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रूस और यूक्रेन संघर्ष का दुनिया पर क्या है प्रभाव?
रूस और यूक्रेन संघर्ष का दुनिया पर क्या है प्रभाव?
Sputnik भारत
रूस के यूक्रेन पर चल रहे विशेष सैन्य अभियान को 1 साल से अधिक का वक्त हो गया है लेकिन अभी भी इसके अंजाम के बारे में कुछ भी कहना संभव नहीं है लेकिन इसका प्रभाव पूरे विश्व पर पड़ता है
2023-09-23T18:01+0530
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रूस और यूक्रेन गेहूं, जौ, मक्का और खाना पकाने के तेल के प्रमुख निर्यातक हैं और यह सब मुख्यतः अफ्रीकी और मध्य पूर्वी देशों की आवश्यकताओं को पूरा करता है। रूस उर्वरक और पेट्रोलियम का भी प्रमुख उत्पादक है। इनके प्रवाह में व्यवधान अन्य आपूर्ति श्रृंखला और जलवायु चुनौतियों को बढ़ा रहा है। लेकिन फिर भी इस संघर्ष के आरंभ होने के बाद रूस पर कई पश्चिमी देशों द्वारा प्रतिबंध लगा दिए गए थे।पिछली गर्मियों में पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण वैश्विक खाद्य संकट को रोकने के लिए अनाज निर्यात समझौता बनाया गया था। संयुक्त राष्ट्र, रूस, तुर्की और यूक्रेन इसके हस्ताक्षरकर्ता थे। इस समझौते के तहत रूस ने यूक्रेन के तीन बंदरगाहों से अनाज ले जा रहे जहाजों को जांच के बाद जाने की अनुमति दे दी थी। साथ ही रूस के अनाज और उर्वरक के लिए भी वैश्विक बाज़ारों तक पहुंचने का रास्ता खुला था।साथ ही यूक्रेन ने काला सागर अनाज गलियारे का इस्तेमाल रूस के जहाजों और बंदरगाहों पर ड्रोन आक्रमण के लिए किया। समझौते के तहत अनाज और उर्वरक निर्यात में लगे रूसी जहाजों पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने के दायित्वों को पूरा नहीं किया गया। इसके परिणामस्वरूप 13 जून को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि रूस अनाज समझौते से हटने के बारे में सोच रहा है। 4 जुलाई को रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि रूस काला सागर अनाज समझौते को आगे नहीं बढ़ाएगा।Sputnik India आज आपको सहज शब्दों में यह बताने जा रहा है कि रूस और यूक्रेन के मध्य चल रहे संघर्ष का विश्व पर क्या प्रभाव पड़ रहा है। रूस और यूक्रेन संघर्ष से क्या मानवीय संकट बढ़ा? रूस में शरणार्थियों की संख्या एक साल पहले से दोगुनी हो गई है। रूस में यूक्रेन शासन के दबाव और गोलीबारी से पीड़ित लोग पहुंचते रहते हैं।मई 2022 में, लगभग 14 मिलियन यूक्रेनियन या तो एक नए देश या यूक्रेन के दूसरे हिस्से में चले गए। हालांकि यह आंकड़ा एक साल बाद घटकर लगभग 11.8 मिलियन रह गया है।लेकिन पश्चिमी मीडिया ने अक्सर यह खबर देता है कि यूक्रेनी शरणार्थियों और यूरोपीय देशों के नागरिकों के बीच आम तौर पर विवाद होते हैं। उदाहरण के लिए, अगस्त में यह खबर सामने आई थी कि ब्रिटेन के लिंकनशायर में लैंगटॉफ्ट के निवासी स्थानीय अधिकारियों द्वारा यूक्रेनी शरणार्थियों के लिए घरों की खरीद पर "क्रोधित" हैं। स्थानीय अधिकारियों ने इस संपत्ति की खरीद पर लगभग 1.8 मिलियन पाउंड स्टर्लिंग खर्च किए थे, जिसके कारण निवासियों ने विरोध किया। रूस और यूक्रेन संघर्ष का कृषि कीमतों पर कितना असर पड़ा? फरवरी 2022 में जब यह संघर्ष आरंभ हुआ था तब कई कृषि वस्तुओं की कीमतें 20 से 50 प्रतिशत तक बढ़ गईं, लेकिन अब कीमतें बहुत हद तक संघर्ष से पहले वाले स्तर पर लौट आई हैं। वैश्विक आबादी के अधिकांश हिस्से के लिए खाद्य मुद्रास्फीति अभी भी सालाना लगभग 5 प्रतिशत है। उर्वरक और श्रम जैसे इनपुट की लागत के साथ-साथ परिवहन, प्रक्रियाओं और व्यापार में वृद्धि धीमी होने के कोई संकेत नहीं दिखाती है। रूस से गैस न मिलने के बाद यूरोप पर क्या हुआ असर? रूस के विशेष सैन्य अभियान की शुरुआत के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए थे, इसलिए प्राकृतिक गैस की आपूर्ति बाधित हो गई। तब यूरोप ने दूसरे विकल्पों पर काम करना आरंभ किया। यूरोपीय लोगों ने अपनी प्राकृतिक गैस की मांग में कटौती की जहां 2022 में प्राकृतिक गैस की खपत में 12 प्रतिशत की गिरावट आई। ऊंची कीमतों के कारण व्यवसायों और उपभोक्ताओं को मांग कम उपयोग करने के लिए विवश होना पड़ा। विश्व में कैसे बढ़ा रक्षा खर्च? यूक्रेन और रूस के मध्य चल रहे इस संघर्ष के कारण मुख्य रूप से रूस या यूक्रेन के निकटतम देशों के मध्य व्यय में और वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, सीमावर्ती देश जिस दर से रक्षा खर्च बढ़ा रहे हैं और 2023 तक, सभी कम से कम 2 प्रतिशत अंक पर होंगे। नाटो के कई सदस्यों ने 2 प्रतिशत लक्ष्य को पूरा करने के लिए रक्षा व्यय बढ़ाने के मंशा की घोषणा की। जुलाई 2023 में अपने शिखर सम्मेलन में, नाटो सदस्यों ने 2 प्रतिशत की सीमा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत किया। लेकिन इसके साथ ये देश यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति बढ़ते रहते हैं। उदाहरण के लिए, सितंबर 2023 की शुरुआत में पेंटागन ने यह घोषणा भी की थी कि अमेरिका यूक्रेन को डेपलेटेड यूरेनियम वाला गोला बारूद भेजने वाला है।
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रूस और यूक्रेन संघर्ष का दुनिया पर क्या है प्रभाव?
रूस के यूक्रेन में चल रहे विशेष सैन्य अभियान को 1 साल से अधिक समय हो गया है। इस संघर्ष से मात्र दो देश ही नहीं जुड़े हैं, इसका प्रभाव पूरे विश्व पर पड़ रहा है।
रूस और यूक्रेन गेहूं, जौ, मक्का और खाना पकाने के तेल के प्रमुख निर्यातक हैं और यह सब मुख्यतः अफ्रीकी और मध्य पूर्वी देशों की आवश्यकताओं को पूरा करता है।
रूस उर्वरक और पेट्रोलियम का भी प्रमुख उत्पादक है। इनके प्रवाह में व्यवधान अन्य आपूर्ति श्रृंखला और जलवायु चुनौतियों को बढ़ा रहा है। लेकिन फिर भी इस संघर्ष के आरंभ होने के बाद रूस पर कई पश्चिमी देशों द्वारा प्रतिबंध लगा दिए गए थे।
पिछली गर्मियों में पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण वैश्विक खाद्य संकट को रोकने के लिए
अनाज निर्यात समझौता बनाया गया था।
संयुक्त राष्ट्र, रूस, तुर्की और यूक्रेन इसके हस्ताक्षरकर्ता थे। इस समझौते के तहत रूस ने यूक्रेन के तीन बंदरगाहों से अनाज ले जा रहे जहाजों को जांच के बाद जाने की अनुमति दे दी थी। साथ ही रूस के अनाज और उर्वरक के लिए भी वैश्विक बाज़ारों तक पहुंचने का रास्ता खुला था।
अनाज समझौते के 120 दिन के दौरान रूस ने 15 मिलियन टन से अधिक अनाज का निर्यात किया, रूसी अनाज की आपूर्ति अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया के गरीब देशों में की गई। वहीं, यूक्रेन के बंदरगाहों से 11 मिलियन टन खाद्य का निर्यात किया गया। लेकिन रूसी विदेश मंत्रालय के अनुसार इस निर्यात का 51 प्रतिशत विकसित देशों में किया गया, जबकि गरीब देशों को इस अनाज का सिर्फ 3 प्रतिशत मिला।
साथ ही यूक्रेन ने
काला सागर अनाज गलियारे का इस्तेमाल रूस के जहाजों और बंदरगाहों पर
ड्रोन आक्रमण के लिए किया। समझौते के तहत अनाज और उर्वरक निर्यात में लगे रूसी जहाजों पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने के दायित्वों को पूरा नहीं किया गया।
इसके परिणामस्वरूप 13 जून को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि रूस अनाज समझौते से हटने के बारे में सोच रहा है। 4 जुलाई को रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि रूस काला सागर अनाज समझौते को आगे नहीं बढ़ाएगा।
Sputnik India आज आपको सहज शब्दों में यह बताने जा रहा है कि रूस और यूक्रेन के मध्य चल रहे संघर्ष का विश्व पर क्या प्रभाव पड़ रहा है।
रूस और यूक्रेन संघर्ष से क्या मानवीय संकट बढ़ा?
रूस में शरणार्थियों की संख्या एक साल पहले से दोगुनी हो गई है। रूस में
यूक्रेन शासन के दबाव और गोलीबारी से पीड़ित लोग पहुंचते रहते हैं।
मई 2022 में, लगभग 14 मिलियन यूक्रेनियन या तो एक नए देश या यूक्रेन के दूसरे हिस्से में चले गए। हालांकि यह आंकड़ा एक साल बाद घटकर लगभग 11.8 मिलियन रह गया है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार विदेशों में 6.4 मिलियन शरणार्थियों में से 58 प्रतिशत अब यूक्रेन के पड़ोसी देशों से दूर कहीं रह रहे हैं। जर्मनी ने दस लाख से अधिक को अपने देश में लिया है, चेक गणराज्य ने लगभग 342,000 को पहुँचने की अनुमति दी; संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 300,000 यूक्रेनी लोग पहुंचे; कनाडा में लगभग 235,000 यूक्रेनी रहते हैं; यूनाइटेड किंगडम ने लगभग 203,000 को, स्पेन ने लगभग 183,000 को और इटली ने लगभग 182,000 लोगों को शरण दिया है।
लेकिन पश्चिमी मीडिया ने अक्सर यह खबर देता है कि यूक्रेनी शरणार्थियों और यूरोपीय देशों के नागरिकों के बीच आम तौर पर विवाद होते हैं। उदाहरण के लिए, अगस्त में यह खबर सामने आई थी कि ब्रिटेन के लिंकनशायर में लैंगटॉफ्ट के निवासी स्थानीय अधिकारियों द्वारा यूक्रेनी शरणार्थियों के लिए घरों की खरीद पर "क्रोधित" हैं। स्थानीय अधिकारियों ने इस संपत्ति की खरीद पर लगभग 1.8 मिलियन पाउंड स्टर्लिंग खर्च किए थे, जिसके कारण निवासियों ने विरोध किया।
स्थानीय निवासियों का मानना है कि यूक्रेनी शरणार्थियों के स्थान पर अधिकारियों को उन स्थानीय निवासियों को ही प्राथमिकता देनी चाहिए जो राज्य से सहायता की प्रतीक्षा कर रहे हैं और जिनको रहने की स्थिति में सुधार करने की आवश्यकता है।
रूस और यूक्रेन संघर्ष का कृषि कीमतों पर कितना असर पड़ा?
फरवरी 2022 में जब यह संघर्ष आरंभ हुआ था तब कई
कृषि वस्तुओं की कीमतें 20 से 50 प्रतिशत तक बढ़ गईं, लेकिन
अब कीमतें बहुत हद तक संघर्ष से पहले वाले स्तर पर लौट आई हैं। वैश्विक आबादी के अधिकांश हिस्से के लिए खाद्य मुद्रास्फीति अभी भी सालाना लगभग 5 प्रतिशत है। उर्वरक और श्रम जैसे इनपुट की लागत के साथ-साथ परिवहन, प्रक्रियाओं और व्यापार में वृद्धि धीमी होने के कोई संकेत नहीं दिखाती है।
रूस से गैस न मिलने के बाद यूरोप पर क्या हुआ असर?
रूस के विशेष सैन्य अभियान की शुरुआत के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए थे, इसलिए प्राकृतिक गैस की आपूर्ति बाधित हो गई। तब यूरोप ने दूसरे विकल्पों पर काम करना आरंभ किया।
यूरोपीय लोगों ने अपनी
प्राकृतिक गैस की मांग में कटौती की जहां 2022 में प्राकृतिक गैस की खपत में 12 प्रतिशत की गिरावट आई। ऊंची कीमतों के कारण व्यवसायों और उपभोक्ताओं को मांग कम उपयोग करने के लिए विवश होना पड़ा।
पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण रूस से यूरोप में तेल का आयात भी बाधित हो गया। तेल का आयात करना जारी रखने के लिए जर्मनी ने भारत के माध्यम से उसको खरीदने का निर्णय लिया। एक जर्मन पत्रिका ने यह बात सामने रखी कि यूरोपीय संघ के और अपने ही प्रतिबंधों के बावजूद जर्मनी वर्कअराउंड का उपयोग करके रूसी तेल उत्पादों का आयात करना जारी रखता है। 2023 की शुरुआत से जर्मनी में पेट्रोलियम उत्पादों के रूप में भारत के माध्यम से जो तेल पहुंचा, उसकी मात्रा कई गुना बढ़ गई।
विश्व में कैसे बढ़ा रक्षा खर्च?
यूक्रेन और रूस के मध्य चल रहे इस संघर्ष के कारण मुख्य रूप से रूस या यूक्रेन के निकटतम देशों के मध्य व्यय में और वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, सीमावर्ती देश जिस दर से रक्षा खर्च बढ़ा रहे हैं और 2023 तक, सभी कम से कम 2 प्रतिशत अंक पर होंगे।
नाटो के कई सदस्यों ने 2 प्रतिशत लक्ष्य को पूरा करने के लिए रक्षा व्यय बढ़ाने के मंशा की घोषणा की। जुलाई 2023 में अपने शिखर सम्मेलन में, नाटो सदस्यों ने 2 प्रतिशत की सीमा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत किया। लेकिन इसके साथ ये देश यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति बढ़ते रहते हैं। उदाहरण के लिए, सितंबर 2023 की शुरुआत में
पेंटागन ने यह घोषणा भी की थी कि अमेरिका यूक्रेन को डेपलेटेड यूरेनियम वाला गोला बारूद भेजने वाला है।
फिर भी हाल के महीनों में कीव ने 18 हज़ार हथियारों को खो दिया है। इनमें जर्मन लेपर्ड टैंक, फ्रांसीसी AMX टैंक, ब्रिटिश चैलेंजर-2 टैंक और अमेरिकी बख्तरबंद लड़ाकू वाहन ब्रैडली सम्मिलित हैं। यूक्रेन ने जिन टैंकों को खो दिया है, उनकी संख्या 543 तक पहुंच गई है।