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भारतीय सेना ने शुरू की भविष्य के टैंक की तलाश

© MONEY SHARMAIndian army soldiers on T-90 Bhishma battle tanks take part in India’s 75th Republic Day parade in New Delhi on January 26, 2024.
Indian army soldiers on T-90 Bhishma battle tanks take part in India’s 75th Republic Day parade in New Delhi on January 26, 2024. - Sputnik भारत, 1920, 09.09.2024
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भारतीय सेना ने अपने लिए भविष्य के टैंक की खोज शुरू कर दी है। लंबे इंतज़ार के बाद रक्षा मंत्रालय की रक्षा अधिगृहण परिषद यानि DAC ने अत्याधुनिक टैंक FUTURE READY COMBAT VEHICAL (FRCV) की खरीद प्रक्रिया शुरू करने पर मोहर लगा दी है।
भारतीय सेना को 1700 से ज्यादा नए टैंकों की तलाश है जिनसे T-72 टैंकों के बेड़े को बदला जा सके। इन FRCV को 2030 से भारतीय सेना में शामिल करना शुरू करने की योजना है जबकि इनका प्रोटोटाइप अगले 3-4 साल में आने की उम्मीद है।
भारत को पंजाब और राजस्थान से लगती पाकिस्तान की सीमा के लिए टैंकों की सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है जहां लड़ाई का निर्णय टैंकों पर टिका होता है। इस सीमा पर कई बार टैंकों की ऐतिहासिक भिडंत हुई हैं। चीन के साथ 2020 में लद्दाख में तनाव बढ़ने पर भारत ने भारी तादाद में अपने टैंकों की वहां भी तैनाती की है।
भारतीय सेना में लंबे अरसे तक टैंकों पर काम कर चुके मेजर जनरल बिशंबर दयाल (सेवानिवृत्त) का मानना है कि टैंकों का महत्व कभी कम नहीं हो सकता और खासतौर पर भारत को इनकी बहुत ज्यादा ज़रूरत है।

जनरल दयाल ने कहा, "भारत के दोनों ही पड़ोसी देशों के साथ कई मुद्दे उलझे हैं इसलिए दोनों ही मोर्चे संवेदनशील हैं। दोनों ही सीमाओं पर टैंकों से बड़ी कार्रवाइयां की जा सकती हैं। यहां बिना टैंकों के लड़ाई नहीं की जा सकती है। दुश्मन के इलाक़े में आगे बढ़ने के लिए, ज़मीन पर कब्ज़े के लिए टैंकों की ज़रूरत होती है। टैंक से सैनिकों को सुरक्षा भी दी जाती है, रफ्तार से आगे बढ़ा जा सकता है और दुश्मन पर तेज़ गोलाबारी की जा सकती है। रूस-यूक्रेन युद्ध में टैंकों का महत्व सबकी समझ में आ गया है।"

भारतीय सेना की तलाश ऐसे टैंक की है जो हर तरह के इलाक़े में काम कर सके, ज्यादा मज़बूत कवच हो, तेज़ रफ्तार से चलते हुए भी सटीक निशाना लगाए, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर से लैस हो, नेटवर्क पर आधारित लड़ाई में शामिल हो सके, ड्रोन हमलों का मुक़ाबला करने में सक्षम हो। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसी सबसे नई तकनीक हो और परमाणु-जैविक-रासायनिक हथियारों से सुरक्षित रह सके।
जनरल दयाल का कहना है कि FRCV को अगले 50 साल के लिए तैयार करना है इसलिए उसमें लगातार अपग्रेड की व्यवस्था होनी चाहिए साथ ही फ़ायर करने की ताक़त को बढ़ाना भी ज़रूरी है।
जनरल दयाल ने कहा, "दुश्मन अपने मोर्चों को मज़बूत कर रहा है इसलिए नए टैंक की फ़ायर पावर को उसे भेदने के लिए बनाना होगा। फ़ायर पावर की ही तरह रफ्तार को बढ़ाना ज़रूरी है। ड्रोन और हेलीकॉप्टरों के भविष्य के हथियारों से निबटने का इंतज़ाम अभी से ही ज़रूरी है। लेकिन सबसे ज़रूरी है कि टैंक में ही पूरी युद्धभूमि की जानकारी मिल सके और दूसरों से लगातार संपर्क बनाए रख सके। इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की तकनीकों को शामिल करना होगा और उन्हें लगातार अपग्रेड भी करना होगा।"
भारतीय सेना में लगभग 2500 T-72 टैंक हैं जिनको लगभग 45 साल पहले भारतीय सेना में शामिल किया गया था। 1600 से ज्यादा T-90 टैंक भी भारतीय सेना में शामिल हैं जो ज्यादा आधुनिक हैं और 2000 के दशक में उन्हें भारतीय सेना में शामिल करना शुरू किया गया था।
An Indian Army Bhishma tank, the locally assembled version of the T-90S tank, rolls in front of vehicle mounted Brahmos missiles during Army Day parade in New Delhi, India, Thursday, Jan. 15, 2009. - Sputnik भारत, 1920, 10.08.2024
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