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कारगिल युद्ध के दौरान वायुसेना के जांबाज नचिकेता ने याद किया पाकिस्तान में पकड़े जाने का किस्सा

© AP Photo / AIJAZ RAHIIn this July 10, 1999 file photo, Indian artillery guns are engulfed in smoke in Dras, some 155 kilometers (96 miles) north of Srinagar, India as Indian troops fight Pakistani intruders in the disputed Kashmir.
In this July 10, 1999 file photo, Indian artillery guns are engulfed in smoke in Dras, some 155 kilometers (96 miles)  north of Srinagar, India as Indian troops fight Pakistani intruders in the disputed Kashmir. - Sputnik भारत, 1920, 26.07.2024
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इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना ने कुल मिलाकर लगभग 5,000 स्ट्राइक मिशन, 350 टोही/ELINT मिशन और लगभग 800 एस्कॉर्ट उड़ानें भरीं तथा हताहतों को निकालने और हवाई परिवहन कार्यों के लिए 2,000 से अधिक हेलीकॉप्टर उड़ानें भी भरीं।
भारत आज कारगिल दिवस के 25 साल पूरे होने का जश्न मन रहा है। इस दिन भारत ने ऑपरेशन विजय के तहत जम्मू कश्मीर के कारगिल क्षेत्र में सीमा पार कर आये पाकिस्तानी सैनिक और आतंकवादियों को वापस खदेड़ दिया था।
कारगिल की जंग में भारतीय सेना ने साहस का परिचय देते हुए इस मिशन को अंजाम दिया, साथ ही भारतीय वायु सेना ने भी ऑपरेशन सफ़ेद सागर के तहत दुश्मन के ठिकानों को नेस्तनाबूद करने में थल सेना की काफी मदद की।
1999 के कारगिल युद्ध में भारतीय वायुसेना की भूमिका वाले ऑपरेशन सफ़ेद सागर के दौरान वायुसेना को 4000 से 6000 मीटर के बीच की अभूतपूर्व ऊंचाई पर स्थित लक्ष्यों पर हमला करने का काम सौंपा गया था। इसके साथ ही सरकार ने कारगिल युद्धक्षेत्र से आगे संघर्ष बढ़ने की संभावना को कम करने के लिए वायु सेना को किसी भी परिस्थिति में नियंत्रण रेखा पार करने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
इस बमबारी में तत्कालीन फ्लाइंग ऑफिसर और बाद में ग्रुप कैप्टन के पद से सेवानिवृत्त हुए कंबमपट्टी नचिकेता राव कारगिल युद्ध के दौरान एक लड़ाकू पायलट थे। उन्हें 27 मई 1999 को दुश्मन के शिविर पर दो विमानों से रॉकेट दागने वाले मिशन में विंगमैन के रूप में उड़ान भरने के लिए अधिकृत किया गया था। सफल हमले के बाद उड़ान के दौरान विमान के इंजन में आग लग गई जिसके कारण उन्हें विमान को छोड़ना पड़ा, जिसके बाद उन्हें पाकिस्तानी सेना ने पकड़ कर कई दिनों तक प्रताड़ित किया, और सात दिनों बाद उन्हें भारतीय अधिकारियों के हवाले कर दिया गया।
कारगिल दिवस के 25 साल होने पर आयोजित किये गये कार्यक्रम के दौरान Sputnik भारत ने ग्रुप कैप्टन के. नचिकेता राव (सेवानिवृत्त) से ऑपरेशन सफ़ेद सागर के बारे में उनके अनुभव साझा किये।
ग्रुप कैप्टन नचिकेता राव से युद्ध बंदी के तौर पर पाकिस्तान में बिताए गए उनके समय के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि मिग 27 लड़ाकू विमान से इजेक्ट करने के बाद उन्हें पाकिस्तान में बंदी बना लिया गया, कैद के दौरान उन्हें उनका भारत वापस आना बहुत मुश्किल लग रहा था। हमारे देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने साफ कर दिया था कि बिना किसी शर्त के मुझे छोड़ा जाना चाहिए क्योंकि मैं सीमा में उड़ान भर रहा था।लेकिन देश-विदेश में रह रहे भारत के तमाम लोगों ने मेरे लिए अभियान चलाए।

नचिकेता राव ने याद करते हुए बताया, "27 मई 1999 में मुझे जब बंदी बनाया गया तब जीवन में आशावादी होने के बावजूद उस समय मुझे लगा कि मेरा भारत वापस आना बहुत मुश्किल है क्योंकि 1971 भारत पाकिस्तान जंग के कई युद्ध बंदी अब भी पाकिस्तान की कैद में थे। भारतीय वायु सेना ने इस घटना को काफी गंभीरता से लिया। इसके साथ साथ पाकिस्तान में भी तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ थोड़े रक्षात्मक हो गए थे। इसके अलावा इस समय तक सीमा पर कई जगहों को हमने जीत लिया था, और इस तरह मैं 3 जून को अपने देश वापस लौट सका।"

एक लड़ाकू विमान से इजेक्ट करने के बारे में पूछे जाने पर नचिकेता कहते हैं कि एक लड़ाकू विमान से इजेक्ट कुछ सेकंड में करीब 20 से 25G के उच्च दवाब पर होता है इसलिए उस समय संभावना होती है कि शरीर में चोट लग जाए। मेरी रीढ़ की हड्डी में कॉम्परेसन हो गया था। आम तौर पर इसके लिए हम आराम करते हैं और धीरे धीरे सब सामान्य हो जाता है। लेकिन मेरे केस में मुझे अगले 7 दिनों तक किसी भी तरह का आराम नहीं मिला जिसकी वजह से मेरी चोट में इजाफा हो गया।

नचिकेता ने कहा, "मैं पाकिस्तान से वापस आया तो मेरे मेडिकल के बाद पता चला कि मैं अब लड़ाकू विमान नहीं चला सकता हूँ जिसकी वजह से मुझे परिवहन विमान में स्थानांतरित कर दिया गया। इसके अलावा मुझे मानसिक परेशानी का भी सामना करना पड़ा जो समय के साथ ठीक हुई। मुझे वायुसेना, मेरी 9वीं स्क्वाड्रन और मेरे परिवार और देश के लोगों से बहुत सहयोग मिला, जिससे मुझे सामान्य होने में बहुत मदद मिली। और करीब 4 साल बाद मैं वापस कॉकपिट में पहुंच गया।"

वायु सेना में 1999 के कारगिल युद्ध के बाद से लेकर अब तक आए बदलावों को लेकर ग्रुप कैप्टन नचिकेता राव ने Sputnik भारत को बताया कि 1999 में हमारे पास UAVs (अनमैन्ड एरियल व्हीकल) नहीं थे। उनकी मदद से हम एक बड़े क्षेत्र पर नजर रख सकते थे, लेकिन अब हम उन पर ध्यान दे रहे हैं।

नचिकेता ने वायु सेना की आधुनिकता पर कहा, "सेना के तीनों विंग तकनीक पर निर्भर रहते हैं लेकिन वायु सेना तकनीकी पर सबसे अधिक निर्भर है क्योंकि वायु सेना के सभी ऑपरेशन लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों या ड्रोन के जरिए किए जाते हैं। पिछले 25 सालों के बाद अब हमारे पास बहुत अच्छी गुणवत्ता के ड्रोन हैं जो सीमा के आस पास निगरानी का काम कर रहे हैं। इसके अलावा लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर,परिवहन विमानों को बदला जा चुका है, और हमारा LCA बहुत अच्छा काम कर रहा है। अगर रडार, सेंसर की बात करें तो हम काफी आगे हैं।"

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