योगेंद्र सिंह यादव ने कहा, "18 ग्रेनेडीयर की घातक पलाटून के जवान 5 घंटे तक लड़ते रहे, और उन्होंने अपने खून से जीत का स्वर्णिम इतिहास लिखा। मैं जब इन पहाड़ियों को देखकर उस समय को याद करता हूँ तो मुझे वह योद्धा और मेरे साथी याद आते हैं तो मेरी आंखें नाम हो जाती हैं।"
उन्होंने टाइगर हिल की लड़ाई को याद करते हुए कहा, "लोगों ने फिल्मों में अक्सर देखा होगा कि गर्दन कटने के बाद धड़ चलता रहता है वैसा मैंने अपनी आँखों से देखा है जब मेरा एक साथी मेरी मदद के लिए भाग कर आ रहा था तब पाकिस्तानी बम फटने से उसकी गर्दन कटकर गिर जाती है और चारों तरफ खून ही खून हो जाता है। इसके अलावा एक और साथी आगे बढ़ता है तो उसके हाथ पैर कटकर गिर जाते हैं, इस तरह मेरे तमाम साथी शहीद हो गए थे।"
यादव ने कहा, "हिन्दुस्तानी सैनिकों ने इन मुश्किल हालातों के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और साहस और उत्साह के साथ आगे बढ़ते रहे और बढ़े भी क्यूँ ना क्योंकि वह केवल 21 सैनिक नहीं चड़ रहे थे बल्कि देश के 140 करोड़ लोग उनके पीछे चल रहे थे, जिसका एहसास पाकिस्तान को भी हो गया होगा था।"
योगेंद्र सिंह यादव ने अंत में कहा, "आप देख सकते हैं कि पहले इस क्षेत्र में कोई सड़क नहीं थी लेकिन अब यहाँ सड़कों के साथ साथ तमाम नई संरचनाए और पोस्ट बन गए हैं। इसके बाद नए हथियारों के साथ साथ फौज के प्रशिक्षण में भी काफी बदलाव देखा गया है। प्रकृति में बदलाव की तरह फौज में भी समय के साथ बदलाव किये जाते हैं, और इसलिए आज हम आज किसी भी तरह की नई चुनौती से लड़ने के लिए तैयार हैं।"