https://hindi.sputniknews.in/20241011/construction-of-russian-icebreaker-ships-in-india-will-create-employment-opportunities-experts-8263562.html
भारत में रुसी आइसब्रेकर जहाजों के निर्माण से रोजगार के अवसर पैदा होंगे: विशेषज्ञ
भारत में रुसी आइसब्रेकर जहाजों के निर्माण से रोजगार के अवसर पैदा होंगे: विशेषज्ञ
Sputnik भारत
गुरुवार को ‘रूस और भारत के बीच उत्तरी समुद्री मार्ग में सहयोग पर आयोजित संयुक्त कार्य समूह’ की पहली बैठक भारत में आयोजित की गई जिसमें भारत में गैर-परमाणु आइसब्रेकर निर्माण योजनाओं पर चर्चा की गई।
2024-10-11T16:19+0530
2024-10-11T16:19+0530
2024-10-11T16:19+0530
sputnik स्पेशल
भारत
भारत सरकार
दिल्ली
रूस का विकास
रूस
मास्को
जहाजी बेड़ा
आर्थिक वृद्धि दर
विशेषज्ञ
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e7/03/1b/1312289_0:197:3075:1926_1920x0_80_0_0_401c8a642929cf8d063268aded73a843.jpg
गुरुवार को ‘रूस और भारत के बीच उत्तरी समुद्री मार्ग में सहयोग पर आयोजित संयुक्त कार्य समूह’ की पहली बैठक भारत में आयोजित की गई जिसमें ध्रुवीय जल में भारतीय नाविकों के प्रशिक्षण पर समझौता ज्ञापन और भारत में गैर-परमाणु आइसब्रेकर निर्माण योजनाओं पर चर्चा की गई।रूसी परमाणु एजेंसी रोसाटॉम भारत में चार गैर-परमाणु आइसब्रेकर जहाज बनाने की योजना बना रहा है। रूस के पूर्वी विकास मंत्रालय के प्रमुख एलेक्सी चेकुनकोव ने व्लादिवोस्तोक में पूर्वी आर्थिक मंच (EEF) के दौरान Sputnik के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि भारत ने अपने शिपयार्ड में गैर-परमाणु आइसब्रेकर के संयुक्त निर्माण का प्रस्ताव रखा है। रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने रूस की सरकारी परमाणु ऊर्जा कंपनी रोसाटॉम के लिए 6,000 करोड़ रुपये से अधिक की अनुमानित लागत वाले चार गैर-परमाणु आइसब्रेकर जहाजों के निर्माण के लिए संपर्क किया था, क्योंकि रूस अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को देखते हुए अपने उत्तरी समुद्री मार्ग (NSR) विकास योजना की जरूरत के हिसाब से जहाजों के निर्माण के लिए भारत में "अनुकूल और सक्षम यार्ड" की तलाश कर रहा है।Sputnik भारत ने इन गैर-परमाणु आइसब्रेकर के भारत में बनाए जाने पर भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त और भारत में जहाज निर्माण कंपनी एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड में वाइस प्रेसिडेंट के पद पर काम कर चुके कॉमोडोर एल एस सचदेव से बात की।उन्होंने विश्वास के साथ कहा कि यह कुछ ऐसा है जिस पर हमने पहले विचार किया था, हालांकि अब रूस पर लगे हालिया प्रतिबंधों के कारण वे भारत की ओर रुख कर रहे हैं। इन आइस ब्रेकर के भारत में बनने से रोजगार के ज्यादा अवसर पैदा होंगे।इन गैर-परमाणु आइसब्रेकर जहाजों के निर्माण में आने वाली तकनीकी समस्याओं पर बात करते हुए कॉमोडोर एल एस सचदेव ने कहा कि रूस से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के आधार पर ही इसमें आगे बढ़ा जा सकता है, इसलिए इसके लिए एक निश्चित मात्रा में तकनीक ट्रांसफर के साथ-साथ विशेष उपकरणों के आयात की भी जरूरत होगी।गैर-परमाणु आइसब्रेकर जहाजों के बारे में सचदेव बताते हैं कि यह एक बहुत ही खास जहाज है, इसे बहुउद्देशीय उपयोग के लिए नहीं बनाया गया। इसे एक खास काम के लिए बनाया गया है, इसलिए हमें रूसी मदद से इसे बनाना होगा।रूस से तकनीक ट्रांसफर होने से वैश्विक बाजार के लिए इन जहाजों के निर्माण की संभावना पर बात करते हुए कॉमोडोर सचदेव कहते हैं कि यह संभव है। हालांकि उन्होंने कहा कि जब जहाजों के निर्यात की बात आती है तो हम बहुत सुस्त हैं। क्योंकि सरकार ने निर्यात के इस पहलू पर ज्यादा जोर नहीं दिया है। इसके अलावा इनके निर्माण से हम आर्थिक क्षेत्र में ज्यादा प्रभाव नहीं डाल पाएंगे।
https://hindi.sputniknews.in/20241007/russia-interested-in-new-projects-in-fuel-and-energy-sector-with-india-8244269.html
भारत
दिल्ली
रूस
मास्को
उत्तरी समुद्री मार्ग
व्लादिवोस्तोक
Sputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
2024
धीरेंद्र प्रताप सिंह
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e6/0c/13/135790_0:0:719:720_100x100_80_0_0_8e4e253a545aa4453ae659b236312d73.jpg
धीरेंद्र प्रताप सिंह
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e6/0c/13/135790_0:0:719:720_100x100_80_0_0_8e4e253a545aa4453ae659b236312d73.jpg
खबरें
hi_IN
Sputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e7/03/1b/1312289_0:0:2731:2048_1920x0_80_0_0_4d7c57a7ef986e80437b766f9f5b2bf4.jpgSputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
धीरेंद्र प्रताप सिंह
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e6/0c/13/135790_0:0:719:720_100x100_80_0_0_8e4e253a545aa4453ae659b236312d73.jpg
रूस और भारत, उत्तरी समुद्री मार्ग में सहयोग, उत्तरी समुद्री मार्ग में सहयोग पर संयुक्त कार्य समूह, ध्रुवीय जल में भारतीय नाविकों का प्रशिक्षण, भारत में गैर-परमाणु आइसब्रेकर निर्माण, योजना, रूसी एजेंसी रोसाटॉम, भारत में चार गैर-परमाणु आइसब्रेकर जहाज, भारतीय शिपयार्ड में गैर-परमाणु आइसब्रेकर, यूरेशियाई राष्ट्र के पूर्वी विकास मंत्रालय के प्रमुख एलेक्सी चेकुनकोव, russia and india, cooperation in the northern sea route, joint working group on cooperation in the northern sea route, training of indian sailors in polar waters, non-nuclear icebreaker construction in india, plan, russian agency rosatom, four non-nuclear icebreaker ships in india, non-nuclear icebreakers in indian shipyard, alexey chekunkov, head of the eurasian nation's eastern development ministry
रूस और भारत, उत्तरी समुद्री मार्ग में सहयोग, उत्तरी समुद्री मार्ग में सहयोग पर संयुक्त कार्य समूह, ध्रुवीय जल में भारतीय नाविकों का प्रशिक्षण, भारत में गैर-परमाणु आइसब्रेकर निर्माण, योजना, रूसी एजेंसी रोसाटॉम, भारत में चार गैर-परमाणु आइसब्रेकर जहाज, भारतीय शिपयार्ड में गैर-परमाणु आइसब्रेकर, यूरेशियाई राष्ट्र के पूर्वी विकास मंत्रालय के प्रमुख एलेक्सी चेकुनकोव, russia and india, cooperation in the northern sea route, joint working group on cooperation in the northern sea route, training of indian sailors in polar waters, non-nuclear icebreaker construction in india, plan, russian agency rosatom, four non-nuclear icebreaker ships in india, non-nuclear icebreakers in indian shipyard, alexey chekunkov, head of the eurasian nation's eastern development ministry
भारत में रुसी आइसब्रेकर जहाजों के निर्माण से रोजगार के अवसर पैदा होंगे: विशेषज्ञ
आइसब्रेकर जहाज का उपयोग बर्फ को तोड़ने के लिए किया जाता है जिसके बाद बर्फ पिघलकर पानी बन जाती है। बर्फ से ढके पानी में संकट और आपदाओं के लिए प्रतिक्रिया क्षमता प्रदान करने में आइसब्रेकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
गुरुवार को ‘रूस और भारत के बीच उत्तरी समुद्री मार्ग में सहयोग पर आयोजित संयुक्त कार्य समूह’ की पहली बैठक भारत में आयोजित की गई जिसमें ध्रुवीय जल में भारतीय नाविकों के प्रशिक्षण पर समझौता ज्ञापन और भारत में गैर-परमाणु आइसब्रेकर निर्माण योजनाओं पर चर्चा की गई।
रूसी परमाणु एजेंसी रोसाटॉम भारत में चार
गैर-परमाणु आइसब्रेकर जहाज बनाने की योजना बना रहा है। रूस के पूर्वी विकास मंत्रालय के प्रमुख एलेक्सी चेकुनकोव ने व्लादिवोस्तोक में पूर्वी आर्थिक मंच (EEF) के दौरान Sputnik के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि भारत ने अपने शिपयार्ड में गैर-परमाणु आइसब्रेकर के संयुक्त निर्माण का प्रस्ताव रखा है।
चेकुनकोव ने कहा, "यह उस काम की निरंतरता है जिसे हमने इस साल मार्च में शुरू किया था। मेरे निमंत्रण पर भारत के बंदरगाह और जहाजरानी मंत्री रूस आए। यह उनका रूस में पहला दौरा है। भारत आर्कटिक नेविगेशन में कर्मियों को प्रशिक्षित करने में रुचि रखता है। हमने भारतीय शिपयार्ड पर गैर-परमाणु आइसब्रेकर के संयुक्त निर्माण का प्रस्ताव रखा। हम इस प्रस्ताव का अध्ययन कर रहे हैं।"
रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने रूस की सरकारी परमाणु ऊर्जा कंपनी रोसाटॉम के लिए 6,000 करोड़ रुपये से अधिक की अनुमानित लागत वाले चार गैर-परमाणु आइसब्रेकर जहाजों के निर्माण के लिए संपर्क किया था, क्योंकि रूस अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को देखते हुए अपने
उत्तरी समुद्री मार्ग (NSR) विकास योजना की जरूरत के हिसाब से जहाजों के निर्माण के लिए भारत में "अनुकूल और सक्षम यार्ड" की तलाश कर रहा है।
Sputnik भारत ने इन गैर-परमाणु आइसब्रेकर के भारत में बनाए जाने पर भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त और भारत में जहाज निर्माण कंपनी एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड में वाइस प्रेसिडेंट के पद पर काम कर चुके कॉमोडोर एल एस सचदेव से बात की।
उन्होंने विश्वास के साथ कहा कि यह कुछ ऐसा है जिस पर हमने पहले विचार किया था, हालांकि अब रूस पर लगे हालिया
प्रतिबंधों के कारण वे भारत की ओर रुख कर रहे हैं। इन आइस ब्रेकर के भारत में बनने से रोजगार के ज्यादा अवसर पैदा होंगे।
सेवानिवृत कॉमोडोर एल एस सचदेव ने कहा, "जहाज निर्माण भारत के लोगों के लिए रोजगार पैदा करने और शिपयार्ड के लिए व्यवसाय पैदा करेगा। जहां तक शिपयार्ड का सवाल है, भारत में बहुत कम निजी शिपयार्ड हैं जो इतने बड़े गैर-परमाणु आइसब्रेकर का निर्माण कर पाएंगे। चूंकि भारत ने पहले कभी आइसब्रेकर का निर्माण नहीं किया है, इसलिए संभवतः इसे रूस से प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के साथ करना होगा।"
इन गैर-परमाणु आइसब्रेकर जहाजों के निर्माण में आने वाली तकनीकी समस्याओं पर बात करते हुए कॉमोडोर एल एस सचदेव ने कहा कि
रूस से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के आधार पर ही इसमें आगे बढ़ा जा सकता है, इसलिए इसके लिए एक निश्चित मात्रा में तकनीक ट्रांसफर के साथ-साथ विशेष उपकरणों के आयात की भी जरूरत होगी।
उन्होंने कहा, "कार्गो जहाज़ों की बात समझ में आती है, क्योंकि हमारे पास इतना बड़ा व्यापार है, लेकिन अगर हम खास तौर पर आइसब्रेकर की बात करें, तो इन्हें बनाने के लिए किसी खास क्षमता की जरूरत है जिसके लिए हमें तक रुसी तकनीक की जरूरत होगी क्योंकि हमने पहले कभी इस तरह के जहाजों को नहीं बनाया है।"
गैर-परमाणु आइसब्रेकर जहाजों के बारे में सचदेव बताते हैं कि यह एक बहुत ही खास जहाज है, इसे बहुउद्देशीय उपयोग के लिए नहीं बनाया गया। इसे एक खास काम के लिए बनाया गया है, इसलिए हमें रूसी मदद से इसे बनाना होगा।
रूस से तकनीक ट्रांसफर होने से वैश्विक बाजार के लिए इन जहाजों के निर्माण की संभावना पर बात करते हुए कॉमोडोर सचदेव कहते हैं कि यह संभव है। हालांकि उन्होंने कहा कि जब जहाजों के
निर्यात की बात आती है तो हम बहुत सुस्त हैं। क्योंकि सरकार ने निर्यात के इस पहलू पर ज्यादा जोर नहीं दिया है। इसके अलावा इनके निर्माण से हम आर्थिक क्षेत्र में ज्यादा प्रभाव नहीं डाल पाएंगे।
जहाज निर्माण के जानकार सचदेव ने कहा, "जिन देशों को आइसब्रेकर की जरूरत है, उनके पास आमतौर पर खुद के निर्माण के लिए तकनीक होती है। इन जहाजों की मांग भी सीमित है, मुख्य रूप से उत्तरी गोलार्ध में तेल के परिवहन के लिए। आर्थिक कारकों के अलावा, इन जहाजों के निर्माण से रोजगार पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ेगा। मेरा मानना है कि मझगांव डॉक अभी भी रक्षा पोत निर्माण में व्यस्त है, इसलिए उनके द्वारा आइसब्रेकर उत्पादन की जिम्मेदारी लेना थोड़ा मुश्किल होगा।"