Sputnik मान्यता
भारतीय और विदेशी विशेषज्ञों द्वारा प्रदान किया गया क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाओं का गहन विश्लेषण पढ़ें - राजनीति और अर्थशास्त्र से लेकर विज्ञान-तकनीक और स्वास्थ्य तक।

विशेषज्ञ से जानें क्यों भारत के फाइटर जेट तेजस में विदेशी दिलचस्पी दिखा रहे हैं?

© AP Photo / Aijaz RahiTejas
Tejas - Sputnik भारत, 1920, 12.08.2023
सब्सक्राइब करें
अर्जेंटीना सहित कई विदेशी देशों ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) से भारत के स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तेजस को खरीदने में रुचि दिखाई है। ऐसे में Sputnik ने रक्षा विशेषज्ञ क़मर आगा से बात की।
भारत की सरकारी स्वामित्व वाली हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड अपने हल्के लड़ाकू विमान बेचने के लिए कम से कम चार देशों के साथ बातचीत कर रही है, क्योंकि नई दिल्ली अगले दो वर्षों में रक्षा निर्यात को तीन गुना करने पर विचार कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी साल फरवरी में अगले दो वर्षों में वार्षिक रक्षा निर्यात के मूल्य को तीन गुना से अधिक 5 अरब डॉलर का रक्षा निर्यात हासिल करने का लक्ष्य रखा है और सरकार तेजस के निर्यात के लिए राजनयिक प्रयास कर रही है।
नवंबर में, भारतीय रक्षा फर्म कल्याणी स्ट्रैटेजिक सिस्टम्स लिमिटेड ने एक मित्रवत विदेशी देश को तोपखाने बंदूकों की आपूर्ति के लिए 155.5 मिलियन डॉलर का निर्यात ऑर्डर जीता, जो किसी स्थानीय कंपनी द्वारा जीता गया पहला ऑर्डर था। 155 मिमी हथियार प्रणाली के लिए यह आदेश फिलीपींस द्वारा ब्रह्मोस मिसाइलों का ऑर्डर देने और आर्मेनिया द्वारा भारत से पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर खरीदने के विकल्प के बाद आया है।
© AP Photo / Aijaz RahiTejas combat aircrafts
Tejas combat aircrafts - Sputnik भारत, 1920, 12.08.2023
Tejas combat aircrafts
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार विदेशी रक्षा उपकरणों पर भारत की निर्भरता को कम करने की कोशिश कर रही है और साथ ही विदेशों में उपकरणों को निर्यात करने के लिए राजनयिक प्रयास भी कर रही है।
तेजस भारत की प्रमुख स्वदेशी रक्षा उपकरण सफलता है। तेजस एक एकल और डबल इंजन वाला, हल्के वजन वाला, अत्यधिक फुर्तीला, बहुउद्देश्यीय सुपरसोनिक लड़ाकू विमान है। इसमें संबंधित उन्नत उड़ान नियंत्रण कानूनों के साथ क्वाड्रुप्लेक्स डिजिटल फ्लाई-बाय-वायर फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम (FCS) है।
डेल्टा विंग वाला विमान 'हवाई युद्ध' और 'आक्रामक हवाई समर्थन' के साथ 'टोही' और 'एंटी-शिप' इसकी माध्यमिक भूमिकाओं के लिए डिज़ाइन किया गया है। एयरफ्रेम में उन्नत कंपोजिट का व्यापक उपयोग वजन अनुपात, लंबी थकान जीवन और कम रडार हस्ताक्षर के लिए उच्च शक्ति प्रदान करता है।

"तेजस चौथी-पांचवीं पीढ़ी का फाइटर मल्टीरोल एयरक्राफ्ट है। इसका इस्तेमाल वायु सेना और नौसेना दोनों में है। यह सिंगल और डबल सीटर संस्करण में उपलब्ध है। इसके अलावा यह छोटा और हल्का अत्याधुनिक लड़ाकू विमान माना जाता है। और विभिन्न प्रकार के हथियार फायर कर सकते हैं जैसे लंबी दूरी की मिसाइल, कम दूरी की मिसाइल।और लक्ष्य को निशाना बनाने की सटीकता बेहतरीन है। ये सारी खूबियां है तेजस में, जो एक अच्छी एयरक्राफ्ट में होना चाहिए," क़मर आगा ने Sputnik को बताया।

उन्होंने रेखंकित किया कि "जो देश है अधिकतर अफ्रीका और एशिया के उनका मानना है कि यूरोप से डील करना बड़ा मुश्किल है। शर्तें भी अधिक होती है और महंगा भी बहुत ज्यादा होता है। और उनका स्पेयर पार्ट भी बहुत महंगे हैं उसकी तुलना में भारतीय और रूसी कंपनियों के हथियार सस्ते भी हैं और अच्छे भी हैं। साथ ही राजनीतिक फायदा भी है इन देशों से खरीदने से। शर्तें भी कम है। ये एक समझ वैश्विक दक्षिण के देशों में आ रही है कि यहाँ से हथियार लो तो ज्यादा अच्छा रहेगा।"
© Photo : Indian NavyA naval variant of India's homegrown Light Combat Aircraft (LCA) Tejas successfully landed on the INS Vikrant
A naval variant of India's homegrown Light Combat Aircraft (LCA) Tejas successfully landed on the INS Vikrant - Sputnik भारत, 1920, 12.08.2023
A naval variant of India's homegrown Light Combat Aircraft (LCA) Tejas successfully landed on the INS Vikrant
दरअसल भारतीय वायु सेना एलसीए तेजस को विदेशी खरीदारों के लिए एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में सक्रिय रूप से प्रचारित कर रही है।
क्या लैटिन अमेरिकी देश तेजस विमान के लिए संभावित बाजार हो सकता है Sputnik के इस सवाल पर रक्षा विशेषज्ञ आगा ने सहमति जताई कि बिलकुल हो सकता है।
"जो लैटिन अमेरिका में चार-पांच जगह नई लेफ्ट विंग सरकार आई है और स्वतंत्र विदेश नीति को आत्मसात रहे हैं, उन देशों में हो सकता है। मैं समझता हूँ भारत को बातचीत करनी चाहिए। सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और क़तर जैसे देशों के साथ मिलकर संयुक्त निर्माण में जाना चाहिए," आगा ने बताया।
साथ ही उन्होंने टिप्पणी की कि "कुछ चीजें ऐसी भी हो सकती है जिसमें भारत और रूस मिलकर भी रक्षा उपकरण का निर्माण कर सकते हैं। क्योंकि सऊदी अरब भी स्वतंत्र विदेश नीति की बात कर रहे हैं, आत्मनिर्भरता की बात भी कर रहे हैं ऐसे में भारत-रूस पार्टनरशिप में इनके साथ मिलकर एक अच्छा डिफेंस हाई नेटवर्थ बना सकता है और फिर उनको दूसरी जगह पर बेचा भी जा सकता है।"

भारत-रूस का संयुक्त रक्षा उत्पाद

भारत ने लाइसेंस के तहत रूसी मिग लड़ाकू विमान और Su-30 जेट बनाए हैं और दोनों ने भारत में ब्रह्मोस मिसाइल बनाने के लिए सहयोग किया है। रूस परंपरागत रूप से भारत का प्रमुख हथियार आपूर्तिकर्ता भी रहा है।
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल, भारत-रूस संयुक्त उद्यम का एक उत्पाद है, और इसने अर्जेंटीना, ब्राजील और चिली सहित कई दक्षिण अमेरिकी देशों का ध्यान आकर्षित किया है। भारतीय सशस्त्र बलों में पहले ही शामिल की जा चुकी इस मिसाइल की परिचालन क्षमता साबित हो चुकी है। वर्तमान में, इसकी सीमा को 250 किलोमीटर से बढ़ाकर 450 किलोमीटर तक, यहां तक कि 600 किलोमीटर तक बढ़ाने के लक्ष्य के साथ परीक्षण किए जा रहे हैं।
यह सहयोग दोनों देशों के बीच साझा किए गए विश्वास और विशेषज्ञता का प्रतीक है, जिसके परिणामस्वरूप उन्नत सैन्य प्रौद्योगिकी का विकास हुआ है।

ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्रमुख ने इसी वर्ष फरवरी में कहा कि मास्को पर पश्चिमी प्रतिबंधों से भारत-रूस रक्षा साझेदारी "कभी" बाधित नहीं होगी, उन्होंने कहा कि यह "विश्वास" है जो इस साझेदारी को काम में लाता है।

 	  IAF Tejas - Sputnik भारत, 1920, 12.08.2023
IAF Tejas
ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड पहले ही सफल निर्यात कर चुका है और 2025 तक 5 बिलियन डॉलर के ऑर्डर मिलने की उम्मीद है। हाल ही में फिलीपींस के साथ 375 मिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुबंध ने इस उल्लेखनीय हथियार प्रणाली की वैश्विक मांग को उजागर किया है।
रूस पैंटिर-एस1 एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम (ZRPK), टोर-एम2केएम एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम (SAM), पैदल सेना से लड़ने वाले वाहनों और मानव रहित हवाई वाहनों (UAV) के उत्पादन पर भारत के साथ तकनीकी परामर्श में लगा हुआ है।

पिछले साल अप्रैल में रूस के विदेश मंत्री सर्गे लवरोव ने कहा था कि दोनों देश भारत में रूसी सैन्य उपकरणों के "अतिरिक्त" उत्पादन पर चर्चा कर रहे हैं।

वहीं भारतीय सेना की आधुनिक असॉल्ट राइफलों की बहुप्रतीक्षित तलाश आखिरकार खत्म होने वाली है। भारत और रूस ने उत्तर प्रदेश के अमेठी में एक कारखाने में एके 203 राइफलों का संयुक्त उत्पादन शुरू कर दिया है।
गौरतलब है कि भारतीय आयुध निर्माणी बोर्ड (OFB), कलाश्निकोव कंसर्न और रोसोबोरोनेक्सपोर्ट (रोस्टेक स्टेट कॉर्पोरेशन की दोनों सहायक कंपनियां) के बीच स्थापित एक संयुक्त उद्यम इंडो-रूस राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड के हिस्से के रूप में भारत में छह लाख से अधिक राइफलों का निर्माण किया जाना है।
A naval variant of India's homegrown Light Combat Aircraft (LCA) Tejas successfully landed on the INS Vikrant - Sputnik भारत, 1920, 13.03.2023
डिफेंस
भारतीय HAL तेजस जेट MK-1A पर अर्जेंटीना और मिस्र से बातचीत में है: मीडिया
न्यूज़ फ़ीड
0
loader
चैट्स
Заголовок открываемого материала