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सेना को पीएम मोदी की खुली छूट, रक्षा विशेषज्ञ से जानिए कश्मीर मोर्चे पर अगला कदम

सुरक्षा को लेकर आयोजित बैठक में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सुरक्षा बलों को दी गई खुली छूट पर Sputnik इंडिया ने भारतीय सेना के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी और रक्षा विशेषज्ञ के साथ इस बयान का विश्लेषण किया।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक की अध्यक्षता की और कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले पर भारत की प्रतिक्रिया का तरीका, समय और लक्ष्य तय करने की पूरी आजादी है।

भारतीय मीडिया ने प्रधानमंत्री के हवाले से कहा, "भारत आतंकवाद को करारा झटका देने के लिए दृढ़ संकल्पित है।" उन्होंने बड़े पैमाने पर जवाबी कार्रवाई की शुरुआत का संकेत दिया।

पीएम मोदी की यह घोषणा पहलगाम नरसंहार के बाद आई है जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई इस आपातकालीन बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और थल सेना, नौसेना और वायुसेना के प्रमुख भी शामिल थे।
वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तानी सूचना मंत्री अत्ताउल्लाह तरार ने बुधवार को कहा कि भारत जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमले के बाद अगले 24 से 36 घंटों में पाकिस्तान के विरुद्ध सैन्य कार्रवाई शुरू करने का इरादा रखता है।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा वरिष्ठ सैन्य कमांडरों को कश्मीर में आतंकवादी हमले के जवाब में "तरीका, लक्ष्य और समय तय करने के लिए खुली छूट के बयान पर और सेना की व्यापक कार्रवाई के बारे में भारतीय सेना में मेजर जनरल के पद से सेवानिवृत्त और यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीटूशन (भारत) के निदेशक बी के शर्मा से बात की।
उन्होंने Sputnik इंडिया से बात करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के बयान से साफ पता चलता है कि इसमें कोई राजनीतिक बाधा नहीं है। सेना को राष्ट्र के सर्वोत्तम हित में कार्य करने के लिए पूर्ण परिचालन स्वतंत्रता दी गई है।

मेजर जनरल के पद से (सेवानिवृत्त) बी के शर्मा ने कहा, "यदि सैन्य विकल्प अपनाया जाता है, तो प्रधानमंत्री ने भारतीय सशस्त्र बलों को बल प्रयोग, बल प्रयोग की मात्रा और सीमा, समय और लक्ष्यों के चयन में पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान की है, जिसमें कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। यह भी स्पष्ट किया गया है कि केवल जमीनी बलों तक सीमित रहने की कोई बाध्यता नहीं है; आवश्यकतानुसार वायु सेना और नौसेना को भी तैनात किया जा सकता है। सशस्त्र बलों को यह निर्णय लेने की स्वतंत्रता दी गई है कि वे परिस्थितियों के अनुसार तय करें कि कौन-सा बल इस्तेमाल करना है, कौन-सी प्रणाली तैनात करनी है, कार्रवाई का समय क्या होगा और कौन से लक्ष्यों को निशाना बनाया जाएगा।"

इसके आगे उन्होंने कहा कि "अभी भी कुछ व्यापक रणनीतिक दिशा-निर्देश होंगे, और हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि भारतीय सशस्त्र बल अत्यधिक पेशेवर और सम्मानित हैं। वे इस स्वतंत्रता का उपयोग अत्यंत सही और विवेकपूर्ण तरीके से करेंगे। और कोई भी कार्रवाई सावधानीपूर्वक विचार-विमर्श और जिम्मेदारी से की जाएगी।"
भारत की कार्रवाई के बाद दोनों पक्षों के बीच जंग छिड़ने के बारे में मेजर जनरल कहते हैं कि अगर काइनेटिक सैन्य कार्रवाई का सहारा लिया जाता है, तो कोई भी पेशेवर सेना स्वाभाविक रूप से दूसरी तरफ से प्रतिक्रिया की उम्मीद करेगी।

उन्होंने बताया, "भारतीय सशस्त्र बल उच्च स्तर पर किसी भी तनाव का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार रहेंगे और उनका उद्देश्य प्रभुत्व बनाए रखने के साथ-साथ स्थिति को भारत के नियंत्रण में रखना होगा।"

दुनिया भर के बड़े देश जैसे रूस, अमेरिका और चीन से इस कदम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृति मिलने की संभावना पर भारत के रक्षा विशेषज्ञ कहते हैं कि क्षेत्र में किसी भी सैन्य कार्यवाही के बाद अंतर्राष्ट्रीय समुदाय संयम और बातचीत का आह्वान करेगा।

रक्षा मामलों के जानकार बी के शर्मा कहते हैं कि, "भारत को इस तरह के उकसावे का कड़ा जवाब देने का पूरा अधिकार है। अन्य देशों ने भी ऐसा ही किया है, उदाहरण के लिए, यूक्रेन में रूस का अभियान या 9/11 के बाद अमेरिका का अभियान। उन देशों ने निर्णायक रूप से कार्रवाई की। इसलिए दुनिया सार्वजनिक रूप से संयम बरतने का उपदेश दे सकती है, लेकिन निजी तौर पर, कई लोग भारत की कार्रवाई को समझेंगे और स्वीकार करेंगे। और कोई भी भारतीय प्रतिक्रिया नपी-तुली और जिम्मेदार होगी।"

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