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भारत की कूटनीतिक मार से घिरा पाकिस्तान, विकल्प सीमित: विशेषज्ञ
भारत की कूटनीतिक मार से घिरा पाकिस्तान, विकल्प सीमित: विशेषज्ञ
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CCS की बैठक में बुधवार शाम पाकिस्तान के खिलाफ लिए गए कई महत्तवपूर्ण फैसलों के बाद Sputnik इंडिया ने दोनों देशों के सबंधों पर पड़ने वाले असर के बारे में भारत पाकिस्तान सबंधों के बारे में जानकरी रखने वाले विशेषज्ञ से बात की।
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जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में केंद्र सरकार ने बुधवार शाम को पाकिस्तान के विरुद्ध व्यापक कूटनीतिक और रणनीतिक जवाबी कार्यवाही की जिसमें सिंधु जल संधि को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने के साथ अटारी-वाघा सीमा पर चेक पोस्ट को बंद करना शामिल है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 2.5 घंटे चली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक में सार्क वीज़ा छूट योजना के तहत पाकिस्तानी नागरिकों के भारत आने पर रोक लगाने के साथ पहले से जारी किए गए सभी वीज़ा रद्द घोषित कर दिया हैं, इसके अतिरिक्त जो लोग पहले से भारत में हैं, उन्हें 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का निर्देश भी दिया गया है।इस मीटिंग में नई दिल्ली ने पाकिस्तानी उच्चायोग में रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को अवांछित घोषित कर दिया है, तथा उन्हें भारत से बाहर निकलने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। इसी तरह के कदम में, नई दिल्ली इस्लामाबाद स्थित उच्चायोग से अपने रक्षा, नौसेना और वायु अधिकारियों को भी देश वापस बुलाएगा।इन सभी निर्णयों के साथ भारत ने पाकिस्तान से नई दिल्ली में अपने राजनयिक कर्मचारियों की संख्या को घटाकर 30 करने को भी कहा है, जिससे मिशन की वर्तमान संचालन क्षमता 55 हो जाएगी।इससे पहले कश्मीर में पर्यटकों की पहली पसंद पहलगाम में मंगलवार को आतंकी हमला किया गया जिसमें 26 लोग मारे गए। दुनिया भर के नेताओं ने इस हमले पर अपनी संवेदना व्यक्त की जिसमें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प भी शामिल थे।नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान (एमपी-आईडीएसए) में एसोसिएट फेलो डॉ. प्रियंका सिंह ने पाकिस्तान के विरुद्ध भारत द्वारा लिए गए वर्तमान निर्णय के बाद नई दिल्ली के आगे के कदमों के बारे में बताया कि भारत की प्रतिक्रिया राजनीतिक, कूटनीतिक और संभवतः सैन्य उपायों का एक संयोजन हो सकता है। भारत ने कल जो किया वह मुख्य रूप से राजनीतिक और कूटनीतिक था। डॉ. प्रियंका सिंह ने आगे बताया कि इन निर्णयों के बाद भारत ने यह दावा नहीं किया है कि यह अंतिम कदम है। अभी भी मेज पर कई विकल्प हैं, हालांकि पहलगाम की हालिया घटना मौजूदा संकटों की एक और भयावह याद दिलाती है।पाकिस्तान की नई सरकार के मौजूदा रुख को देखते हुए, इस्लामाबाद के रुख के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि भारत वर्तमान में पाकिस्तान के साथ बातचीत करने के लिए अनिच्छुक है, और यह सही भी है। जब लगातार पाकिस्तानी सरकारों या उसकी सेना के मनोभाव में कोई स्पष्ट परिवर्तन नहीं दिखाई देता है, तो बातचीत का क्या मतलब है?आगे प्रियंका कहती हैं कि भारत ने शायद इतना बड़ा कदम उठाने से पहले अपने कानूनी और रणनीतिक विकल्पों का सावधानीपूर्वक आकलन किया होगा। अगर पाकिस्तान अदालत भी जाता है, तो भी भारत तैयार है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर संधि पर पहले से ही कानूनी विवाद है।"पाकिस्तान के जवाबी कार्यवाही के बारे में एसोसिएट फेलो डॉ. प्रियंका सिंह कहती हैं कि अगर भारत कोई सैन्य कार्रवाई करता है, तो पाकिस्तान किसी न किसी तरह से जवाब देगा। यह जवाब बड़े पैमाने पर होगा या छोटे पैमाने पर, इसका अनुमान लगाना कठिन है, लेकिन जवाबी कार्रवाई लगभग तय है - वे अपनी प्रतिष्ठा बचाना चाहेंगे। भारत सरकार इस बात से पूरी तरह अवगत है और इसे किसी भी रणनीतिक निर्णयों में शामिल करेगी।
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भारत की कूटनीतिक मार से घिरा पाकिस्तान, विकल्प सीमित: विशेषज्ञ
16:33 24.04.2025 (अपडेटेड: 16:51 24.04.2025) CCS की बैठक में बुधवार शाम पाकिस्तान के विरुद्ध लिए गए कई महत्तवपूर्ण निर्णयों के बाद Sputnik इंडिया ने दोनों देशों के सबंधों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में भारत पाकिस्तान सबंधों के बारे में जानकारी रखने वाले विशेषज्ञ से बात की।
जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में केंद्र सरकार ने बुधवार शाम को पाकिस्तान के विरुद्ध व्यापक कूटनीतिक और रणनीतिक जवाबी कार्यवाही की जिसमें सिंधु जल संधि को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने के साथ अटारी-वाघा सीमा पर चेक पोस्ट को बंद करना शामिल है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 2.5 घंटे चली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक में सार्क वीज़ा छूट योजना के तहत
पाकिस्तानी नागरिकों के भारत आने पर रोक लगाने के साथ पहले से जारी किए गए सभी वीज़ा रद्द घोषित कर दिया हैं, इसके अतिरिक्त जो लोग पहले से भारत में हैं, उन्हें 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का निर्देश भी दिया गया है।
इस मीटिंग में नई दिल्ली ने पाकिस्तानी उच्चायोग में रक्षा, नौसेना और
वायु सलाहकारों को अवांछित घोषित कर दिया है, तथा उन्हें भारत से बाहर निकलने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। इसी तरह के कदम में, नई दिल्ली इस्लामाबाद स्थित उच्चायोग से अपने रक्षा, नौसेना और वायु अधिकारियों को भी देश वापस बुलाएगा।
इन सभी निर्णयों के साथ भारत ने पाकिस्तान से नई दिल्ली में अपने
राजनयिक कर्मचारियों की संख्या को घटाकर 30 करने को भी कहा है, जिससे मिशन की वर्तमान संचालन क्षमता 55 हो जाएगी।
इससे पहले कश्मीर में पर्यटकों की पहली पसंद पहलगाम में
मंगलवार को आतंकी हमला किया गया जिसमें 26 लोग मारे गए। दुनिया भर के नेताओं ने इस हमले पर अपनी संवेदना व्यक्त की जिसमें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प भी शामिल थे।
नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान (एमपी-आईडीएसए) में एसोसिएट फेलो डॉ. प्रियंका सिंह ने पाकिस्तान के विरुद्ध भारत द्वारा लिए गए वर्तमान निर्णय के बाद नई दिल्ली के आगे के कदमों के बारे में बताया कि भारत की प्रतिक्रिया राजनीतिक, कूटनीतिक और संभवतः सैन्य उपायों का एक संयोजन हो सकता है। भारत ने कल जो किया वह मुख्य रूप से राजनीतिक और कूटनीतिक था।
एसोसिएट फेलो डॉ. प्रियंका सिंह ने कहा, "सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों के बाद मजबूत तरीके से पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक संबंधों को प्रभावी रूप से समाप्त कर दिया है। इसके अतिरिक्त, सिंधु जल संधि को निलंबित करना एक महत्वपूर्ण कदम है। यह संधि एक लंबे समय से चली आ रही संधि है, और इसे रद्द करने के लिए भारत सरकार पर जनता का दबाव बढ़ रहा था, इस भावना के साथ कि भारत पाकिस्तान के प्रति बहुत उदार रहा है। इसलिए, कल का निर्णय अत्यंत महत्वपूर्ण है।"
डॉ. प्रियंका सिंह ने आगे बताया कि इन निर्णयों के बाद भारत ने यह दावा नहीं किया है कि यह अंतिम कदम है। अभी भी मेज पर कई विकल्प हैं, हालांकि
पहलगाम की हालिया घटना मौजूदा संकटों की एक और भयावह याद दिलाती है।
डॉ. सिंह कहती हैं, "भारत के निर्णय के बाद इस्लामाबाद से किसी विशेष कार्रवाई या व्यवहारिक परिवर्तन की संभावना के सवाल पर डॉ. प्रियंका कहती हैं कि पानी की कमी निस्संदेह पाकिस्तान की जनसंख्या को प्रभावित करेगी। इसलिए, जबकि पानी का मुद्दा पाकिस्तान के भीतर सार्वजनिक दबाव उत्पन्न कर सकता है, मुझे संदेह है कि इससे सरकार के लंबे समय से चले आ रहे व्यवहार में परिवर्तन आएगा। यह एक अचूक समाधान होने की संभावना नहीं है।"
पाकिस्तान की नई सरकार के मौजूदा रुख को देखते हुए, इस्लामाबाद के रुख के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि भारत वर्तमान में
पाकिस्तान के साथ बातचीत करने के लिए अनिच्छुक है, और यह सही भी है। जब लगातार पाकिस्तानी सरकारों या उसकी सेना के मनोभाव में कोई स्पष्ट परिवर्तन नहीं दिखाई देता है, तो बातचीत का क्या मतलब है?
उन्होंने कहा, "दूसरी ओर, पाकिस्तान वही कर रहा है जो वह आमतौर पर करता है - पहलगाम की घटना में शामिल होने से इनकार करना और इसे एक आंतरिक भारतीय मुद्दा बताने की कोशिश करना। उन्होंने पहले भी ऐसा किया है। वे यह भी दावा कर रहे हैं कि भारत सिंधु जल संधि को एकतरफा तरीके से निलंबित नहीं कर सकता और इस मामले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालयों में ले जाने की धमकी दे रहे हैं।"
आगे प्रियंका कहती हैं कि भारत ने शायद इतना बड़ा कदम उठाने से पहले अपने कानूनी और रणनीतिक विकल्पों का सावधानीपूर्वक आकलन किया होगा। अगर पाकिस्तान अदालत भी जाता है, तो भी भारत तैयार है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर संधि पर पहले से ही कानूनी विवाद है।"
पाकिस्तान के जवाबी कार्यवाही के बारे में एसोसिएट फेलो डॉ. प्रियंका सिंह कहती हैं कि अगर भारत कोई
सैन्य कार्रवाई करता है, तो पाकिस्तान किसी न किसी तरह से जवाब देगा। यह जवाब बड़े पैमाने पर होगा या छोटे पैमाने पर, इसका अनुमान लगाना कठिन है, लेकिन जवाबी कार्रवाई लगभग तय है - वे अपनी प्रतिष्ठा बचाना चाहेंगे। भारत सरकार इस बात से पूरी तरह अवगत है और इसे किसी भी रणनीतिक निर्णयों में शामिल करेगी।
प्रियंका सिंह ने कहा, "अभी कोई भी बड़ा देश पाकिस्तान का समर्थन नहीं कर रहा है - सऊदी अरब या संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे पारंपरिक सहयोगी भी नहीं। राष्ट्रपति ट्रंप ने हमले की निंदा की है, जैसा कि भारत के दौरे पर आए उपराष्ट्रपति पेंस ने भी किया है। राष्ट्रपति पुतिन और इज़राइल ने भी कड़ी निंदा की है। इसलिए, कूटनीतिक रूप से पाकिस्तान अलग-थलग पड़ गया है। वैश्विक समर्थन भारत को भविष्य में हमलों को रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने का आत्मविश्वास और वैधता देता है।