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मार्च तक 307 ATAGS की खरीदी के अनुबंध पर हस्ताक्षर कर लिए जाएंगे: लेफ्टिनेंट जनरल अदोष कुमार

© Photo : video screenshotAdvanced Towed Artillery Gun System (ATAGS)
Advanced Towed Artillery Gun System (ATAGS) - Sputnik भारत, 1920, 27.09.2024
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भारतीय सेना के तोपखाने में स्वदेशीकरण के साथ आधुनिकीकरण की गति में तेज़ी आ रही है। स्वदेशी 155 मिमी के एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम या ATAGS के सभी परीक्षण पूरे कर लिए गए हैं।
भारतीय सेना के तोपखाने के डायरेक्टर जनरल ले. जनरल अदोष कुमार ने नई दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत के दौरान बताया कि इस वित्तीय वर्ष के समाप्त होने से पहले यानि मार्च तक 307 ATAGS की खरीदी के अनुबंध पर हस्ताक्षर कर लिए जाएंगे।

ATAGS को DRDO ने डिज़ाइन किया है और इसका निर्माण कल्यानी स्ट्रेटेजिक सिस्टम्स और टाटा एडवांस सिस्टम्स मिलकर करेंगे। पहली स्वदेशी 155 मिमी की तोप धनुष के सेना में शामिल करने का काम तय समय से चल रहा है और 2026 तक सभी 114 धनुष तोपें सेना को मिल जाएंगी।

जनरल कुमार ने कहा कि ATAGS के तोपखाने में शामिल होने की प्रतीक्षा की जा रही है। भारतीय सेना में शामिल होने से पहले ही आर्मेनिया को इसका निर्यात शुरू हो गया है।
अलग-अलग गोलों के साथ इसकी मारक दूरी 35 से 48 किमी तक होने का दावा किया गया है। भारत इस रेंज को रेमजेट प्रोपल्शन के सहारे 60 किमी से ज्यादा करने पर काम कर रहा है। ATAGS को अपनी श्रेणी में सबसे लंबी दूरी तक मार करने वाली तोप माना जा रहा है। भारत ने इसे 2022 में स्वतंत्रता दिवस समारोह में लाल किले पर राष्ट्रध्वज की सलामी देने वाली तोपों में शामिल किया था।
ATAGS को बेहतर गति देने के लिए उसे ट्रक पर लगाकर माउंटेड गन सिस्टम (MGS) और हल्की टोड गन सिस्टम (TGS) के विकास काम तेज़ी से चल रहा है। जनरल कुमार ने कहा कि दोनों ही सिस्टम 2025 तक परीक्षणों के लिए तैयार हो जाएंगे। MGS की आवश्यकता भारतीय सेना को विशेष रूप से उत्तरी सीमाक्षेत्रों के लिए लंबे समय से है। ऊंचे पहाड़ी इलाक़ों में संकरे-घुमावदार रास्तों में बड़ी तोपों को खींचकर ले जाना कठिन है।
MGS जिस ट्रक पर लगा है वह भी स्वदेशी है और चलते हुए ट्रक से केवल 80 सेकंड में तोप को फ़ायरिंग के लिए तैयार किया जा सकता है। वहीं फ़ायरिंग बंद कर दोबारा यात्रा शुरू करने में 85 सेकंड का समय लगेगा। MGS के प्रोटोटाइप को भारत ने 2022 में डिफेंस एक्सपो में प्रदर्शित किया है। TGS को पहाड़ी क्षेत्रों आसानी से हेलीकॉप्टर से ले जाने के लिए तैयार किया जा रहा है, इसके लिए ATAGS के 18 टन का वज़न कम किया जाएगा।
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