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आठ महीने, 40 हज़ार किमी: दो महिला अफसरों के सागर परिक्रमा अभियान के बारे में जानें

© Sputnik / Krishna Mohan MishraTwo Indian Navy Women Officers to embark on sailing expedition
Two Indian Navy Women Officers to embark on sailing expedition - Sputnik भारत, 1920, 23.09.2024
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भारतीय नौसेना की दो महिला अधिकारी 2 अक्टूबर को गोवा से सागर परिक्रमा अभियान पर निकलेंगी यानी समुद्री रास्ते से दुनिया का चक्कर लगाएंगी। लेफ्टिनेंट कमांडर डिल्ना के और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए अपनी नाव तारिणी पर करीब 8 महीने में यह यात्रा पूरी करेंगी।
इस दौरान ये दोनों अफसर 21600 नॉटिकल मील यानि लगभग 40100 किमी की यात्रा करेंगी। इस अभियान को नाविका सागर परिक्रमा-2 नाम दिया गया है।
अभियान की जानकारी देते हुए उप नौसेनाध्यक्ष वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामिनाथन ने कहा कि यह यात्रा भारत की नौसैनिक विरासत को मज़बूत करने का संकल्प है।

"इस यात्रा से हम बेहतर और शक्तिशाली भविष्य के नए रास्ते बनाएंगे। भारतीय नौसेना का संकल्प न केवल अपने तटों बल्कि पूरे विश्व के विस्तृत समुद्र में व्यावसायिक कुशलता और उत्तरदायी व्यवहार के आदर्शों को बनाए रखना है," एडमिरल स्वामीनाथन ने कहा।

अपनी इस साहसिक यात्रा के दौरान ये अफसर किसी आधुनिक नौसंचलन उपकरण का प्रयोग नहीं करेंगी बल्कि केवल हवाओं के सहारे इसे पूरा करेंगी। इस दौरान उन्हें लगातार बदलते मौसम और हवाओं के साथ-साथ समुद्र की विपरीत परिस्थितियों का सामना करना होगा जो उनकी सामर्थ्य की परीक्षा लेगा।
तीनों मुख्य केप यानि केप लीउविन, केप हॉर्न और केप ऑफ गुड होप को पार करते हुए उन्हें सबसे मुश्किल समुद्री रास्ते से गुज़रना होगा। उनकी नाव तारिणी केवल 17 मीटर लंबी और 23 टन वज़नी है। इसके इंजिन का प्रयोग केवल तट पर जाने या वहां से बाहर जाने के लिए किया जाएगा, शेष यात्रा पालों के सहारे हवा का प्रयोग करते हुए की जाएगी।
बैटरियों का चार्ज करने के लिए सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा या जेनरेटर का प्रयोग किया जाएगा। पूरी यात्रा में तारिणी ज़रूरी साज़ोसामान लेने के लिए केवल 5 बंदरगाहों पर दो-दो हफ्ते रुकेगी।
समुद्र के ज़रिए दुनिया का चक्कर लगाना कुछ सबसे मुश्किल अभियानों में से एक है लेकिन दोनों महिला अफसर इस अभियान को लेकर बहुत उत्साहित हैं। दोनों ने इस अभियान के लिए पिछले दो सालों से तैयारी की है। इसके लिए वे गोवा से पोर्ट ब्लेयर, रियो द जेनेरियो, मारीशस तक की यात्रा कर चुकी हैं।
उन्हें अपने स्वास्थ्य के अलावा तारिणी के रखरखाव और मरम्मत के लिए भी प्रशिक्षित किया गया है। भारतीय नौसेना इस पूरी यात्रा में उनपर नज़र रखेगी ताकि किसी आपात स्थिति में उनके पास तुरंत सहायता पहुंचाई जा सके।
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