भारतीय मीडिया ने प्रधानमंत्री के हवाले से कहा, "भारत आतंकवाद को करारा झटका देने के लिए दृढ़ संकल्पित है।" उन्होंने बड़े पैमाने पर जवाबी कार्रवाई की शुरुआत का संकेत दिया।
मेजर जनरल के पद से (सेवानिवृत्त) बी के शर्मा ने कहा, "यदि सैन्य विकल्प अपनाया जाता है, तो प्रधानमंत्री ने भारतीय सशस्त्र बलों को बल प्रयोग, बल प्रयोग की मात्रा और सीमा, समय और लक्ष्यों के चयन में पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान की है, जिसमें कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। यह भी स्पष्ट किया गया है कि केवल जमीनी बलों तक सीमित रहने की कोई बाध्यता नहीं है; आवश्यकतानुसार वायु सेना और नौसेना को भी तैनात किया जा सकता है। सशस्त्र बलों को यह निर्णय लेने की स्वतंत्रता दी गई है कि वे परिस्थितियों के अनुसार तय करें कि कौन-सा बल इस्तेमाल करना है, कौन-सी प्रणाली तैनात करनी है, कार्रवाई का समय क्या होगा और कौन से लक्ष्यों को निशाना बनाया जाएगा।"
उन्होंने बताया, "भारतीय सशस्त्र बल उच्च स्तर पर किसी भी तनाव का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार रहेंगे और उनका उद्देश्य प्रभुत्व बनाए रखने के साथ-साथ स्थिति को भारत के नियंत्रण में रखना होगा।"
रक्षा मामलों के जानकार बी के शर्मा कहते हैं कि, "भारत को इस तरह के उकसावे का कड़ा जवाब देने का पूरा अधिकार है। अन्य देशों ने भी ऐसा ही किया है, उदाहरण के लिए, यूक्रेन में रूस का अभियान या 9/11 के बाद अमेरिका का अभियान। उन देशों ने निर्णायक रूप से कार्रवाई की। इसलिए दुनिया सार्वजनिक रूप से संयम बरतने का उपदेश दे सकती है, लेकिन निजी तौर पर, कई लोग भारत की कार्रवाई को समझेंगे और स्वीकार करेंगे। और कोई भी भारतीय प्रतिक्रिया नपी-तुली और जिम्मेदार होगी।"