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प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए रूसी सैनिकों की स्मृति का दिन

© SputnikEmperor Nicholas II christens with the units located at the Headquarters of the Supreme Commander
Emperor Nicholas II christens with the units located at the Headquarters of the Supreme Commander - Sputnik भारत, 1920, 01.08.2023
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1914-1918 के प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए रूसी सैनिकों की स्मृति का दिन 1 अगस्त को मनाया जाता है। यह यादगार तारीख प्रथम विश्व युद्ध के दौरान शहीद हुए रूसी सैनिकों की स्मृति का सम्मान करने और उनके शहादत को श्रद्धांजली अर्पित करने के लिए स्थापित की गई थी।
1914-1918 का प्रथम विश्व युद्ध वैश्विक स्तर पर पहला सैन्य संघर्ष था, जिसमें उस समय मौजूद 59 स्वतंत्र राज्यों में से 38 शामिल थे।

युद्ध के कारण एवं शुरुआत

प्रथम विश्व युद्ध का मुख्य कारण यूरोपीय शक्तियों के दो गठबंधनों - ट्रिपल एंटेंटे (रूस, इंग्लैंड और फ्रांस) और ट्रिपल एलायंस (जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और इटली) के बीच वह विरोधाभास था, जिसका सार विभाजित उपनिवेशों, प्रभाव क्षेत्रों और बाज़ारों का पुनर्वितरण था। यूरोप से शुरू होकर, जहाँ मुख्य घटनाएँ हुईं, धीरे-धीरे इसने एक वैश्विक चरित्र हासिल कर लिया, जिसमें सुदूर और मध्य पूर्व, अफ्रीका, अटलांटिक, प्रशांत, आर्कटिक और भारतीय महासागरों का पानी भी शामिल हो गया।
प्रथम विश्व युद्ध का बहाना 28 जून, 1914 को ऑस्ट्रो-हंगेरियन सिंहासन के उत्तराधिकारी आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की सारायेवो (अब बोस्निया और हर्जेगोविना) शहर में सर्बियाई राष्ट्रवादियों द्वारा हत्या थी। युद्ध शुरू करने का बहाना ढूँढ़ने वाले जर्मनी के दबाव में ऑस्ट्रिया-हंगरी ने सर्बिया को उत्पन्न संघर्ष को हल करने के लिए अस्वीकार्य शर्तें जानबूझकर पेश कीं और ऑस्ट्रो-हंगेरियन अल्टीमेटम खारिज होने के बाद 28 जुलाई को युद्ध की घोषणा की।
सर्बिया के प्रति अपने संबद्ध दायित्वों को पूरा करते हुए रूस ने 30 जुलाई को सामान्य लामबंदी शुरू की। अगले दिन जर्मनी ने अल्टीमेटम की माँग की कि रूस लामबंदी बंद कर दे। अल्टीमेटम अनुत्तरित रह गया और 1 अगस्त को जर्मनी ने रूस के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी।
तब जर्मनी ने फ्रांस के विरुद्ध और ग्रेट ब्रिटेन ने जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी।
© Photo : Public domainРусская атака, 1916 год
Русская атака, 1916 год - Sputnik भारत, 1920, 01.08.2023
Русская атака, 1916 год

प्रथम विश्व युद्ध की प्रगति

अगस्त-सितंबर 1914 में रूसी सैनिकों ने गैलिसिया में ऑस्ट्रो-हंगेरियन सैनिकों को और 1914 के अंत में - 1915 की शुरुआत में - ट्रांसकेशस में तुर्की सैनिकों को हराया।
1915 में ट्रिपल एलियंस की सेनाओं ने पश्चिमी मोर्चे पर रणनीतिक रक्षा करते हुए रूसी सैनिकों को गैलिसिया, पोलैंड, बाल्टिक राज्यों का हिस्सा छोड़ने के लिए मजबूर किया और सर्बिया को हराया।
1916 में वर्दुन (फ्रांस) की लड़ाई के नतीजे में मित्र देशों की सुरक्षा को तोड़ने के जर्मन सैनिकों के असफल प्रयास के बाद रणनीतिक लाभ ट्रिपल एंटेंटे के हाथों में साबित हुआ। इसके अलावा मई-जुलाई 1916 में गैलिसिया में ऑस्ट्रो-जर्मन सैनिकों को हुई भारी हार ने जर्मनी के मुख्य सहयोगी ऑस्ट्रिया-हंगरी के पतन को पूर्व निर्धारित कर दिया था। कोकेशियान दिशा में रूसी सेना रणनीतिक लाभ अपने पास रखा।
1917 की फरवरी क्रांति के बाद शुरू हुई रूसी सेना के पतन ने जर्मनी और उसके सहयोगियों को अन्य मोर्चों पर अपने अभियान तेज करने में अपना योगदान दिया, लेकिन अंत में इससे समग्र स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया।
3 मार्च, 1918 को रूस के साथ ब्रेस्ट-लिटोव्स्क की अलग संधि के समापन के बाद जर्मन कमांड ने पश्चिमी मोर्चे पर बड़े पैमाने पर आक्रमण शुरू किया। जर्मन सफलता के परिणामों को समाप्त करते हुए ट्रिपल एंटेंटे की सेना आक्रामक हो गई, जो केंद्रीय शक्तियों की हार में समाप्त हुई।
CC BY-SA 3.0 / German Federal Archives / Члены немецкой делегации прибыли с целью мирных переговоров в Париж, 1919 год
Члены немецкой делегации прибыли с целью мирных переговоров в Париж, 1919 год - Sputnik भारत, 1920, 01.08.2023
Члены немецкой делегации прибыли с целью мирных переговоров в Париж, 1919 год

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मारे गए लोगों की स्मृति में स्मरणोत्सव

प्रथम विश्व युद्ध में रूस के नुकसान में मोर्चों पर डेढ़ मिलियन से अधिक लोग मारे गए और तीन मिलियन से अधिक कैदी थे, रूसी साम्राज्य की नागरिक आबादी का नुकसान दस लाख लोगों से अधिक था।
फरवरी 1915 में अखिल रूसी जन समाधि खोला गया था और प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए रूसी सैनिकों के दफन स्थानों के लिए मास्को के पास व्सेखस्वात्स्की गांव में पुराने पार्क की भूमि पर एक चैपल को पवित्रा किया गया था। 1920 के मध्य तक जन समाधि में दफ़नाना लगभग प्रतिदिन किया जाता था।
कुल मिलाकर प्रथम विश्व युद्ध में प्राप्त घावों से मास्को के अस्पतालों में मर गए 18 हजार सैनिकों और अधिकारियों को जन समाधि में दफनाया गया था। अप्रैल 2016 में युद्ध के पहले दो वर्षों में रूसी सेना के कमांडर-इन-चीफ ग्रैंड ड्यूक निकोलाई निकोलाइविच की राख को इस जगह में चैपल में फिर से दफनाया गया था।
कुल मिलाकर प्रथम विश्व युद्ध के दौरान शहीद हुए पीड़ितों और सैनिकों को समर्पित 20 स्मारक रूस और विदेशों में बनाए गए थे।
Участница акции Свеча памяти, приуроченной ко Дню памяти и скорби, на Дворцовой площади в Санкт-Петербурге - Sputnik भारत, 1920, 22.06.2023
फ़ोटो गेलरी
स्मरण और शोक का दिन: युद्ध की ज्वलंत तस्वीरें
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