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समुद्र के अंदर भारत की पहुंच बढ़ी, नौसेना को तीसरा सर्वेक्षण पोत मिला

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INS Ikshak - Sputnik भारत, 1920, 07.11.2025
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आईएनएस इक्षक को 6 नवंबर को कोच्चि में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। स्वदेश निर्मित इस पोत का वज़न 3,300 टन है और यह 110 मीटर लंबा है। यह पोत अत्याधुनिक जल सर्वेक्षण और समुद्र विज्ञान प्रणालियों से सुसज्जित है।
नौसेनाध्यक्ष एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने पोत को नौसेना में शामिल किया। एडमिरल त्रिपाठी ने अपने संबोधन में कहा कि यह पोत भारतीय नौसेना, भारतीय उद्योगों और लघु-मध्यम उद्योगों के बीच बने सुदृढ़ तालमेल का प्रतीक है।
यह स्वदेशी बड़े सर्वेक्षण पोतों की संध्यायक श्रेणी की तीसरा पोत है। पहले दो पोत संध्यायक और निर्देशक पिछले वर्ष नौसेना में शामिल किए गए थे। इस श्रेणी का चौथा और अंतिम पोत अगले महीने नौसेना में शामिल हो जाएगा।
ये पोत तटीय और गहरे समुद्र के अंदर नौचालन के मार्ग, एक्ज़ीक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन के आंकड़े एकत्र करने के अतिरिक्त समुद्र में पानी की गति, स्थिरता, तापमान जैसे आंकड़े एकत्र करते हैं जिनके आधार पर नौसेना अपनी योजनाएं तैयार करती है।
समुद्र में अनुसंधान के अलावा यह पोत खोज और बचाव अभियान में भाग ले सकता है और चिकित्सालय पोत की तरह भी काम कर सकता है। इस पोत में 231 नौसैनिकों का दल तैनात किया जा सकता है।
समुद्र में सर्वेक्षण के लिए पोत में गहराई में जाने वाले स्वचालित वाहन और दूर से नियंत्रित किए जाने वाले वाहन हैं। पोत में एक हेलीकॉप्टर भी तैनात किया जा सकता है। पोत में महिला नौसैनिकों की तैनाती के लिए भी व्यवस्था की गई है।
भारत की समुद्री तटरेखा लगभग 7500 किमी की है तथा 20 लाख वर्ग किमी का एक्सक्लूसिव एकोनॉमिक ज़ोन (EEZ) है। भारत में 9 समुद्र तटीय राज्य हैं और 4 केन्द्र शासित समुद्र तटीय क्षेत्र हैं। भारत की बड़ी आबादी यहां रहती है और अपनी आजीविका के लिए समुद्र पर निर्भर है।
वैश्विक व्यापार का एक बड़ा हिस्सा भी हिंद महासागर से होकर गुज़रता है। भारतीय नौसेना को इस बड़े क्षेत्र की सुरक्षा के लिए लगातार समुद्री अनुसंधान करने होते हैं। इक्षक जैसे सर्वेक्षण पोत इन वैज्ञानिक जानकारियों को एकत्र करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
Representative image - Sputnik भारत, 1920, 06.10.2025
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