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इसरो द्वारा किए PSLV-C56 के सफल प्रक्षेपण के बारे में क्या जानना चाहिए?

© AP Photo / Aijaz RahiIndian spacecraft Chandrayaan-3, the word for "moon craft" in Sanskrit, travels after it was launched from the Satish Dhawan Space Centre in Sriharikota, India, Friday, July 14, 2023. The Indian spacecraft blazed its way to the far side of the moon Friday in a follow-up mission to its failed effort nearly four years ago to land a rover softly on the lunar surface, the country's space agency said. A successful landing would make India the fourth country, after the United States, the Soviet Union, and China, to achieve the feat.
Indian spacecraft Chandrayaan-3, the word for moon craft in Sanskrit, travels after it was launched from the Satish Dhawan Space Centre in Sriharikota, India, Friday, July 14, 2023. The Indian spacecraft blazed its way to the far side of the moon Friday in a follow-up mission to its failed effort nearly four years ago to land a rover softly on the lunar surface, the country's space agency said. A successful landing would make India the fourth country, after the United States, the Soviet Union, and China, to achieve the feat. - Sputnik भारत, 1920, 30.07.2023
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14 जुलाई को चंद्रयान-3 मिशन के सफल प्रक्षेपण के बाद PSLV-C56 मिशन इसरो का पहला प्रक्षेपण है। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि इसरो अगस्त के अंत में या सितंबर की शुरुआत में एक और PSLV मिशन लॉन्च करेगा।
सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा प्रक्षेपित किया गया ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन वाहन (PSLV) रॉकेट DS-SAR सहित सिंगापुर के सात उपग्रहों को सफलतापूर्वक निर्धारित कक्षाओं में स्थापित किया जा चुका है, रविवार को इसरो में यह घोषणा की गई।
देश के पश्चिम में स्थित श्रीहरिकोटा द्वीप पर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 06:30 बजे प्रक्षेपण यान PSLV-C56 का प्रक्षेपण किया गया। लगभग 25 मिनट की उड़ान के बाद सभी उपग्रहों को निर्धारित कक्षाओं में प्रक्षेपित कर दिया गया। सभी उपग्रहों को 5 कक्षीय झुकाव के साथ 535 किमी गोलाकार में प्रक्षेपित किया गया।

“प्राथमिक उपग्रह DS-SAR और छह अन्य सह-यात्री उपग्रह होने वाले PSLV-C56 को सफलतापूर्वक सही कक्षा में स्थापित किया गया है। यह न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनसिल) के लिए PSLV मिशन है और मैं सिंगापुर सरकार द्वारा प्रायोजित ग्राहकों को PSLV मिशन पर उनके निरंतर विश्वास के लिए बधाई देना चाहता हूँ,” रॉकेट सफल प्रक्षेपण के बाद इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा।

PSLV-C56/DS-SAR क्या है?

ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) चार चरणों वाला प्रक्षेपण यान है, पहला और तीसरा चरण ठोस प्रणोदक हैं, दूसरा और चौथा चरण तरल हैं। इसरो ने इसे अपने सुदूर संवेदी उपग्रह को सूर्य समकालिक कक्षा में प्रक्षेपित करने के लिये विकसित किया है। PSLV के विकास से पहले यह सुविधा केवल रूस के पास थी।
PSLV प्रक्षेपण यान का पहला प्रक्षेपण 20 सितंबर, 1993 को हुआ था।
PSLV-C56/DS-SAR सिंगापुर के एसटी इंजीनियरिंग के लिए न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) का समर्पित वाणिज्यिक मिशन है। DS-SAR एक रडार-इमेजिंग अर्थ ऑब्जर्वेशन उपग्रह है जो मिशन का प्राथमिक उपग्रह है।

DS-SAR उपग्रह DSTA (सिंगापुर सरकार का प्रतिनिधित्व) और एसटी इंजीनियरिंग के बीच साझेदारी के तहत विकसित किया गया है। यह रडार एपर्चर सिंथेसिस तकनीक से लैस है, जिससे किसी भी मौसम स्थितियों में उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली इमेज लिए जा सकते हैं। तैनात और चालू होने के बाद इसका उपयोग सिंगापुर सरकार के भीतर विभिन्न एजेंसियों की उपग्रह इमेजरी आवश्यकताओं का समर्थन करने के लिए किया जाएगा।

PSLV-C56 का महत्त्व और उपयोग क्या है?

PSLV-C56/DS-SAR मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह अंतरिक्ष क्षेत्र में देश की बढ़ती क्षमताओं और मानव जाति के लाभ के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।
सबसे पहले अंतरिक्ष क्षेत्र में ऐसा सहयोग भारत और सिंगापुर के बीच सहयोग के विकास में एक प्रारंभिक बिंदु बन सकता है।
दूसरी अहम बात यह है कि SAR एक शक्तिशाली उपकरण है जिसका उपयोग दिन और रात, सभी मौसम स्थितियों में पृथ्वी की सतह की छवि लेने के लिए किया जा सकता है। यह आपदा प्रबंधन, भूमि उपयोग योजना और पर्यावरण निगरानी सहित विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए उपयोगी होगा। प्राप्त जानकारी का उपयोग पर्यावरण पर मानवीय गतिविधियों के प्रभाव का आकलन करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की निगरानी करने के साथ-साथ प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान का आकलन करने और राहत प्रयासों के समन्वय करने के लिए किया जा सकता है।
अंततः PSLV-C56/DS-SAR मिशन ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) का 56वां सफल प्रक्षेपण है। इस मिशन की सफलता PSLV की विश्वसनीयता को सिद्ध करती है।
Indian spacecraft Chandrayaan-3, the word for moon craft in Sanskrit, travels after it was launched from the Satish Dhawan Space Centre in Sriharikota, India, Friday, July 14, 2023. The Indian spacecraft blazed its way to the far side of the moon Friday in a follow-up mission to its failed effort nearly four years ago to land a rover softly on the lunar surface, the country's space agency said. A successful landing would make India the fourth country, after the United States, the Soviet Union, and China, to achieve the feat. - Sputnik भारत, 1920, 25.07.2023
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
चंद्रयान-3 आज पृथ्वी की सबसे उच्च कक्षा में स्थापित, 1 अगस्त को चंद्रमा की ओर बढ़ेगा

PSLV-C56 पर पेलोड

कक्षा में DS-SAR उपग्रह के अलावा अन्य छोटे आकार के उपग्रह प्रक्षेपित किए गए। वे क्या हैं और उनका कार्य क्या है?
VELOX-AM एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग (AM) पेलोड के प्रौद्योगिकी प्रदर्शन के लिए सिंगापुर द्वारा नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (NTU) द्वारा विकसित एक सूक्ष्म उपग्रह है।
इसी संसथान में ARCADE भी विकसित किया गया। यह कम ऊँचाई वाले मिशन के दौरान कक्षा के रखरखाव के लिए योडिण आधारित ठोस प्रणोदक प्रणोदन मॉड्यूल ले जाता है।
SCOOB-II एक 3U क्यूबसैट है जिसे सिंगापुर में नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (NTU) के छात्र समूह द्वारा विकसित किया गया है। उपग्रह को 6 महीने के मिशन जीवनकाल के लिए डिज़ाइन किया गया है।
NuLIoN एक 3U नैनो उपग्रह है।
GALASSIA-2 का मुख्य मिशन TeLEOS-1 के साथ अंतर-उपग्रह लिंक (ISL) करना है। उनकी तैयार छवियों का उपयोग अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के लिए किया जा सकता है।
ORB-12 STRIDER: यह विशेष रूप से छोटे उपग्रह समूहों के लिए तैयार की गई अगली पीढ़ी की प्रणोदन प्रणालियों का प्रदर्शन करेगा।
Gaganyaan project - Sputnik भारत, 1920, 27.07.2023
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