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भारत पहली बार कई अफ़्रीकी और एशियाई देशों में रक्षा अताशे नियुक्त करेगा
भारत पहली बार कई अफ़्रीकी और एशियाई देशों में रक्षा अताशे नियुक्त करेगा
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भारतीय समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार भारत इथियोपिया, मोजाम्बिक, जिबूती, आइवरी कोस्ट, फिलीपींस, आर्मेनिया और पोलैंड सहित कई देशों में रक्षा अताशे तैनात करेगा
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भू-राजनीतिक तनाव के बीच भारतीय थलसेना, नौसेना और वायु सेना के कुल 16 रक्षा अताशे जल्द ही अपने नए पद ग्रहण करेंगे।भारत सरकार जिबूती के लिए एक नया रक्षा अताशे भी नियुक्त कर रही है, जो लाल सागर और अदन की खाड़ी से घिरा होने के कारण समुद्री महत्व रखता है।कई अफ्रीकी देशों ने पहले ही भारतीय सैन्य प्लेटफार्मों, उपकरणों और हार्डवेयर की खरीद में गहरी रुचि व्यक्त की है।गौरतलब है कि जनवरी 2022 में भारत ने मिसाइल की तीन बैटरियों की आपूर्ति के लिए फिलीपींस के साथ 375 मिलियन डॉलर का सौदा किया। दक्षिण पूर्व एशियाई देश को मिसाइलों की आपूर्ति जल्द ही शुरू होने वाली है।वहीं आर्मेनिया में एक रक्षा अताशे की नियुक्ति का निर्णय तब आया है, जब काकेशस क्षेत्र का देश भारत के साथ अपने रक्षा संबंधों को बढ़ाने में गहरी रुचि दिखा रहा है। पिछले साल आर्मेनिया को मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर सहित भारतीय सैन्य हार्डवेयर की आपूर्ति के लिए एक हथियार सौदा तय किया गया था।रक्षा या सैन्य अताशे की तैनाती क्यों महत्वपूर्ण है?रक्षा या सैन्य अताशे विदेशों में राजनयिक मिशनों में काम करते हैं और अपने गृह देश की सेना और मेजबान देश की सेना के बीच संचार और सहयोग को सुविधाजनक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।वे सैन्य खुफिया जानकारी इकट्ठा करते हैं और उसका विश्लेषण करते हैं, सैन्य संबंधों को बढ़ावा देते हैं, हथियारों की बिक्री और सैन्य सहयोग समझौतों को सुविधाजनक बनाते हैं।बता दें कि पिछले कुछ वर्षों में भारत ने ग्लोबल साउथ या विकासशील देशों, विशेष रूप से अफ्रीकी महाद्वीप की चिंताओं, चुनौतियों और आकांक्षाओं को चिह्नित करते हुए वैश्विक मंचों पर बहुध्रुवीय दुनिया के पक्ष में मुखर होकर आवाज उठाई है।
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अफ़्रीकी देशों में रक्षा अताशे की तैनाती, एशियाई देशों में रक्षा अताशे की तैनाती, भारत द्वारा रक्षा अताशे की तैनाती, जिबूती के लिए एक नया रक्षा अताशे, भारतीय सैन्य प्लेटफार्मों की खरीद, सैन्य उपकरणों की खरीद, सैन्य हार्डवेयर की खरीद, सैन्य अताशे की तैनाती क्यों महत्वपूर्ण है, बहुध्रुवीय दुनिया, ग्लोबल साउथ की आवाज
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भारत पहली बार कई अफ़्रीकी और एशियाई देशों में रक्षा अताशे नियुक्त करेगा
भारतीय समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार भारत इथियोपिया, मोजाम्बिक, जिबूती, आइवरी कोस्ट, फिलीपींस, आर्मेनिया और पोलैंड सहित कई देशों में रक्षा अताशे तैनात करेगा, जिसका उद्देश्य अफ्रीकी और एशियाई देशों में अपना प्रभाव बढ़ाने के साथ सामरिक संबंधों और सैन्य कूटनीति को मजबूत करना है।
भू-राजनीतिक तनाव के बीच भारतीय थलसेना, नौसेना और वायु सेना के कुल 16 रक्षा अताशे जल्द ही अपने नए पद ग्रहण करेंगे।
भारत सरकार जिबूती के लिए एक नया रक्षा अताशे भी नियुक्त कर रही है, जो लाल सागर और अदन की खाड़ी से घिरा होने के कारण समुद्री महत्व रखता है।
रिपोर्ट के अनुसार, विदेश मंत्रालय वैश्विक स्तर पर 26 नए मिशन स्थापित करने की योजना बना रहा है, जिनमें से 18 अफ्रीकी देशों में होंगे। ये नई नियुक्तियां अफ्रीका के महत्व को रेखांकित करेंगी और सैन्य सहयोग और हथियारों की बिक्री के अवसरों को बढ़ावा देंगी, खासकर जब कई अफ्रीकी देशों का लक्ष्य अपने सशस्त्र बलों को आधुनिक बनाना है।
कई अफ्रीकी देशों ने पहले ही भारतीय सैन्य प्लेटफार्मों, उपकरणों और हार्डवेयर की खरीद में गहरी रुचि व्यक्त की है।
गौरतलब है कि जनवरी 2022 में भारत ने मिसाइल की तीन बैटरियों की आपूर्ति के लिए फिलीपींस के साथ 375 मिलियन डॉलर का सौदा किया। दक्षिण पूर्व एशियाई देश को मिसाइलों की आपूर्ति जल्द ही शुरू होने वाली है।
वहीं आर्मेनिया में एक
रक्षा अताशे की नियुक्ति का निर्णय तब आया है, जब काकेशस क्षेत्र का देश भारत के साथ अपने रक्षा संबंधों को बढ़ाने में गहरी रुचि दिखा रहा है। पिछले साल आर्मेनिया को मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर सहित भारतीय सैन्य हार्डवेयर की आपूर्ति के लिए एक हथियार सौदा तय किया गया था।
रक्षा या सैन्य अताशे की तैनाती क्यों महत्वपूर्ण है?
रक्षा या सैन्य अताशे विदेशों में राजनयिक मिशनों में काम करते हैं और अपने गृह देश की सेना और मेजबान देश की सेना के बीच संचार और सहयोग को सुविधाजनक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
वे सैन्य खुफिया जानकारी इकट्ठा करते हैं और उसका विश्लेषण करते हैं, सैन्य संबंधों को बढ़ावा देते हैं, हथियारों की बिक्री और
सैन्य सहयोग समझौतों को सुविधाजनक बनाते हैं।
बता दें कि पिछले कुछ वर्षों में भारत ने ग्लोबल साउथ या विकासशील देशों, विशेष रूप से अफ्रीकी महाद्वीप की चिंताओं, चुनौतियों और आकांक्षाओं को चिह्नित करते हुए वैश्विक मंचों पर बहुध्रुवीय दुनिया के पक्ष में मुखर होकर आवाज उठाई है।