"2019 में हमने मिशन शक्ति किया है। भारत की प्राथमिकता उसके शत्रु और पड़ोसियों पर आधारित है। अंतरिक्ष में सेना को लेकर चीन काफी कुछ कर चुका है। इसी तर्ज पर भारत भी अपने बल बूते तैयारी कर एक सुरक्षा तंत्र तैयार करना चाहता हैं। भारतीय सेना, नौसेना,वायु सेना तीनों को अंतरिक्ष की आवश्यकता है, जिसके लिए अंतरिक्ष में सैटेलाइट भेजे जा रहे हैं," ग्रुप कैप्टन अजय लेले (सेवानिवृत्त) ने कहा।
"चीन का अंतरिक्ष प्रोग्राम बहुत बड़ा है और वह भारत से कहीं पहले से इसमें निवेश कर रहे हैं। चीन का सैन्य अंतरिक्ष विकास अमेरिकी संकट पर दृष्टि रखे हुए है,इसलिए चीन ने बहुत अधिक मात्रा में इसमें निवेश किया है। इसलिए 2007 में चीन ने एंटी सैटेलाइट टेस्ट किया था। हालांकि भारत को भी तैयार रहने की आवश्यकता है, क्योंकि चीन का अमेरिका केंद्रित अंतरिक्ष प्रोग्राम अमेरिका के अतिरिक्त भारत के विरुद्ध भी उपयोग में लाया जा सकता है," अजय लेले कहते हैं।