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आजादी के बाद से भारत का रूस के साथ हमेशा सकारात्मक अनुभव रहा: जयशंकर
आजादी के बाद से भारत का रूस के साथ हमेशा सकारात्मक अनुभव रहा: जयशंकर
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भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को न्यूयॉर्क में एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट में एशिया सोसाइटी को संबोधित करते हुए कहा कि भारत-रूस संबंध हमेशा सकारात्मक रहे हैं।
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भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को न्यूयॉर्क में एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट में एशिया सोसाइटी को संबोधित करते हुए कहा कि भारत-रूस संबंध हमेशा सकारात्मक रहे हैं।उन्होंने एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के उपाध्यक्ष डैनियल रसेल के साथ चर्चा के दौरान शीत युद्ध के दौरान एशिया में पश्चिमी देशों द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में बात करते हुए कहा कि शीत युद्ध के दौरान अमेरिका और पश्चिमी देश आम तौर पर हमारे क्षेत्र में पाकिस्तान को प्राथमिकता देते थे जब भारत ने सोवियत संघ की ओर एक बड़े भागीदार के रुप में देखा था।पिछले महीने नई दिल्ली में एक पुस्तक विमोचन समारोह में बोलते हुए जयशंकर ने कहा था कि अगर कोई रूस के साथ व्यापार को देखेगा जो अब पांच गुना बढ़ गया है, तो यह "भारत और रूस के बीच आर्थिक पूरकता" है और भारत को "उस पूरकता के लाभों को पाने से नहीं डरना चाहिए।"नई दिल्ली मास्को के साथ निवेश संधि पर आगे बढ़ने के साथ-साथ रूसी नेतृत्व वाले यूरेशियन आर्थिक संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहा है। इसके अलावा दोनों देश संयुक्त रूप से सैन्य उपकरण बनाने पर भी विचार कर रहे हैं।
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आजादी के बाद से भारत का रूस के साथ हमेशा सकारात्मक अनुभव रहा: जयशंकर
भारत की रूस के साथ मित्रता अन्य देशों की तुलना में सबसे पुरानी मानी जाती है। दोनों राष्ट्रों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में लाभकारी साझेदारी 75 वर्षों से चली आ रही है और दोनों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों का सकारात्मक इतिहास रहा है।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को न्यूयॉर्क में एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट में एशिया सोसाइटी को संबोधित करते हुए कहा कि भारत-रूस संबंध हमेशा सकारात्मक रहे हैं।
उन्होंने एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के उपाध्यक्ष डैनियल रसेल के साथ चर्चा के दौरान शीत युद्ध के दौरान एशिया में पश्चिमी देशों द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में बात करते हुए कहा कि
शीत युद्ध के दौरान अमेरिका और पश्चिमी देश आम तौर पर हमारे क्षेत्र में
पाकिस्तान को प्राथमिकता देते थे जब भारत ने सोवियत संघ की ओर एक बड़े भागीदार के रुप में देखा था।
जयशंकर ने कहा, "हमारे लिए स्वतंत्रता के बाद का हमारा अपना इतिहास सोवियत संघ और बाद में रूस के साथ सकारात्मक अनुभव के अलावा और कुछ नहीं रहा। हमारे 40 साल के दौरान पश्चिम पाकिस्तान को हथियार दे रहा था और हमने सोवियत संघ की ओर एक सैन्य भागीदार के रूप में देखा, इसलिए हमारे पास रणनीतिक भू-राजनीतिक समीकरणों के अलावा लंबे समय के रक्षा और सुरक्षा संबंध हैं"
पिछले महीने नई दिल्ली में एक पुस्तक विमोचन समारोह में बोलते हुए जयशंकर ने कहा था कि अगर कोई रूस के साथ व्यापार को देखेगा जो अब पांच गुना बढ़ गया है, तो यह "
भारत और रूस के बीच आर्थिक पूरकता" है और भारत को "उस पूरकता के लाभों को पाने से नहीं डरना चाहिए।"
नई दिल्ली मास्को के साथ निवेश संधि पर आगे बढ़ने के साथ-साथ रूसी नेतृत्व वाले यूरेशियन आर्थिक संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहा है। इसके अलावा दोनों देश संयुक्त रूप से
सैन्य उपकरण बनाने पर भी विचार कर रहे हैं।