रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, "बढ़ा हुआ बजटीय आवंटन सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक तकनीक, घातक हथियार, लड़ाकू विमान, जहाज, पनडुब्बियां, प्लेटफॉर्म, मानव रहित हवाई वाहन, ड्रोन, विशेषज्ञ वाहन आदि से लैस करने के उद्देश्य से नियोजित पूंजी अधिग्रहण पर वार्षिक नकद व्यय की आवश्यकता को पूरा करेगा।"
मास्को से सैन्य उपकरणों की खरीद नई दिल्ली के लिए 'प्राथमिकता'
सोढ़ी ने बुधवार को Sputnik India को बताया, "आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया पहल के अंतर्गत भारत में हथियार निर्माण में भारत और रूस के मध्य संयुक्त उद्यम (जेवी) ब्रह्मोस मिसाइलों और एके-203 असॉल्ट राइफलों के प्रदर्शन के उदाहरण के रूप में सफल रहा है। बजट 2024 के तहत, भारत रूस के साथ अपने संयुक्त उद्यम को बढ़ाने का प्रयास करेगा और दोनों मित्र देशों के मध्य अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए नए गठजोड़ करेगा।"
उमरालकर ने कहा, "मास्को से सैन्य सामान खरीदने में नई दिल्ली को एक बड़ा लाभ यह है कि दोनों देशों के मध्य रुपया-रूबल व्यापार समझौता है। इसलिए, यूरेशियन देश से खरीद के लिए एक ऐसी व्यवस्था है, जिसके अंतर्गत भुगतान रूबल में किया जा सकता है, जिससे भारत को कीमती विदेशी मुद्रा बचाने में सहायता मिलेगी।"
सिद्धू ने जोर देकर कहा, "चूंकि ब्रह्मोस पहले से ही भारतीय नौसेना का पसंदीदा उत्पाद है, इसलिए इस फंडिंग से अधिक ऑर्डर मिलने की संभावना है, जिससे आय और उत्पादन का निरंतर प्रवाह सुनिश्चित होगा।"
उन्होंने रेखांकित किया, "सभी बातों पर विचार करने के बाद, यह वित्त पोषण आवंटन भारत के रक्षा विनिर्माण उद्योग को फलने-फूलने में सहायता करता है, जबकि भारतीय सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक, उचित मूल्य वाले और विशेष रूप से डिजाइन किए गए हथियारों तक पहुँच की गारंटी देता है।"