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भारतीय सेना, इसके देशी और विदेशी भागीदारों और प्रतिद्वन्द्वियों की गरमा गरम खबरें।

24 वर्ष का हुआ स्वदेशी ब्रह्मास्त्र यानि ब्रह्मोस मिसाइल

© AP Photo / AJIT KUMARIndia's supersonic Brahmos cruise missiles pass during a full dress rehearsal of a Republic Day parade in New Delhi, India, Thursday, Jan. 23, 2003. The Brahmos missile will be displayed for the first time on the 55th Indian Republic Day on Jan. 26. The missile is being developed jointly by Russian and Indian scientists. Brahmos missile can hit underwater and overland targets located between 100 to 300 kilometers (60 to 180 miles) away and is expected to be inducted into the Indian Navy by 2004. (AP Photo/Ajit Kumar)
India's supersonic Brahmos cruise missiles pass during a full dress rehearsal of a Republic Day parade in New Delhi, India, Thursday, Jan. 23, 2003. The Brahmos missile will be displayed for the first time on the 55th Indian Republic Day on Jan. 26. The missile is being developed jointly by Russian and Indian scientists. Brahmos missile can hit underwater and overland targets located between 100 to 300 kilometers (60 to 180 miles) away and is expected to be inducted into the Indian Navy by 2004. (AP Photo/Ajit Kumar) - Sputnik भारत, 1920, 12.06.2025
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ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत में निर्मित किसी अन्य हथियार की इतनी चर्चा कभी नहीं हुई जितनी ब्रह्मोस मिसाइल की हो रही है। यह पहली मिसाइल है जिसने भारत को रक्षा उत्पादों के निर्यात का पहला बड़ा ऑर्डर दिया, यह एकमात्र स्वदेशी मिसाइल है जिसका प्रयोग भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना तीनों ही करती हैं।
रूस और भारत का साझा उत्पाद 290 किमी की रेंज वाली ब्रह्मोस अब 1500 किमी तक मार क्षमता अर्जित करने की तैयारी में है। 12 जून को ब्रह्मोस 24 वर्ष की हो चुकी है। आज ही के दिन 2001 में चांदीपुर रेंज में ब्रह्मोस का पहला परीक्षण किया गया था।

मूल रूप से रूसी ओनिक्स मिसाइल से प्रेरित ब्रह्मोस को बनाने के लिए 1995 में रूस और भारत ने मिलकर ब्रह्मोस एरोस्पेस की स्थापना की थी। प्रारंभ में ब्रह्मोस को नौसेना में सम्मिलित किया गया था और इसका प्रयोग शत्रु के युद्धपोतों के साथ-साथ उसके ज़मीनी ठिकानों को नष्ट करने के लिए भी किया जा सकता है। अब तक भारतीय नौसेना के लगभग सभी बड़े युद्धपोतों को ब्रह्मोस से लैस किया जा चुका है।

भारतीय सेना ब्रह्मोस को मोबाइल लॉंचर के साथ-साथ स्थायी ठिकानों पर भी नियुक्त करती है। यह स्टीप डाइव यानि 90 डिग्री का कोण बनाते हुए भी अपने लक्ष्य पर प्रहार कर सकती है जिससे इसका प्रयोग पहाड़ों के पीछे छिपे ठिकानों पर भी किया जा सकता है।
भारतीय वायुसेना सुखोई-30 लड़ाकू जेट की अपनी दो स्क्वाड्रन को ब्रह्मोस से लैस कर चुकी है। ब्रह्मोस की रेंज को बढ़ाकर अब 800 किमी तक किया जा चुका है और अब इसे 1500 किमी करने की तैयारी चल रही है।
ब्रह्मोस का 2013 में विशाखापट्टनम में पहली बार समुद्र के अंदर से परीक्षण किया गया और सूत्रों के अनुसार इसको भारतीय नौसेना की सबमरीन में लगाने की तैयारी चल रही है।
ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है यानि इसे फ़ायर करने के बाद भी अपनी इच्छानुसार दिशानिर्देशित किया जा सकता है। यह 5 मीटर से लेकर 15000 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भर सकती है। 3.5 मैक की गति से उड़ सकती है और अपने साथ 200 से 300 किग्रा का वारहेड ले जा सकती है।
ब्रह्मोस की अगली पीढ़ी यानि ब्रह्मोस एनजी पर कार्य आरंभ हो चुका है जो अधिक अचूक एवं घातक होगी। साथ ही ब्रह्मोस को हाइपर सोनिक बनाने यानि ब्रह्मोस 2 को विकसित करने का कार्य भी साथ में चल रहा है।
ब्रह्मोस को 2021 में फिलीपींस को निर्यात करने का समझौता किया गया और यह भारत के लिए पहला बड़ा निर्यात ऑर्डर था। अब विश्व को कई देश जैसे वियतनाम, इंडोनेशिया, ब्राज़ील, मलेशिया इसे खरीदने में रुचि दिखा रहा हैं।
In this Jan. 26, 2011 file photo, an Indian army soldier salutes beside a Pinaka multiple rocket launcher at the Republic Day parade in New Delhi, India. In its race to join the club of international powers, India has reached another major milestone, it's now the world's largest weapons importer.  - Sputnik भारत, 1920, 11.06.2025
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