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एकीकृत थिएटर कमांड से युद्ध शक्ति की क्षमताओं में वृद्धि होगी: विशेषज्ञ

हाल ही में भारत ने एकीकृत थिएटर कमांड के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए आधिकारिक स्तर पर अंतर-सेवा कमांड (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) अधिनियम को अधिसूचित किया जो लंबे समय से लंबित एकीकृत थिएटर कमांड के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करेगा।
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एकीकृत थिएटर कमांड का निर्णय 1947 में स्वतंत्रता के बाद से सेना को लेकर एक बहुत बड़ा महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इस कदम का उद्देश्य देश की सैन्य दक्षता और समन्वय को बढ़ाना है।
इसके साथ-साथ देश की सत्तापक्ष भारतीय जनता पार्टी ने पिछले महीने लोकसभा चुनाव के लिए जारी किए गए घोषणापत्र में वादा किया था कि दिसंबर 2019 में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) का पद सृजित करने के बाद उसकी सरकार "अधिक कुशल संचालन के लिए सैन्य थिएटर कमांड स्थापित करेगी"।
भारत में अभी सेना और वायुसेना की 7-7 और नौसेना की 3 सेवा कमांड मिलाकर 17 सेवा कमांड हैं। आज के समय में अंतर-सेवा कमांड के माध्यम से एक लागत प्रभावी युद्ध-लड़ने वाली मशीनरी की आवश्यकता है, जिसमें योजना, रसद और संचालन में बेहतर तालमेल हो सके।
भारत के पास वर्तमान में मात्र भौगोलिक अंडमान और निकोबार कमांड और देश के परमाणु शस्त्रागार को संभालने के लिए कार्यात्मक रणनीतिक बल कमांड हैं, जिन्हें 2001 और 2003 में पाकिस्तान के साथ कारगिल संघर्ष के बाद स्थापित किया गया था। Sputnik India ने देश में बनाई जा रही एकीकृत कमान संरचना के बारे में भारतीय सेना से रिटायर्ड हुए ब्रिगेडियर अरुण सहगल से बात की।
उन्होंने इसकी आवश्यकता के बारे में बताया कि संपूर्ण विचार यह है कि इससे भारत की क्षमताओं में वृद्धि हो, विशेष रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में युद्ध शक्ति के अनुप्रयोग के संदर्भ में। यह एक ऐसा कदम है जो लगभग 10 से 15 वर्ष पहले शुरू किया गया था, लेकिन पिछले 4 से 5 वर्षों में यह बढ़ा है। लेकिन अभी यह इस चरण में है कि इसे लागू किया जा सकता है।

सहगल ने कहा, "अभी इसे पूरी तरह से चालू होने में 5 से 7 वर्ष लगेंगे, क्योंकि बड़ी संख्या में संपत्तियां हैं, हर किसी के पास अपनी संपत्ति है, उन्हें कैसे एकीकृत किया जाए, सिस्टम को कैसे एकीकृत किया जाए, सॉफ्टवेयर को कैसे एकीकृत किया जाए, लोगों के दृष्टिकोण को कैसे एकीकृत किया जाए। तो यह एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है, लेकिन पूरा विचार मूल रूप से परिचालन क्षमता बढ़ाना, लागत कम करना, लागत परिशोधन करना और सैन्य शक्ति के अनुप्रयोग के लिए बहुत अधिक रैखिक कमांड संरचना प्रदान करना है।"

ब्रिगेडियर अरुण सहगल से एकीकृत कमांड संरचना को लागू करने में आने वाली चुनौती और उनका समाधान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि चुनौतियां सीधी हैं क्योंकि हर कोई सक्षमता के एक विशेष क्षेत्र में रहने का आदी है, जैसे नौसेना सक्षमता के क्षेत्र समुद्र में कार्य करती है, वायु सेना वायु शक्ति में और सेना जमीन पर कार्य करती है। इसलिए एकीकरण से पहले हम जो भी संयुक्त बल अवधारणा बनाने का प्रयास कर रहे हैं जहां हम संयुक्त रूप से बलों की आपूर्ति कर सकें।

सहगल ने कहा, "एकीकरण प्राप्त करने के बारे में चुनौतियां यह हैं कि आप निर्णय कैसे लेते हैं, आप संपत्तियों को कैसे एकीकृत करते हैं, नए नियम क्या हैं जिन्हें लिखने की आवश्यकता होगी, इससे पहले सेवा-विशिष्ट के लिए नियम थे जो अब यह संयुक्त सेवा-विशिष्ट के लिए होगी। कई सारे मुद्दों पर चर्चा और विश्लेषण करना होगा और फिर लागू करना होगा सिस्टम के अंदर बहुत सारा कार्य पहले ही किया जा चुका है और अंतिम रूप से स्वीकृत्ति मिलने के बाद और भी कार्य किया जाना शेष है।"

देश में रक्षा क्षेत्र में किए जाने वाले इस बड़े परिवर्तन को लेकर ब्रिगेडियर सहगल आगे कहते हैं कि ताजा इनपुट के अनुसार पांच कमांड बनाने पर बहुत विचार चल रहा है। जयपुर में एक उत्तरी कमान होगी, एक पश्चिमी कमान होगी, एक दक्षिणी कमान होगी और फिर एक मैरीटाइम कमांड होगी और फिर उत्तरी कमांड में पूर्वी और पश्चिमी दोनों थिएटर होंगे।
अंत में रक्षा विशेषज्ञ सहगल ने बताया कि इस कमांड स्ट्रक्चर को लेकर कार्य पहले से ही चल रहा है, ऐसा नहीं है कि कार्य नहीं हुआ है, यह पहले से ही चल रहा है।

अंत में उन्होंने जोर देकर कहा, "देश के भीतर पहले से ही कार्य चल रहा है, जहां रणनीतिक स्तर पर थिएटर में निर्णय समर्थन प्रणाली का एक एकीकृत मॉडल बनाया जा रहा है, जहां विभिन्न इनपुट, खुफिया जानकारी, परिचालन जानकारी के एकीकरण के माध्यम से, विभिन्न स्तरों पर विचार किए गए निर्णय लेने के लिए उन सभी इनपुट को एक निर्बाध संपूर्ण में एकीकृत किया जाएगा।"

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