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भारतीय रक्षा मंत्रालय ने 67000 करोड़ रुपए के रक्षा सौदों को दी स्वीकृति

© AP PhotoVisitors walk past an Indian Brahmos anti-ship missile at the International Maritime Defence show in St.Petersburg, Russia, Thursday, July 11, 2019
Visitors walk past an Indian Brahmos anti-ship missile at the International Maritime Defence show in St.Petersburg, Russia, Thursday, July 11, 2019 - Sputnik भारत, 1920, 06.08.2025
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भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को 67000 करोड़ रुपए के रक्षा सौदों को स्वीकृति दे दी है। रक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाले रक्षा अधिग्रहण परिषद(DAC) ने लड़ाकू जेट से चलाई जाने वाली 110 ब्रह्मोस मिसाइलों के साथ-साथ 87 भारी सशस्त्र ड्रोन की खरीदी पर मोहर लगा दी है। यह ड्रोन हवा से ज़मीन पर चलाई जाने वाली मिसाइलों और लेज़र गाइडेड बम से लैस होंगे।
भारतीय नौसेना के युद्धपोतों के लिए 8 ब्रह्मोस लॉंचर और फ़ायर कंट्रोल सिस्टम भी खरीदे जाएंगे।
भारतीय वायुसेना के सुखोई-30 फ़ाइटर जेट्स को 450 किमी तक मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस किया जा चुका है। 450 किमी की रेंज वाली ब्रह्मोस के साथ सुखोई-30 की मारक क्षमता 1500 किमी तक हो जाती है।

अभी भारतीय वायुसेना के लगभग 40 सुखोई-30 को ब्रह्मोस से लैस किया जा चुका है। इसी तरह से भारतीय नौसेना के लगभग 20 मुख्य युद्धपोतों को ब्रह्मोस से लैस किया जा चुका है। शेष बचे पुराने युद्धपोतों में ब्रह्मोस को लगाने के लिए 8 वर्टिकल लॉंचर और फ़ायर कंट्रोल सिस्टम खरीदे जाएंगे। भारत और रूस के सहयोग से बनी ब्रह्मोस मिसाइल तीनों ही सेनाओं का सबसे बड़ा हथियार बन चुका है।

भारत की ड्रोन क्षमता में वृद्धि के लिए तीनों सेनाओं के लिए 87 लंबी दूरी तक जाने वाले सशस्त्र ड्रोन मध्यम-ऊंचाई लॉन्ग एंड्योरेंस (MALE) खरीदे जाएंगे। इन ड्रोन का निर्माण कोई भारतीय कंपनी अपने विदेशी सहयोगी के साथ करेगी और इनमें 60 प्रतिशत भाग स्वदेशी होगा।
भारतीय सेना के रूसी मूल की बख्तरबंद गाड़ियों (BMP) के चालकों के लिए नाइट विज़न की खरीदी को भी स्वीकृत कर लिया गया है। इससे बीएमपी की रात में युद्ध करने की क्षमता में वृद्धि होगी। बेहतर चौकसी के लिए नए माउंटेन रडारों की खरीदी भी की जाएगी जिससे भारतीय वायुसेना उत्तरी सीमा के पर्वतों पर किसी गतिविधि पर नज़र रख सके।
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