लिए सामान्य आह्वान जारी किया है, जिससे मास्को के साथ भारत के मधुर संबंध कायम रहे हैं जो शीत युद्ध के दिनों से ही कायम हैं।

गौरतलब है कि 2022 में यूक्रेन में विशेष सैन्य अभियान के बाद रूस को अलग-थलग करने के पश्चिमी देशों के अभियान के बावजूद दुनिया के प्रमुख देशों ने मास्को के संबंध में अपने घरेलू हितों को आगे बढ़ाया है और पश्चिमी देशों के दबाव और प्रतिबंध वाली रणनीति को मानने से पूरी तरह इनकार कर दिया है।
यही कारण है कि मई से ही पुतिन देश और विदेश में विदेशी शासकों के साथ बैठकों में व्यस्त हैं। शी और एर्दोगन के अलावा पुतिन ने अस्ताना में एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान अजरबैजान, कजाकिस्तान, मंगोलिया, पाकिस्तान और कतर के नेताओं से मुलाकात की। रूस में उन्होंने जिम्बाब्वे, बोलीविया, कांगो गणराज्य, क्यूबा, ​​आर्मेनिया, ताजिकिस्तान और बहरीन के अपने समकक्षों के साथ बातचीत की है। पुतिन ने उज्बेकिस्तान और बेलारूस के नेताओं से मुलाकात करने के लिए वहां की यात्रा भी की।
Indian Prime Minister Narendra Modi, front, and Russian President Vladimir Putin visit Atom pavilion at the Exhibition of Achievements of National Economy (VDNKh) in Moscow, Russia, Tuesday, July 9, 2024. (Alexey Maishev, Sputnik, Kremlin Pool Photo) - Sputnik भारत, 1920, 09.07.2024
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