मुझे (इस लेख के लेखक को) उनसे मिलने का सौभाग्य दिल्ली छावनी के परेड ग्राउंड में 23 अक्टूबर 2004 में मिला। यहां वे भारतीय सेना के घुड़सवार दस्तों की एक परेड का निरीक्षण करने आए थे। उन्होंने फील्ड मार्शल की शानदार वर्दी में परेड की सलामी ली और जब परेड के बाद उनसे उनकी उम्र पूछी गई तो उन्होंने जवाब दिया, "मैं 90 साल, 6 महीने और 19 दिन का युवा फील्ड मार्शल हूँ।"
भारत-चीन और भारत-पाक युद्धों में सैम मानेकशॉ की भूमिका
उन्होंने कहा, "और मैं आपको भरोसा दिलाता हूँ कि यह आदेश कभी नहीं दिया जाएगा।"
"जब मेरे बेटे वापस आए तो उन्होंने बताया कि आपकी फौज ने उनका कितना ख्याल रखा, उनको भारतीय सैनिकों से बेहतर सुविधाएं दी गईं," रेपोर्टों के अनुसार उस बुजुर्ग पाकिस्तानी ने सैम बहादुर से कहा।
रिटायर होने के बाद सैम मानेकशॉ का जीवन
सैम बहादुर ने कहा, "परेशानी है, मैं अपने बिस्तर पर पड़ा हूँ और अपने राष्ट्रपति को सल्यूट नहीं कर पा रहा हूँ।"
"युद्ध में हारने वालों के लिए कोई जगह नहीं होती। अगर तुम हार जाओ तो वापस मत आना। तुम अपने गाँव, शहर, परिवार और पत्नी के लिए शर्मिंदगी लेकर आओगे," उन्होंने कहा।