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अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आने वाले समय में युद्ध के मैदान में बहुत बड़ा गेमचेंजर होगा: विशेषज्ञ
अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आने वाले समय में युद्ध के मैदान में बहुत बड़ा गेमचेंजर होगा: विशेषज्ञ
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आधुनिक युद्धक्षेत्र जैसे-जैसे विकसित हो रहा है, अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की उपयोगिता तेजी से बढ़ती जा रही है, जैसा कि हाल ही में इज़राइल और हमास से जुड़े युद्ध में देखा गया है।
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अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI को सैन्य अनुप्रयोगों में रसद से लेकर युद्ध के मैदान की योजना तक में एकीकृत किया जा रहा है। AI-संचालित स्वायत्त हथियार प्रणालियों (AWS) के विकास की प्रवृत्ति बढ़ रही है, जो न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप के साथ लक्ष्य की पहचान कर सकता है और प्रहार कर सकता है।विश्व भर में रक्षा क्षेत्र में AI निवेश में वृद्धि देखी जा रही है। 2040 तक एआई के सैन्य अभियानों के विभिन्न पहलुओं में गहराई से शामिल होने की उम्मीद है।भारत के रक्षा मंत्रालय (MoD) ने डिफेंस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोजेक्ट एजेंसी (DAIPA) को अगले पांच वर्षों के लिए 100 करोड़ रुपये (12 मिलियन डॉलर) का वार्षिक बजट देने का वादा किया है। यह फंडिंग एआई परियोजनाओं, बुनियादी ढांचे के विकास, डेटा तैयारी और क्षमता निर्माण का समर्थन करेगी।इसी कड़ी में भारतीय सेना ने पिछले महीने एक विशिष्ट प्रौद्योगिकी इकाई सिग्नल टेक्नोलॉजी मूल्यांकन और अनुकूलन समूह STEAG का गठन किया है। इसके अंतर्गत रक्षा अनुप्रयोगों के लिए AI, 5G, 6G, मशीन लर्निंग, क्वांटम तकनीक जैसी भविष्य की संचार प्रौद्योगिकियों का अनुसंधान और मूल्यांकन किया जाएगा।दरअसल रणनीति, प्रतिउपाय और प्रौद्योगिकियां लगातार विकसित हो रही हैं, इसलिए इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और रडार जैसे क्षेत्र सैन्य अनुप्रयोग डिजाइनरों का परीक्षण कर रहे हैं।विश्व के कई देश अपने सशस्त्र बलों की सैन्य प्रणालियों और हथियारों के लिए AI का लाभ उठाते हैं। ये हवा, समुद्र, ज़मीन और अंतरिक्ष में नियुक्त होते हैं। वर्तमान प्रणालियां जिनमें AI शामिल है, उन्हें मनुष्यों की कम भागीदारी की जरूरत होती है और वे युद्ध में अधिक प्रभावी हैं।इस बीच भारतीय सेना में मेजर जनरल पद से सेवानिवृत्त प्रमोद कुमार सहगल ने Sputnik India को बताया कि ड्रोन और अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आने वाले समय में बहुत बड़ा गेमचेंजर होगा।साथ ही रक्षा विशेषज्ञ ने रेखांकित किया कि आने वाले समय में रोबोटिक हवाई जहाज होंगे। AI के माध्यम से भारत के संचार तकनीक और सभी सैटेलाइट को नष्ट किया जा सकता है। चीन के पास इसकी क्षमता है। हालांकि भारत ने भी ऐसी क्षमता दर्शायी है लेकिन जो क्षमता भारत ने दर्शायी है उसमें और सुधार करने की जरूरत है ताकि युद्ध के समय दुश्मन के संचार प्रणाली को इस सीमा तक बर्बाद कर सके कि कमांडर से जाने वाले आदेश आगे नहीं पहुंच सके।सहगल ने कहा कि इसी तरह ऐसे टैंक होंगे जिसमें चालक नहीं होगा और टैंक AI के माध्यम से खुद काम करेंगे। इसी तरीके के बख्तरबंद वाहन बन रहे हैं इसी तरह के सैनिक बन रहे हैं।वहीं AI प्रौद्योगिकियों के उपयोग से जुड़े संभावित परमाणु खतरे के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस पर अभी काफी रिसर्च हो रही है, हालांकि किस हद तक खतरा बढ़ेगा इसका सही अनुमान अभी तक कोई नहीं दे सका है।इसके अतिरिक्त उन्होंने कहा, "ईरान ने इजराइल के ऊपर 170 ड्रोन, 30 क्रूज मिसाइल और अन्य कुछ हथियार फायर किया, लेकिन उसमें कहा जाता है कि 99% को मार गिराया गया लेकिन इन्हीं ड्रोन में AI लगाई गयी होती तो 99% ड्रोन लक्ष्य को निशाना बनाता। तो इसलिए आने वाले समय में यह एक बहुत बड़ी चिंता होगी और भारत को यह प्रयास करना है कि हम AI के मामले में पीछे न रह जाए।"दरअसल ईरान ने इस महीने के बीच में 300 से अधिक क्रूज़ और बैलिस्टिक मिसाइलों, रॉकेट और विस्फोटक ड्रोन का उपयोग करके इज़राइल पर हवाई हमला किया। ईरान ने कहा कि ये हमले 2 अप्रैल को सीरिया के दमिश्क में उसके राजनयिक परिसर पर इज़राइली हवाई हमलों की प्रतिक्रिया थे, जिसमें वरिष्ठ ईरानी सैन्य जनरल सहित कई लोग मारे गए थे। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने प्रतिशोध लेने की कसम खाई थी।
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अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ai के सैन्य अनुप्रयोग, युद्ध के मैदान की योजना, ai-संचालित स्वायत्त हथियार प्रणालियों (aws), न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप, लक्ष्य की पहचान, रक्षा क्षेत्र में ai निवेश, भारत के रक्षा मंत्रालय (mod), डिफेंस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोजेक्ट एजेंसी (daipa), भविष्य की संचार प्रौद्योगिकियों का अनुसंधान, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, ai का लाभ
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अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आने वाले समय में युद्ध के मैदान में बहुत बड़ा गेमचेंजर होगा: विशेषज्ञ
आधुनिक युद्धक्षेत्र जैसे-जैसे विकसित हो रहा है, अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की उपयोगिता तेजी से बढ़ती जा रही है, जैसा कि हाल ही में इज़राइल और हमास से जुड़े युद्ध में देखा गया है।
अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI को सैन्य अनुप्रयोगों में रसद से लेकर युद्ध के मैदान की योजना तक में एकीकृत किया जा रहा है। AI-संचालित स्वायत्त हथियार प्रणालियों (AWS) के विकास की प्रवृत्ति बढ़ रही है, जो न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप के साथ लक्ष्य की पहचान कर सकता है और प्रहार कर सकता है।
विश्व भर में रक्षा क्षेत्र में AI निवेश में वृद्धि देखी जा रही है। 2040 तक एआई के सैन्य अभियानों के विभिन्न पहलुओं में गहराई से शामिल होने की उम्मीद है।
भारत के
रक्षा मंत्रालय (MoD) ने डिफेंस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोजेक्ट एजेंसी (DAIPA) को अगले पांच वर्षों के लिए 100 करोड़ रुपये (12 मिलियन डॉलर) का वार्षिक बजट देने का वादा किया है। यह फंडिंग एआई परियोजनाओं, बुनियादी ढांचे के विकास, डेटा तैयारी और क्षमता निर्माण का समर्थन करेगी।
इसी कड़ी में भारतीय सेना ने पिछले महीने एक विशिष्ट प्रौद्योगिकी इकाई सिग्नल टेक्नोलॉजी मूल्यांकन और अनुकूलन समूह
STEAG का गठन किया है। इसके अंतर्गत रक्षा अनुप्रयोगों के लिए AI, 5G, 6G, मशीन लर्निंग, क्वांटम तकनीक जैसी भविष्य की संचार प्रौद्योगिकियों का अनुसंधान और मूल्यांकन किया जाएगा।
दरअसल रणनीति, प्रतिउपाय और प्रौद्योगिकियां लगातार विकसित हो रही हैं, इसलिए इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और रडार जैसे क्षेत्र सैन्य अनुप्रयोग डिजाइनरों का परीक्षण कर रहे हैं।
विश्व के कई देश अपने सशस्त्र बलों की सैन्य प्रणालियों और हथियारों के लिए AI का लाभ उठाते हैं। ये हवा, समुद्र, ज़मीन और अंतरिक्ष में नियुक्त होते हैं। वर्तमान प्रणालियां जिनमें AI शामिल है, उन्हें मनुष्यों की कम भागीदारी की जरूरत होती है और वे
युद्ध में अधिक प्रभावी हैं।
इस बीच भारतीय सेना में मेजर जनरल पद से सेवानिवृत्त प्रमोद कुमार सहगल ने Sputnik India को बताया कि ड्रोन और अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आने वाले समय में बहुत बड़ा गेमचेंजर होगा।
मेजर जनरल सहगल ने कहा, "AI लड़ाई के प्रत्येक पहलू को प्रभावित करेगा। इस कड़ी में सभी इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम, राडार सिस्टम, मिसाइल प्रणाली और लड़ाकू विमान में AI का इस्तेमाल किया जाएगा। AI लड़ाकू विमानों, मिसाइलों, रॉकेट, तोपों की मारक सटीकता को अधिक घातक बना सकता है। हमलावर और रक्षक के बीच डिंग डोंग लड़ाई जो है जैसे चीन और पाकिस्तान जैसे देश AI का इस्तेमाल कर हिंदुस्तान पर हावी होने की कोशिश करेगा। भारत को प्रयास करना चाहिए कि AI के माध्यम से हर तरह के हथियारों को ऐसा मजबूत करें कि दुश्मन हावी न हो सके और उसके हमले को विफल किया जा सके। साथ ही भारत हर तरह से दुश्मन पर हावी हो सके।"
साथ ही रक्षा विशेषज्ञ ने रेखांकित किया कि आने वाले समय में रोबोटिक हवाई जहाज होंगे। AI के माध्यम से भारत के संचार तकनीक और सभी सैटेलाइट को नष्ट किया जा सकता है। चीन के पास इसकी क्षमता है। हालांकि भारत ने भी ऐसी क्षमता दर्शायी है लेकिन जो क्षमता भारत ने दर्शायी है उसमें और सुधार करने की जरूरत है ताकि युद्ध के समय दुश्मन के संचार प्रणाली को इस सीमा तक बर्बाद कर सके कि कमांडर से जाने वाले आदेश आगे नहीं पहुंच सके।
सहगल ने कहा कि इसी तरह ऐसे टैंक होंगे जिसमें चालक नहीं होगा और टैंक AI के माध्यम से खुद काम करेंगे। इसी तरीके के बख्तरबंद वाहन बन रहे हैं इसी तरह के सैनिक बन रहे हैं।
वहीं AI प्रौद्योगिकियों के उपयोग से जुड़े
संभावित परमाणु खतरे के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस पर अभी काफी रिसर्च हो रही है, हालांकि किस हद तक खतरा बढ़ेगा इसका सही अनुमान अभी तक कोई नहीं दे सका है।
सहगल ने कहा, "अनुमान है कि AI हथियार प्रणाली और परमाणु हथियार को इतना घातक बना देगी कि आपके रक्षा प्रणाली को चकमा दे सके। अभी जैसे हमारे पास कई प्रकार के राडार हैं जिसके माध्यम से दुश्मन के मिसाइल, रॉकेट या मानव रहित विमान (UAV), ड्रोन को हम पहचान पाते हैं और डिटेक्ट कर पाते हैं और डिटेक्ट करके उसको निष्क्रिय करते हैं लेकिन AI के माध्यम से दुश्मन चाहेगा कि इन हथियारों को डिटेक्ट नहीं किया जा सके।"
इसके अतिरिक्त उन्होंने कहा, "ईरान ने इजराइल के ऊपर 170 ड्रोन, 30 क्रूज मिसाइल और अन्य कुछ हथियार फायर किया, लेकिन उसमें कहा जाता है कि 99% को मार गिराया गया लेकिन इन्हीं ड्रोन में AI लगाई गयी होती तो 99% ड्रोन लक्ष्य को निशाना बनाता। तो इसलिए आने वाले समय में यह एक बहुत बड़ी चिंता होगी और भारत को यह प्रयास करना है कि हम AI के मामले में पीछे न रह जाए।"
दरअसल ईरान ने इस महीने के बीच में 300 से अधिक क्रूज़ और बैलिस्टिक मिसाइलों, रॉकेट और विस्फोटक ड्रोन का उपयोग करके इज़राइल पर हवाई हमला किया। ईरान ने कहा कि ये हमले 2 अप्रैल को सीरिया के दमिश्क में उसके राजनयिक परिसर पर इज़राइली हवाई हमलों की प्रतिक्रिया थे, जिसमें वरिष्ठ ईरानी सैन्य जनरल सहित कई लोग मारे गए थे। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने प्रतिशोध लेने की कसम खाई थी।
सहगल ने कहा, "AI के मामले में विश्व में चीन सबसे आगे है। हमें बराबरी के लिए बहुत कुछ करना होगा, और इसलिए भारत दूसरे देश से तकनीक लेने का प्रयास कर रहा है परंतु कोई भी देश चाहे कितना भी दोस्त हो वह हर तकनीक नहीं देगा। इसलिए भारत के DRDO, IIT और इसरो जैसे संस्थानों को इस दिशा में कार्य करना होगा। AI पूरी तरह सूचना युद्ध और सॉफ्टवेयर के ऊपर निर्भर है। इस क्षेत्र में आज विश्व में सॉफ्टवेयर के मामले में भारत आगे है परंतु सॉफ्टवेयर को हमने शांति काल के समय में उपयोग के लिए बनाया हुआ है उसको हमें परिवर्तन करना है कि यह हमें युद्ध के समय में मदद करे।"