उन्होंने कहा, "पश्चिमी मुख्यधारा का मीडिया, जो कुछ निहित स्वार्थों से समर्थित है, निश्चित रूप से नरेंद्र मोदी जैसे मजबूत, मुखर और राष्ट्रवादी प्रधानमंत्री के विरुद्ध है। मैं यह भी तर्क दूंगा कि पश्चिमी देश आगामी राष्ट्रीय चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी की भाजपा के लिए दो-तिहाई बहुमत जैसे मजबूत जनादेश के साथ सहज नहीं होंगे।"
उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत दृढ़ता से अपने राष्ट्रीय हित को आगे बढ़ाएगा और अमेरिका सहित किसी भी बाहरी दबाव से नहीं डरेगा। अमेरिका और पश्चिमी शक्तियां अभी भी मोदी के नेतृत्व में भारत के उत्थान के साथ पूरी तरह से सहमत नहीं हुई हैं।"
मोदी के दूसरे कार्यकाल का पश्चिम द्वारा कवरेज
अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स के 2019 में जारी किए गए एक लेख में कहा गया, "क्रोध और भय का एक जीवित नरक।"
भागवत ने कहा कि भारत के बारे में इस तरह की नकारात्मक कवरेज और तीव्र होगी, क्योंकि नई दिल्ली 2047 तक महाशक्ति बनने के अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रही है।
विशेषज्ञ ने कहा, "वे मोदी और भाजपा की चुनावी सफलता और अटूट लोकप्रियता को पचा नहीं पाए हैं। और अब वे ऐसी गतिविधियों का सहारा ले रहे हैं, जिन्हें भारत विरोधी गतिविधियां कहा जा सकता है।"
पश्चिमी मीडिया भारत-पश्चिम संबंधों को कर रहा कमजोर
उन्होंने कहा, "पिछले वर्ष भारतीय आतंकवाद विरोधी एजेंसियों ने प्रतिबंधित आतंकवादी समूह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से '2047 तक भारत को बनाना है इस्लामिक स्टेट' शीर्षक वाला एक दस्तावेज जब्त किया था। इसका उद्देश्य भारत में गृह युद्ध भड़काना और हमारे देश को विघटित करना है। दूसरी ओर, हमारे पास प्रधानमंत्री मोदी द्वारा समर्थित 'विकासित भारत' का दृष्टिकोण है। दुर्भाग्य से, पश्चिमी मीडिया वर्तमान में पहले वाले दृष्टिकोण का समर्थन करता दिख रहा है।"
सिंह ने कहा, "पश्चिमी मीडिया का भारत के प्रति पूर्वाग्रह है, क्योंकि उनका एक एजेंडा है, जो भारत को अभी भी एक उपनिवेश के रूप में देखने की औपनिवेशिक मानसिकता से प्रेरित है। पश्चिमी मीडिया और पश्चिमी सरकारें दो अलग-अलग संस्थाएं हैं, जिनका भारत के प्रति दृष्टिकोण अधिकतर भिन्न और कभी-कभी समान होता है।"