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रक्षाबंधन स्पेशल: भारत में पर्यावरण की रक्षा के लिए आई बीज से बनी राखियां

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भारत में सितंबर से त्योहारों का सिलसिला प्रारंभ हो जाता है, इसकी शुरुआत रक्षाबंधन से होती है, इस त्योहार में भी अपने भाइयों को राखी बांधती हैं और सभी भी अपनी बहनों को उपहार और सारी उम्र उनकी रक्षा करने का वचन देता है।
त्योहारों में प्रायः देखा जाता है कि लोग अक्सर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले सामान का प्रयोग करते हैं और इसी समस्या से निजात पाने के लिए हरियाणा के पंचकुला की युवा पर्यावरणविद् और उद्यमी तनिका बंसल ने रक्षाबंधन पर बीज रखियां बनाई हैं।
बीज रखियों (बीज सूत्र) को देश के अलग अलग हिस्सों से वेस्ट कपड़ों से बनाया जाता है, इन कपड़ों को पहले साफ करके बीजों से भरा जाता है और फिर इन्हे राखी का आकार दे दिया जाता है, लोग इन रखियों को प्रयोग के बाद अपने घर के गमलों में लगा सकते हैं।
तनिका की कंपनी का नाम टेरा.को है और उनका लक्ष्य छोटी-छोटी पहलों के माध्यम से पृथ्वी को जीवन पुनः लौटाना है इसके साथ साथ वह एक ऐसी दुनिया बनाना चाहती हैं जो स्वस्थ, शुद्ध और जीवन से परिपूर्ण है। इसके अतिरिक्त तनिका दिवाली जैसे त्योहारों पर चकरी, अनार, पोटली बम, सुतली बम, लड़ी, पॉप पॉप, फूलझड़ी और रॉकेट के आकार में विभिन्न प्रकार के बीजों को भी बढ़ावा देती हैं जिन्हें गमलों या बगीचों में लगाया जा सकता है।
Sputnik ने टेरा को कंपनी की उधमी और पर्यावरणविद तनिका से बात कर जानने का प्रयास किया कि इस बीज सूत्र को उन्होंने कैसे बनाया और यह किस तरह से यह पर्यावरण के लिए सहायक है तब उन्होंने बताया कि हमारी प्रयास है कि हम पर्यावरण के लिए कुछ करें और मेरा यह मानना है कि इस तरह की छोटी छोटी पहलों से हम पर्यावरण को साफ रखने में अपना योगदान दे सकते हैं।

"इस साल हमने रक्षाबंधन पर बीज राखियां बनाई हैं, क्योंकि बाजार में अधिकतर रखियां प्लास्टिक की आती हैं और त्योहार के बाद लोग उन्हे फेंक देते हैं तो हमने बीज रखियों को बनाया जिससे दूसरे दिन इन्हे पौधे के रूप में उगाया जा सके जिससे रक्षाबंधन भी मन जाए और पर्यावरण पर भी कोई प्रभाव न पड़े," तनिका बंसल ने बताया।

"पर्यावरण को बचाने के लिए हमने ये बीज राखियां बनाई है। हम एक पेपर के साथ बंद कर इन्हे देते है जिससे अगले दिन आप इन्हें पेपर सहित जमीन में लगा सकते हैं या पेपर का प्रयोग मैसेज लिखने के लिए भी कर सकते हैं," उन्होंने आगे कहा।
© Photo : Social MediaMany jewelry shops in India's diamond city of Surat in Gujarat state have launched gold, silver, and diamond-studded rakhis to woo customers to make ornamental purchases.
Many jewelry shops in India's diamond city of Surat in Gujarat state have launched gold, silver, and diamond-studded rakhis to woo customers to make ornamental purchases. - Sputnik भारत, 1920, 31.08.2023
Many jewelry shops in India's diamond city of Surat in Gujarat state have launched gold, silver, and diamond-studded rakhis to woo customers to make ornamental purchases.
तनिका ने आगे बताया कि हमारी इस पहल के द्वारा महिलाओं को आगे बढ़ाने का भी काम कर रहे हैं, हम उन महिलाओं को राखी बनाना बताते हैं जिसके बाद वह राखियां बनती हैं। इन रखियों के जरिए हम पर्यावरण का ख्याल रख सकते हैं। हम चाहते हैं कि हमारी यह पहल अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे जिससे हमारी यह छोटी से पहल एक बहुत बड़ा बदलाव लेकर आए।

"यह पहल महिलाओं की सहायता के लिए आरंभ की गई है,हमारे पास 25 महिलाओं की एक टीम है जिनके साथ मिलकर हम सब रखियाँ अपने हाथ से बनाते हैं। सबसे पहले हम भारत के अलग अलग क्षेत्रों से काम में ना आने वाले कपड़ों को इकट्ठा करते हैं और उन्हें सेनीटाइज करके राखी का आकार देते हैं जिनमे हम बीज डालते हैं। त्योहार समाप्त हो जाने के बाद आप इस राखी को प्लांट कर सकते हैं," पंचकुला की उधमी तनिका बंसल ने कहा।

बंसल से जब उनकी इस पहल को लेकर लोगों के रुख के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि लोग बढ़चढ़ कर हमारी इस पहल का साथ दे रहे हैं और उनका मानना है कि वह इन राखियों के प्रयोग से पर्यावरण को अच्छा बनाए रखने में सहायता कर सकते हैं।
© AP Photo / Mahesh Kumar AA woman shops for 'rakhi', or a sacred thread, ahead of 'Raksha Bandhan' festival in Hyderabad, India, Friday, July 31, 2020.
A woman shops for 'rakhi', or a sacred thread, ahead of 'Raksha Bandhan' festival in Hyderabad, India, Friday, July 31, 2020. - Sputnik भारत, 1920, 31.08.2023
A woman shops for 'rakhi', or a sacred thread, ahead of 'Raksha Bandhan' festival in Hyderabad, India, Friday, July 31, 2020.

"हमारी इस पहल को लेकर लोगों का एक सकारात्मक रुख सामने आया है और लोग समझने लगे हैं कि पर्यावरण के लिए उन्हें कुछ करना चाहिए और उनके इस प्रोत्साहन से हम आगे बढ़ रहे हैं। लोग इन राखियों को देखकर बहुत प्रफुल्लित होते हैं क्योंकि वह इन रखियों के साथ त्योहार मनाने के अतिरिक्त पर्यावरण को बचाने में भी सहायता करते हैं," हरियाणा के पंचकुला की उधमी तनिका ने बताया।

तनिका बंसल का मिशन हस्तनिर्मित और टिकाऊ उत्पादों के माध्यम से विकास की प्रक्रिया को बदलना है और वह इस दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने की आकांक्षा रखती है, रखियों में वह भिन्न-भिन्न प्रकार की राखियां बनाती है जिनमें मोगरा बीज रक्षा सूत्र - सौंदर्य, भाभी/बहन के लिए कमल तलाई बीज हैंड टाई, केसरी धागा सबसे अधिक लोकप्रिय मानी जाती हैं।
hindi straws - Sputnik भारत, 1920, 25.06.2023
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