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जाने कैसे हैं हाल ही में भारतीय सेना में शामिल हुए 300 हाई-टेक 'खच्चर'?
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भारतीय सेना ने किसी भी परिस्थिति में अपनी गतिशीलता को बनाए रखने के लिए हाल ही में 300 टीवीएस सुंदरम ऑल टेरेन टैक्टिकल हॉलर्स (ATT हॉलर्स) को शामिल किया है।
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किसी भी युद्ध क्षेत्र में तेजी से गोला बारूद और साजो सामान को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना युद्ध के परिणाम को प्रभावित कर सकता है, इसलिए भारतीय सेना ने किसी भी परिस्थिति में अपनी गतिशीलता को बनाए रखने के लिए हाल ही में 300 टीवीएस सुंदरम ऑल टेरेन टैक्टिकल हॉलर्स (ATT हॉलर्स) को शामिल किया है।भारत में निर्मित लोड कैरियर ATT हॉलर्स को सैनिकों के भार को कम करने और युद्ध या किसी भी तरह की परिस्थिति में उनकी चपलता को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। 300 ATT हॉलर्स की शुरुआती खरीद भारतीय सेना की लॉजिस्टिक क्षमताओं को आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।इससे पहले सेना में किसी भी तरह के सामान को ले जाने में खच्चरों की मदद ले जाती थी जो सेना के जवानों के साथ गंतव्य तक सामान पहुंचाने में मदद करते थे। माना जा रहा है कि नई तकनीक की मदद से जल्द ही इन जानवरों पर पड़ने वाले भार को कम किया जा सकेगा।Sputnik India आज आपको बताने जा रहा है कि कैसे इस नई तकनीक के जरिए सैन्य साजो सामान को ले जाना आसान हो जाएगा? कितना वजन उठाने में सक्षम?इसके आकार को देखने में आपको लगेगा कि यह कम सामान उठाएगा, लेकिन ATT हॉलर 120 किलोग्राम तक गियर, आपूर्ति और गोला-बारूद ले जा सकता है, जिससे सैनिक युद्ध क्षेत्र में सामान पर ध्यान न लगा कर युद्ध कर्तव्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।इस बढ़ी हुई गतिशीलता से त्वरित प्रतिक्रिया समय, बेहतर गतिशीलता और अंततः मिशन की सफलता की अधिक संभावना होती है।कैसे इलाके में कर सकता है काम? यह किसी भी तरह के ऊबड़-खाबड़ रास्ते या दुर्गम पहाड़ों पर चढ़ने में सक्षम है। इसके साथ साथ चाहे घने जंगलों को पार करना हो, या रेतीले रेगिस्तानों में यात्रा करना हो ATT हॉलर का मजबूत डिजाइन और हाइब्रिड इलेक्ट्रिक पावरट्रेन इसे सभी तरह के रास्ते को पार करने में सक्षम बनाते हैं, यह जल क्रॉसिंग को भी पार कर सकता है।कैसी है इसकी तकनीक?देशी तकनीक पर आधारित एटीटी हॉलर रक्षा प्रौद्योगिकी में भारत की बढ़ती ताकत का प्रमाण है। हालांकि इसे इज़राइल के मैरोम डॉल्फिन के सहयोग से विकसित किया गया है। इस अत्याधुनिक वाहन को विशेष रूप से भारतीय सेना के सामने आने वाली किसी भी तरह की चुनौतियों पर जीत हासिल करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
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जाने कैसे हैं हाल ही में भारतीय सेना में शामिल हुए 300 हाई-टेक 'खच्चर'?
15:52 16.05.2024 (अपडेटेड: 12:16 17.05.2024) ATT हॉलर युद्धक्षेत्र में रसद ले जाने वाली अगली पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करता है। इसके सेना में आ जाने के बाद सैनिकों का बोझ कम होगा जिससे वे तेजी से आगे बढ़ने में सक्षम होंगे।
किसी भी युद्ध क्षेत्र में तेजी से गोला बारूद और साजो सामान को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना युद्ध के परिणाम को प्रभावित कर सकता है, इसलिए भारतीय सेना ने किसी भी परिस्थिति में अपनी गतिशीलता को बनाए रखने के लिए हाल ही में 300 टीवीएस सुंदरम ऑल टेरेन टैक्टिकल हॉलर्स (ATT हॉलर्स) को शामिल किया है।
भारत में निर्मित लोड कैरियर ATT हॉलर्स को सैनिकों के भार को कम करने और युद्ध या किसी भी तरह की परिस्थिति में उनकी चपलता को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। 300 ATT हॉलर्स की शुरुआती खरीद
भारतीय सेना की लॉजिस्टिक क्षमताओं को आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इससे पहले सेना में किसी भी तरह के सामान को ले जाने में खच्चरों की मदद ले जाती थी जो
सेना के जवानों के साथ गंतव्य तक सामान पहुंचाने में मदद करते थे। माना जा रहा है कि नई तकनीक की मदद से जल्द ही इन जानवरों पर पड़ने वाले भार को कम किया जा सकेगा।
Sputnik India आज आपको बताने जा रहा है कि कैसे इस नई तकनीक के जरिए सैन्य साजो सामान को ले जाना आसान हो जाएगा?
कितना वजन उठाने में सक्षम?
इसके आकार को देखने में आपको लगेगा कि यह कम सामान उठाएगा, लेकिन ATT हॉलर 120 किलोग्राम तक गियर, आपूर्ति और गोला-बारूद ले जा सकता है, जिससे सैनिक
युद्ध क्षेत्र में सामान पर ध्यान न लगा कर युद्ध कर्तव्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
इस बढ़ी हुई गतिशीलता से त्वरित प्रतिक्रिया समय, बेहतर गतिशीलता और अंततः मिशन की सफलता की अधिक संभावना होती है।
कैसे इलाके में कर सकता है काम?
यह किसी भी तरह के ऊबड़-खाबड़ रास्ते या दुर्गम पहाड़ों पर चढ़ने में सक्षम है। इसके साथ साथ चाहे घने जंगलों को पार करना हो, या रेतीले रेगिस्तानों में यात्रा करना हो ATT हॉलर का
मजबूत डिजाइन और हाइब्रिड इलेक्ट्रिक पावरट्रेन इसे सभी तरह के रास्ते को पार करने में सक्षम बनाते हैं, यह जल क्रॉसिंग को भी पार कर सकता है।
देशी तकनीक पर आधारित एटीटी हॉलर रक्षा प्रौद्योगिकी में भारत की बढ़ती ताकत का प्रमाण है। हालांकि इसे इज़राइल के मैरोम डॉल्फिन के सहयोग से विकसित किया गया है। इस अत्याधुनिक वाहन को विशेष रूप से भारतीय सेना के सामने आने वाली किसी भी तरह की चुनौतियों पर जीत हासिल करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।