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भारतीय नौसेना गगनयान अंतरिक्ष यात्रियों को जल में जीवित रहने की तकनीक का देगी प्रशिक्षण
भारतीय नौसेना गगनयान अंतरिक्ष यात्रियों को जल में जीवित रहने की तकनीक का देगी प्रशिक्षण
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भारत के प्रथम मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के लिए चुने गए चार अंतरिक्ष यात्री बीते कई साल से कठोर प्रशिक्षण से गुजर रहे हैं
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भारतीय नौसेना ने अंतरिक्ष यात्रियों के तीन दिवसीय मिशन के बाद पृथ्वी पर लौटने पर हिंद महासागर से चालक दल के मॉड्यूल को पुनः प्राप्त करने की जिम्मेदारी ली है।दरअसल लैंडिंग के बाद अंतरिक्ष यात्री मॉड्यूल का हैच खोलकर पानी में कूद सकता है। वह व्यक्तिगत सुरक्षा पैक को फुलाकर उसमें बैठ सकता है और रिकवरी टीम के आगमन की प्रतीक्षा कर सकता है।वर्ष 2013 में स्थापित WSTF दुनिया की तीसरी व्यापक सुविधा है, जो विमानचालकों को समुद्र में जीवित रहने का प्रशिक्षण देती है।इसरो द्वारा मानव अंतरिक्ष उड़ान वर्ष 2026 में होने की उम्मीद है। गगनयान के लिए पहले चार अंतरिक्ष यात्रियों ने रूस के ऐतिहासिक यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में व्यापक प्रशिक्षण लिया। हालांकि इसके लिए चार अंतरिक्ष यात्रियों का चयन किया गया है, लेकिन अंतिम संख्या तय करना इसरो का काम है।
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भारतीय नौसेना, गगनयान अंतरिक्ष यात्री, जल में जीवित रहने का प्रशिक्षण, अंतरिक्ष चालक दल, हिंद महासागर, लैंडिंग बैकअप स्थान, अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित निकासी, मानव अंतरिक्ष उड़ान, यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर, रूस में प्रशिक्षण
भारतीय नौसेना, गगनयान अंतरिक्ष यात्री, जल में जीवित रहने का प्रशिक्षण, अंतरिक्ष चालक दल, हिंद महासागर, लैंडिंग बैकअप स्थान, अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित निकासी, मानव अंतरिक्ष उड़ान, यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर, रूस में प्रशिक्षण
भारतीय नौसेना गगनयान अंतरिक्ष यात्रियों को जल में जीवित रहने की तकनीक का देगी प्रशिक्षण
भारत के प्रथम मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के लिए चुने गए चार अंतरिक्ष यात्री बीते कई सालों से कठोर प्रशिक्षण से गुजर रहे हैं, अब इसी कड़ी में भारतीय नौसेना कोच्चि स्थित आईएनएस गरुड़ के जल जीवन रक्षा प्रशिक्षण सुविधा (WSTF) में अंतरिक्ष यात्रियों को समुद्र में उतरने के बाद जीवन रक्षा का प्रशिक्षण देगी।
भारतीय नौसेना ने अंतरिक्ष यात्रियों के तीन दिवसीय मिशन के बाद पृथ्वी पर लौटने पर हिंद महासागर से चालक दल के मॉड्यूल को पुनः प्राप्त करने की जिम्मेदारी ली है।
इस मॉड्यूल के हिंद महासागर में उतरने की उम्मीद है और
नौसेना इस क्षेत्र में अपने जहाजों को तैनात करेगी। इसरो ने लैंडिंग के लिए 48 बैकअप स्थानों को चिह्नित किया है।
दरअसल लैंडिंग के बाद अंतरिक्ष यात्री मॉड्यूल का हैच खोलकर पानी में कूद सकता है। वह व्यक्तिगत सुरक्षा पैक को फुलाकर उसमें बैठ सकता है और रिकवरी टीम के आगमन की प्रतीक्षा कर सकता है।
WSTF के प्रभारी अधिकारी कैप्टन शिनोध कार्तिकेयन ने कहा, "यह हमारा पहला प्रयास है। नौसेना ने इसरो के वैज्ञानिकों के साथ समन्वय करके चालक दल को सुरक्षित निकालने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया तैयार की है। रिकवरी टीम को खराब मौसम की स्थिति में भी अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित निकासी सुनिश्चित करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।
वर्ष 2013 में स्थापित WSTF दुनिया की तीसरी व्यापक सुविधा है, जो विमानचालकों को
समुद्र में जीवित रहने का प्रशिक्षण देती है।
इसरो द्वारा मानव अंतरिक्ष उड़ान वर्ष 2026 में होने की उम्मीद है। गगनयान के लिए पहले चार अंतरिक्ष यात्रियों ने रूस के ऐतिहासिक यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में व्यापक प्रशिक्षण लिया। हालांकि इसके लिए चार अंतरिक्ष यात्रियों का चयन किया गया है, लेकिन अंतिम संख्या तय करना इसरो का काम है।