वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण के दौरान कहा, "अगले 10 वर्षों में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को पांच गुना बढ़ाने पर हमारे निरंतर जोर के साथ, 1,000 करोड़ रुपये का उद्यम पूंजी कोष स्थापित किया जाएगा।"
सर्वेक्षण में कहा गया कि अंतरिक्ष गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक समर्थन देने के लिए 1 जनवरी तक विभिन्न गैर-सरकारी संस्थाओं के साथ 51 समझौता ज्ञापनों और 34 संयुक्त परियोजना कार्यान्वयन योजनाओं पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
वेंकटेश्वरन ने बताया, "इस तथ्य को देखते हुए कि भारत सरकार ने अपनी नवीन नीति में राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र स्थापित किया है, जो कि अंतरिक्ष क्षेत्र में है, जहाँ वे निजी कंपनियों के उभरने और अंतरिक्ष गतिविधियों को आगे बढ़ने की आशा कर रहे हैं।"
उन्होंने जोर देकर कहा, "भारत सरकार आज सोचती है कि सरकारी संस्थाओं को दूर कर निजी संस्थाओं को आगे आना चाहिए और भारत में एक बड़ा, विशाल, जीवंत निजी अंतरिक्ष उद्योग निर्मित होना चाहिए। जैसे, उदाहरण के लिए, यह अमेरिका में है, जहाँ कई प्रक्षेपण वाहन और उपग्रह निजी कंपनियों द्वारा बनाए जाते हैं। तो भारत सरकार सोच रही है कि भारत को उस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। अतः 1000 करोड़ उद्यम पूंजी स्थापित करने का यह विचार निजीकरण ढांचे के साथ संरेखित है।
उन्होंने बताया, "वर्तमान में, 300 से अधिक भारतीय संस्थाएं हैं, जिन्होंने प्राधिकरण, हैंड होल्डिंग, सुविधा समर्थन, परामर्श, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, सुविधा उपयोग और इसी तरह के अन्य कार्यों के लिए अंतरिक्ष में इस तक पहुँच बनाई है। इस उद्यम पूंजी का विचार यह है कि निजी फर्म या छोटी निजी फर्में नए विचारों के साथ आ सकें जहां जोखिम है, और हम नहीं जानते कि वह परियोजना काम करेगी या नहीं। तो जोखिम निवेश की आवश्यकता होगी, जो कि प्रारंभिक निवेश है।"