मेजर जनरल सहगल ने कहा, "AI लड़ाई के प्रत्येक पहलू को प्रभावित करेगा। इस कड़ी में सभी इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम, राडार सिस्टम, मिसाइल प्रणाली और लड़ाकू विमान में AI का इस्तेमाल किया जाएगा। AI लड़ाकू विमानों, मिसाइलों, रॉकेट, तोपों की मारक सटीकता को अधिक घातक बना सकता है। हमलावर और रक्षक के बीच डिंग डोंग लड़ाई जो है जैसे चीन और पाकिस्तान जैसे देश AI का इस्तेमाल कर हिंदुस्तान पर हावी होने की कोशिश करेगा। भारत को प्रयास करना चाहिए कि AI के माध्यम से हर तरह के हथियारों को ऐसा मजबूत करें कि दुश्मन हावी न हो सके और उसके हमले को विफल किया जा सके। साथ ही भारत हर तरह से दुश्मन पर हावी हो सके।"
सहगल ने कहा, "अनुमान है कि AI हथियार प्रणाली और परमाणु हथियार को इतना घातक बना देगी कि आपके रक्षा प्रणाली को चकमा दे सके। अभी जैसे हमारे पास कई प्रकार के राडार हैं जिसके माध्यम से दुश्मन के मिसाइल, रॉकेट या मानव रहित विमान (UAV), ड्रोन को हम पहचान पाते हैं और डिटेक्ट कर पाते हैं और डिटेक्ट करके उसको निष्क्रिय करते हैं लेकिन AI के माध्यम से दुश्मन चाहेगा कि इन हथियारों को डिटेक्ट नहीं किया जा सके।"
सहगल ने कहा, "AI के मामले में विश्व में चीन सबसे आगे है। हमें बराबरी के लिए बहुत कुछ करना होगा, और इसलिए भारत दूसरे देश से तकनीक लेने का प्रयास कर रहा है परंतु कोई भी देश चाहे कितना भी दोस्त हो वह हर तकनीक नहीं देगा। इसलिए भारत के DRDO, IIT और इसरो जैसे संस्थानों को इस दिशा में कार्य करना होगा। AI पूरी तरह सूचना युद्ध और सॉफ्टवेयर के ऊपर निर्भर है। इस क्षेत्र में आज विश्व में सॉफ्टवेयर के मामले में भारत आगे है परंतु सॉफ्टवेयर को हमने शांति काल के समय में उपयोग के लिए बनाया हुआ है उसको हमें परिवर्तन करना है कि यह हमें युद्ध के समय में मदद करे।"